प्रिलिम्स फैक्ट्स: 20 नवंबर, 2020 | 20 Nov 2020
एआई सुपर कंप्यूटर ‘परम सिद्धि’
AI supercomputer ‘Param Siddhi’
16 नवंबर, 2020 को जारी विश्व के शीर्ष 500 सबसे शक्तिशाली नॉन-डिस्ट्रीब्यूटेड कंप्यूटर प्रणालियों (Non-distributed Computer Systems) में ‘परम सिद्धि’ (Param Siddhi) ने 63वाँ स्थान हासिल किया।
प्रमुख बिंदु:
- ‘परम सिद्धि’ उच्च प्रदर्शन वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुपरकंप्यूटर प्रणाली है जिसे राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission-NSM) के तहत सी-डैक (C-DAC) में स्थापित किया गया है।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग
(Centre for Development of Advanced Computing: C-DAC):
- सी-डैक (C-DAC) सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी है।
- वर्ष 2003 में नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, ER&DCI इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (तिरुवनंतपुरम) तथा भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (Centre for Electronics Design and Technology of India- CEDTI) का विलय सी-डैक (C-DAC) में कर दिया गया था।
- भारत का पहला स्वदेशी सुपरकंप्यूटर, परम-8000 वर्ष 1991 में C-DAC द्वारा ही बनाया गया था।
- 5.267 पेटाफ्लॉप्स के आर-पीक (R-peak) तथा 4.6 पेटाफ्लॉप्स के आर-मैक्स (R-max) के साथ इस सुपरकंप्यूटर की परिकल्पना सी-डैक द्वारा की गई और इसे राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समर्थन से संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- परम सिद्धि सुपरकंप्यूटर सी-डैक द्वारा स्वदेश में विकसित एचपीसी-एआई इंजन, सॉफ्टवेयर फ्रेमवर्क तथा क्लाउड प्लेटफॉर्म के साथ ‘एनवीआईडीआईए डीजीएक्स सुपर-पीओडी रेफरेंस आर्किटेक्चर नेटवर्किंग’ (NVIDIA DGX Super-POD Reference Architecture Networking) पर आधारित है।
महत्त्व:
- यह डीप लर्निंग, विज़ुअल कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियल्टी एक्सेलेरेटेड कंप्यूटिंग और ग्राफिक्स वर्चुअलाइज़ेशन में मददगार साबित होगा।
- यह एआई प्रणाली एडवांस मैटेरियल, कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री तथा एस्ट्रोफिजिक्स जैसे क्षेत्रों में एप्लीकेशन डेवलपमेंट पैकेज को मज़बूत बनाएगी।
- राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन के अंतर्गत इस प्लेटफाॅर्म के माध्यम से ड्रग डिज़ाइन, निवारक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली जैसे अनेक पैकेज विकसित किये जा रहे हैं।
- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, पटना तथा गुवाहाटी जैसे बाढ़ की संभावना वाले शहरों के लिये बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की जा रही है।
- इससे COVID-19 से निपटने के लिये अनुसंधान एवं विकास में तेज़ी आएगी।
- यह सुपरकंप्यूटिंग प्रणाली भारतीय जनता एवं स्टार्टअप विशेष रूप से MSME के लिये वरदान साबित हो रही है।
विलो वार्बलर
Willow Warbler
हाल ही में विलो वार्बलर (Willow Warbler) को देश में पहली बार केरल के तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) के बाहरी इलाके ‘पुण्चक्करी’ (Punchakkari) में देखा गया।
प्रमुख बिंदु:
- इसका वैज्ञानिक नाम ‘फाइलोस्कोपस ट्रोकिलस’ (Phylloscopus Trochilus) है।
- यह सबसे लंबे समय तक प्रवास करने वाले छोटे पक्षियों में से एक है जो पूरे उत्तरी एवं समशीतोष्ण यूरोप और पैलेआर्कटिक (Palearctic) क्षेत्र में प्रजनन करते हैं।
पैलेआर्कटिक (Palearctic) क्षेत्र:
- पैलेआर्कटिक इकोज़ोन पृथ्वी की सतह को विभाजित करने वाले आठ भागों में से एक है।
- एक इकोज़ोन या बायोजियोग्राफिक क्षेत्र (Biogeographic Realm) पृथ्वी की सतह पर सबसे बड़े पैमाने का बायोजियोग्राफिकल विभाजन (Biogeographic Division) है।
इकोज़ोन या बायोजियोग्राफिक क्षेत्र
(Biogeographic Realm):
1. पैलेआर्कटिक (Palearctic) 2. निआर्कटिक (Nearctic) 3. एफ्रोट्राॅपिक (Afrotropic) 4. नेओट्राॅपिक (Neotropic) 5. ऑस्ट्रालेशिया (Australasia) 6. इंडोमलाया (Indomalaya) 7. ओशिनिया (Oceania) 8. अंटार्कटिक (Antarctic)
- पैलेआर्कटिक क्षेत्र के अंतर्गत पृथ्वी पर ऐसे कई इको क्षेत्र हैं: यूरो-साइबेरियाई क्षेत्र (Euro-Siberian Region), भूमध्यसागरीय बेसिन (Mediterranean Basin), सहारा (Sahara) और अरेबियन डेज़र्ट (Arabian Deserts), पश्चिमी, मध्य व पूर्वी एशिया।
- पैलेआर्कटिक अब तक का सबसे बड़ा इकोज़ोन है। इसमें यूरोप, एशिया में हिमालय की तलहटी का उत्तरी क्षेत्र, उत्तरी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप के उत्तरी तथा मध्य भागों के स्थलीय इको क्षेत्र शामिल हैं।
- पैलेआर्कटिक क्षेत्र के अंतर्गत कई नदियाँ एवं झीलें भी आती हैं, जिनमें कई मीठे पानी के जलीय क्षेत्रों का निर्माण करती हैं।
- लगभग 10 ग्राम वज़नी यह पक्षी अपने लंबे पंखों के इस्तेमाल से लंबी दूरी तय करने के लिये जाना जाता है जो इसे विशिष्ट बनाता है।
- ये आमतौर पर यूरोपीय एवं पैलेआर्कटिक क्षेत्रों में देखे जाते हैं और शुरुआती सर्दियों के दौरान उप-सहारा अफ्रीका में चले जाते हैं।
- इसे आमतौर पर छोटे आकार और वर्ष में दो बार पंखों के बदलने के कारण पहचानना मुश्किल होता है।
- जैव विविधता विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक केरल से वार्बलर की 17 प्रजातियाँ मिलने की पुष्टि की गई है और विलो वार्बलर केरल में दर्ज की जाने वाली 18वीं प्रजाति है।
वेल्लायनी-पुण्चक्करी पैडी फील्ड्स
(Vellayani-Punchakkari Paddy Fields):
- यह केरल के तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाके में एक बर्डिंग हॉटस्पॉट (Birding Hotspot) क्षेत्र है।
- यह पक्षियों की 213 से अधिक प्रजातियों के आश्रयगृह के लिये जाना जाता है जिसमें देशज एवं प्रवासी पक्षी दोनों शामिल हैं।
- यहाँ वार्बलर्स की सात प्रजातियाँ दर्ज की गईं हैं जिनमें ब्लिथ्स रीड वार्बलर (Blyth's Reed Warbler) और क्लामोरस रीड वार्बलर (Clamorous Reed Warbler) आम हैं।
छठ पूजा पर ‘माई स्टाम्प’
‘My Stamp’ on Chhath Puja
19 नवंबर, 2020 को केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने छठ पूजा पर ‘माई स्टाम्प’ (My Stamp on Chhath Puja) जारी किया।
प्रमुख बिंदु:
- ‘माई स्टाम्प’ भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा शुरू की गई एक अभिनव अवधारणा है। इस डाक टिकट को कोई भी सामान्य व्यक्ति या कॉर्पोरेट संगठन खरीद सकता है।
- ‘माई स्टाम्प’ भारतीय डाक विभाग द्वारा पेश किये जा रहे अनूठे उत्पादों में से एक है, जिसने विशेष उपहार की श्रेणी में लोकप्रियता हासिल की है।
- यह डाक टिकट देश भर के सभी डाक टिकट संग्रहालयों एवं प्रमुख डाकघरों में उपलब्ध है।
छठ- सादगी और स्वच्छता का प्रतीक:
- इस अवसर पर ‘छठ- सादगी और स्वच्छता का प्रतीक’ (Chhath- A symbol of Simplicity and Cleanliness) विषय पर एक विशेष कवर भी जारी किया गया।
छठ पर्व:
- छठ एक प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार है जो ऐतिहासिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश तथा नेपाल के मधेश क्षेत्र में मनाया जाता है।
- छठ पूजा सूर्य देवता और षष्ठी देवी (छठी मैया) को समर्पित है। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें न केवल उगते सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि सूर्यास्त यानी उषा एवं प्रत्यूषा की भी पूजा की जाती है।
- सामान्यत: इस त्योहार में मूर्तिपूजा शामिल नहीं होती है। छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी (Sun Shashthi) के रूप में भी जाना जाता है, कार्तिक शुक्ल षष्ठी (Kartik Shukla Shashthi) को मनाई जाती है। यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है।
- छठ पूजा एक लोक त्योहार है जो चार दिनों तक चलता है। यह कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी से शुरू हो कर सप्तमी को समाप्त होता है।
दिन |
विशेष |
1. |
नहाय खाय (Nahaye Khaye): इसका अर्थ यह है कि स्नान के बाद घर को साफ किया जाता है और भगवान के सामने भोजन रखने के बाद इसे ग्रहण किया जाता है ताकि मन को तामसिक प्रवृत्ति से बचाया जा सके। |
2. |
खरना (Kharna): खरना का मतलब है ‘पूरे दिन का उपवास’। इस दिन भक्तों को एक बूँद भी पानी पीने की अनुमति नहीं होती है। शाम को वे घी में बनी गुड़ की खीर, फल व चपाती खा सकते हैं। |
3. |
संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya): इस दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, अर्घ्य के समय सूर्यदेव को जल एवं दूध चढ़ाया जाता है और छठी मैया की पूजा की जाती है। |
4. |
उषा अर्घ्य (Usha Arghya): छठ पूजा के अंतिम दिन सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के बाद भक्त शरबत एवं कच्चा दूध पीते हैं और व्रत तोड़ने के लिये थोड़ा सा प्रसाद खाते हैं जिसे पारन (Paran) या पराना (Parana) कहा जाता है। |
वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
Vatayan Lifetime Achievement Award
21 नवंबर, 2020 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में ‘वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ (Vatayan Lifetime Achievement Award) से सम्मानित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- यह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, लंदन के ‘वातायन-यूके संगठन’ (Vatayan-UK Organization) द्वारा प्रदान किया जाता है।
- कवियों, लेखकों एवं कलाकारों को उनके क्षेत्र में किये गए उल्लेखनीय कार्यों के लिये यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- इससे पहले यह पुरस्कार प्रसून जोशी और जावेद अख्तर को उनके साहित्यिक योगदान के लिये प्रदान किया जा चुका है।
- इससे पहले रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ‘साहित्य भारती पुरस्कार’ तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा ‘साहित्य गौरव सम्मान’ प्रदान किया गया था।
- इसके अतिरिक्त रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को मिले पुरस्कारों में ‘गुड गवर्नेंस’ के लिये दुबई सरकार द्वारा दिया गया सम्मान, मॉरीशस द्वारा भारतीय मूल के व्यक्ति को उत्कृष्ट उपलब्धि सम्मान और पर्यावरण के क्षेत्र में यूक्रेन द्वारा दिया गया सम्मान तथा नेपाल द्वारा दिया गया ‘हिमल गौरव सम्मान’ (Himal Gaurav Samman) शामिल हैं।