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प्रिलिम्स फैक्ट्स : 20 अप्रैल, 2021

  • 20 Apr 2021
  • 8 min read

विश्व धरोहर दिवस

(World Heritage Day)

प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थलों और धरोहरों के संरक्षण हेतु जागरूकता पैदा करने के लिये ‘अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस’ अथवा ‘विश्व धरोहर दिवस’ का आयोजन किया जाता है।

  • वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम ‘कॉम्प्लेक्स पास्ट्स: डाइवर्स फ्यूचर्स’ (जटिल अतीत: विविध भविष्य) है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि

  • इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) ने वर्ष 1982 में ‘विश्व धरोहर दिवस’ की स्थापना की  थी और वर्ष 1983 में इसे ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO) की मंज़ूरी प्राप्त हुई थी।
  • इस दिवस का उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच सांस्कृतिक-ऐतिहासिक विरासत के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल

  • विश्व विरासत स्थल का आशय एक ऐसे स्थान से है, जिसे यूनेस्को द्वारा उसके विशिष्ट सांस्कृतिक अथवा भौतिक महत्त्व के कारण सूचीबद्ध किया गया है।
  • विश्व धरोहर स्थलों की सूची को ‘विश्व धरोहर कार्यक्रम’ द्वारा तैयार किया जाता है, यूनेस्को की ‘विश्व धरोहर समिति’ द्वारा इस कार्यक्रम को प्रशासित किया जाता है। 
  • यह सूची यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है।

भारत में विश्व धरोहर स्थल

  • वर्तमान में भारत में कुल 38 विश्व धरोहर स्थल मौजूद हैं।
  • इनमें से 30 ’सांस्कृतिक’ श्रेणी में हैं, जैसे कि अजंता की गुफाएँ, फतेहपुर सीकरी और हम्पी स्मारक आदि, जबकि 7 ‘प्राकृतिक’ श्रेणी में हैं, जिनमें काजीरंगा, मानस और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं।
    • वर्ष 2019 में 'जयपुर शहर' को ‘सांस्कृतिक’ श्रेणी के तहत भारत की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में 38वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
  • ‘कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान’ को ‘मिश्रित’ श्रेणी के तहत सूचीबद्ध किया गया है।

यूनेस्को 

  • यूनेस्को को वर्ष 1945 में स्थायी शांति के निर्माण के साधन के रूप में ‘मानव जाति में बौद्धिक और नैतिक एकजुटता’ विकसित करने हेतु स्थापित किया गया था। 
    • यह पेरिस, फ्रांँस में स्थित है।
  • यूनेस्को की प्रमुख पहलें
    • मानव व जीवमंडल कार्यक्रम (MAB) 
    • विश्व धरोहर कार्यक्रम
    • ग्लोबल जियोपार्क नेटवर्क
    • रचनात्मक शहरों का नेटवर्क 
    • एटलस ऑफ द वर्ल्ड्स लैंग्वेजेज़ इन डेंजर

इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) 

  • यह यूनेस्को से संबद्ध एक वैश्विक गैर-सरकारी संगठन है। यह भी पेरिस, फ्रांँस में स्थित है।
  • इसका प्राथमिक मिशन स्मारकों, परिसरों और स्थलों के निर्माण, संरक्षण, उपयोग और बढ़ोतरी को प्रोत्साहन देना है।
  • यह यूनेस्को के विश्व धरोहर सम्मेलन के कार्यान्वयन हेतु विश्व धरोहर समिति के एक सलाहकार निकाय के रूप में भी कार्य करता है।
    • इस रूप में यह सांस्कृतिक विश्व विरासतों के नामांकन की समीक्षा करता है और उनकी संरक्षण स्थिति सुनिश्चित करता है।
  • वर्ष 1965 में इसकी स्थापना वास्तुकारों, इतिहासकारों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच शुरू हुई वार्ता का तार्किक परिणाम है, जो बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में शुरू हुई और वर्ष 1964 में ‘वेनिस चार्टर’ के रूप में संपन्न हुई। 

डिस्क-फुटेड बैट

(Disk-Footed Bat)

हाल ही में भारत का पहला बाँस के वृक्षों पर रहने और चिपचिपे डिस्क (पंजों का आंतरिक हिस्सा) वाले चमगादड़ को मेघालय के नोंगखिल्लेम वन्यजीव अभयारण्य (Nongkhyllem Wildlife Sanctuary) के पास देखा गया।

Disk-Footed-Bat

प्रमुख बिंदु

डिस्क-फुट चमगादड़ के विषय में:

  • चमगादड़ की यूडिसकोपस डेंटिकुलस (Eudiscopus denticulus) प्रजाति, जिसे डिस्क-फुटेड बैट (Disk-Footed Bat) भी कहा जाता है, अँगूठे और चमकीले नारंगी रंग में प्रमुख डिस्क जैसे गद्दी (Pad) के साथ दिखने में बहुत विशिष्ट लगते हैं।
    • इसे बाँस के तना के आंतरिक भाग में पाया गया है।
  • यह प्रजाति दक्षिणी चीन, वियतनाम, थाईलैंड और म्याँमार के कुछ इलाकों में पाई जाती है।
  • यह अपने नज़दीकी निवास स्थान म्याँमार से लगभग 1,000 किमी. पश्चिम में मेघालय में नोंगखिल्लेम वन्यजीव अभयारण्य के निकट लाईलाड क्षेत्र (Lailad area) में देखी गई है।
  • IUCN की रेड लिस्ट में स्थिति: बहुत कम संकट (Least Concern)।

भारत में चमगादड़ प्रजातियों की संख्या:

  • मेघालय में चमगादडों की संख्या डिस्क-फुट चमगादड़ को पाए जाने के बाद 66 हो गई है। 
  • भारत में पाए जाने वाली चमगादड़ प्रजातियों में एक और प्रजाति की वृद्दि हो गई है। भारत में चमगादड़ की कुल 130 प्रजातियाँ हैं।

नोंगखिल्लेम वन्यजीव अभयारण्य

  • यह अभयारण्य री-भोई ज़िले में लैईलाड गाँव के पास स्थित और 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो मेघालय राज्य का एक प्रसिद्ध आकर्षण स्थल है।
  • यह अभयारण्य पूर्वी हिमालय के वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट (Eastern Himalayan Global biodiversity) में पड़ता है।
  • यह अभयारण्य विभिन्न प्रजातियों जैसे- रॉयल बंगाल टाइगर, क्लाउडेड तेंदुआ, भारतीय बाइसन, हिमालयन ब्लैक बियर आदि को पर्यावास उपलब्ध करता है।
  • यहाँ पक्षियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ जैसे- मणिपुर बुश क्वेल, रूफस नेक्ड हॉर्नबिल, ब्राउन हॉर्नबिल आदि पाई जाती हैं।
  • मेघालय के अन्य वन्यजीव अभयारण्य:
    • सिजू वन्यजीव अभयारण्य
    • नरपुह वन्यजीव अभयारण्य
    • बाघमारा पिचर पौधा अभयारण्य
    • नोकरेक नेशनल पार्क

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