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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 19 सितंबर, 2019

  • 19 Sep 2019
  • 4 min read

भारत के सबसे पूर्वी गाँव में हवाई पट्टी

  • भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग ज़िले के विजयनगर नामक गाँव में एक पुनर्निर्मित हवाई पट्टी का उद्घाटन किया है।
  • विदित हो कि अरुणाचल प्रदेश का विजयनगर गाँव भारत के सुदूर पूर्व में स्थित आखिरी गाँव है।
  • विजयनगर स्थित हवाई पट्टी तकरीबन 4,000 फीट लंबी है और वर्तमान में केवल एएन-32 (AN-32) विमान के संचालन हेतु ही प्रयोग की जा सकती है।
  • उल्लेखनीय है कि विजयनगर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ नहीं है। इस क्षेत्र का सबसे निकटतम शहर मियाओ (Miao) है, जो कि यहाँ से लगभग 157 किमी. दूर है।
  • विजयनगर तीन तरफ म्याँमार से और चौथे हिस्से में नामदफा राष्ट्रीय उद्यान (Namdapha National Park) से घिरा हुआ है।
  • 1960 के दशक में केंद्र सरकार ने असम राइफल्स के 200 से अधिक सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिवारों को इस क्षेत्र में बसाया था।
  • गोरखा परिवारों के अतिरिक्त इस क्षेत्र में लिसु जनजाति (Lisu tribe) के लोग भी रहते हैं।

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान

(Namdapha National Park)

  • यह राष्ट्रीय उद्यान भारत और म्याँमार की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग ज़िले में स्थित है।
  • यह दुनिया में एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ बड़ी बिल्लियों की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमे (1) बाघ (Tiger) (2) तेंदुआ (Leopard) (3) हिम तेंदुआ (Snow Leopard) और (4) धूमिल तेंदुए (Clouded Leopard) शामिल हैं।

बायो-फेंसिंग

(Bio- Fencing)

हाल ही में उत्तराखंड की सरकार ने वनों के निकटवर्ती क्षेत्रों में जंगली जानवरों के प्रवेश को रोकने हेतु बायो-फेंसिंग (Bio-Fencing) के प्रयोग का फैसला किया है।

  • बायो फेंसिंग के उद्देश्य
    • मानव और पशुओं के मध्य संघर्ष को कम करना
    • जंगली जानवरों को आवासीय क्षेत्रों (Residential Areas) में प्रवेश करने से रोकना
    • वनों से सटे क्षेत्रों में फसलों और पशुधन की रक्षा करना
  • उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य वन विभाग आवासीय क्षेत्रों में हाथियों, जंगली सूअरों, बाघों, तेंदुओं और अन्य जानवरों के प्रवेश को रोकने के लिये जंगल में सौर ऊर्जा से संचालित तार की बाड़, दीवारों और गड्ढों जैसे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करता रहा है।
  • बायो-फेंसिंग पौधों या झाड़ियों की पतली या संकरी पट्टीदार लाइन होती है जो जंगली जानवरों के साथ-साथ हवा के तेज़ झोंकों और धूल आदि से भी रक्षा करती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रयोग प्राचीन समय से ही किया जाता रहा है क्योंकि यह लकड़ी, पत्थर और तारों की फेंसिंग से सस्ती और ज़्यादा उपयोगी है।
  • बायो-फेंसिंग से मुख्यतः निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे:
    • इसके प्रयोग से क्षेत्र विशेष में खेती करने वाले किसानों को जंगली जानवरों से सुरक्षा प्राप्त होगी एवं उनकी फसल भी बर्बाद नहीं होगी।
    • साथ ही बायो फेंसिंग के तहत किसान लेमनग्रास (Lemongrass) उगाकर अच्छी कमाई भी कर सकते हैं, क्योंकि यह तेल का एक अच्छा स्रोत है।
    • बायो-फेंसिंग से उन पैसों को बचाने में भी मदद मिलेगी जो सरकार द्वारा दीवारों के निर्माण, गड्ढों की खुदाई और सौर ऊर्जा से संचालित वायर फेंसिंग पर खर्च किया जाता है।
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