प्रीलिम्स फैक्ट्स : 19 जनवरी, 2019 | 19 Jan 2019

वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन (Vibrant Gujarat Summit)

Vibrant Gujarat Summit


18 जनवरी, 2019 को गांधीनगर (गुजरात) स्थित महात्मा गांधी प्रदर्शनी सह सम्मेलन केंद्र (Mahatma Mandir Exhibition cum Convention Centre) में वाइब्रेंट गुजरात का 9वाँ संस्करण शुरू हुआ।

थीम- शेपिंग ए न्यू इंडिया (Shaping a New India)

  • इस सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में उज़्बेकिस्तान, रवांडा, डेनमार्क, चेक गणराज्य और माल्टा के राष्ट्र प्रमुख उपस्थित थे।
  • उद्योगजगत के प्रतिनिधियों समेत 30 हज़ार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।
  • इस शिखर सम्मलेन के भागीदार देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्राँस, जापान, मोरक्को, नॉर्वे, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, उज़्बेकिस्तान शामिल हैं.
  • यह शिखर सम्‍मेलन वैश्विक सामाजिक-आर्थिक विकास, ज्ञान साझा करने और प्रभावकारी साझेदारियाँ करने से जुड़े एजेंडे पर विचार मंथन करने के लिये एक उपयुक्‍त प्‍लेटफॉर्म सुलभ कराएगा।

पृष्ठभूमि

  • ‘वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन’ की परिकल्‍पना वर्ष 2003 में नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी जो उस समय गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे।
  • इस शिखर सम्‍मेलन के आयोजन का मुख्‍य उद्देश्‍य गुजरात को फिर से एक पसंदीदा निवेश गंतव्‍य या राज्‍य के रूप में स्‍थापित करना था।

आसियान-भारत पर्यटन मंत्रियों की बैठक (ASEAN-India Tourism Ministers meeting)


हाल ही में वियतनाम के हा लोंग (Ha Long City) शहर में आसियान (ASEAN) तथा भारत के पर्यटन मंत्रियों के बीच सातवीं बैठक का आयोजन किया गया।

  • भारत के पर्यटन मंत्री के.जे. अल्‍फोंस (K. J. Alphons) ने वियतनाम के संस्‍कृति, खेल तथा पर्यटन मंत्री के साथ पर्यटन मंत्रियों की इस बैठक की सह-अध्‍यक्षता की।
  • इस बैठक में ब्रुनेई दारेसलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्‍याँमार, फिलिपिंस, सिंगापुर तथा थाईलैंड के पर्यटन मंत्री भी शामिल हुए।
  • इस बैठक के दौरान पर्यटन मंत्रियों ने 2018 में आसियान तथा भारत के पर्यटन प्रदर्शन पर विचार किया गया। उल्लेखनीय है कि 2018 में आसियान तथा भारत में 139.5 मिलियन पर्यटकों का आगमन हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7.4 प्रतिशत अधिक है।

ASEAN

  • दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन- आसियान (Association of Southeast Asian Nations (ASEAN)) की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में की गई थी।  
  • थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर इसके संस्थापक सदस्य थे। 
  • वर्तमान में ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम इसके दस सदस्य हैं। 
  • इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है। 

 उद्देश्य 

  • आसियान के सदस्य देश आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने तथा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता कायम करने के लिये साझा प्रयास करते हैं। 
  • यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।  
  • चूँकि आसियान इस क्षेत्र को सांस्कृतिक और व्यावसायिक चौराहा प्रस्तुत करता है, इसलिये इसके पास इससे आगे बढ़कर दुनिया के व्यापक हितों को आगे बढ़ाने और संतुलित करने की अनोखी क्षमता है।

‘शूटिंग स्टार्स ऑन डिमांड’ (Shooting Stars On Demand)


हाल ही में जापान के वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार कृत्रिम उल्का पिंडो की आतिशबाजी कराने के लिये तैयार किये गए एक उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने में सफलता हासिल की है।

        • इसमें छोटे आकार के एप्सिलॉन-4 (Epsilon-4) रॉकेट की सहायता से जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (Japan Aerospace Exploration Agency-JAXA) के यूशीनौरा (Uchinoura) अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया ।
        • इसके प्रारंभिक प्रयोग को ‘शूटिंग स्टार्स ऑन डिमांड’ नाम दिया गया है।
        • यह उपग्रह ऐसे छोटे-छोटे गेंद के आकार वाले पदार्थ को अंतरिक्ष में मुक्त करेगा, जो धरती के वातावरण में प्रवेश करने पर ठीक उसी तरह जल उठेंगे जैसे प्राकृतिक उल्का पिंड।
        • उल्लेखनीय है कि ब्रह्मांड में मौजूद छोटे-छोटे उल्कापिंड या चट्टानों के टुकड़े पृथ्वी की कक्षा में घुसते ही जल जाते हैं, जिससे रोशनी प्रकट होती है और यह आतिशबाजी जैसा प्रतीत होता है।

भारत की पहली लिथियम आयन गीगा फैक्ट्री (India’s First Lithium Ion Giga Factory)


भारत में पहली लिथियम आयन गीगा फैक्ट्री के निर्माण के लिये भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (Bharat Heavy Electricals Limited-BHEL) और लिबकॉइन (Libcoin) के बीच वार्ता चल रही है।

  • इस संयंत्र की क्षमता 30 GWh (GigaWatt hours) तक बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही भारत ने ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।
  • यह परियोजना मेड बाई इंडिया, फॉर इंडिया (Made by India, for India) के तहत शुरू की जाएगी। इसके अतंर्गत प्रमुख मशीनों का निर्माण देश में किया जाएगा।

लाभ

  • इस परियोजना से ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता आएगी तथा तेल आयात में कमी होगी।
  • बिजली आधारित परिवहन व्यवस्था से उत्सर्जन में कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष के दौरान पूरे विश्व में बिजली से चलने वाली कारों की संख्या दस लाख तक पहुँच गई है और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency-IEA) ने 2030 तक पूरे विश्व में बिजली चालित कारों की संख्या 140 मिलियन होने का अनुमान लगाया है।

ली-आयन या लिथियम आयन बैटरी

  • लिथियम आयन बैटरी (lithium-ion battery या LIB) एक पुनः चार्ज करने योग्य बैटरी होती है।
  • ये बैटरियाँ आजकल के इलेक्ट्रॉनिक सामानों में प्रायः उपयोग की जाती हैं और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के लिये सबसे लोकप्रिय रिचार्जेबल बैटरियों में से एक हैं।
  • लिथियम-ऑयन बैटरी के धनाग्र और ऋणाग्र पर रासायनिक अभिक्रिया होती है। इस बैटरी का विद्युत अपघट्य, इन विद्युताग्रों के बीच लिथियम ऑयनों के आवागमन के लिये माध्यम प्रदान करता है।

सरकारी ऋण पर वार्षिक स्थिति-पत्र Status Paper on Government Debt


केंद्र सरकार ने सरकारी ऋण पर स्थिति-पत्र अथवा स्‍टैटस पेपर (Status Paper) का आठवाँ संस्‍करण जारी किया है।

  • इस स्थिति-पत्र में भारत सरकार की समग्र ऋण संबंधी स्थिति का विस्‍तृत विवरण दिया गया है।
  • केंद्र सरकार वर्ष 2010-11 से ही सरकारी ऋण पर वार्षिक स्थिति-पत्र (Annual Status Paper on Government Debt) जारी करती रही है।
  • यह स्थिति-पत्र वर्ष के दौरान ऋण संबंधी परिचालनों का विस्‍तृत विवरण प्रदान करता है और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍य ऋण प्रदर्शन संकेतकों पर आधारित सार्वजनिक ऋण के पोर्टफोलियो की स्थिति का आकलन प्रस्‍तुत करके पारदर्शिता को बढ़ाता है।
  • इस स्‍टैटस पेपर में वर्ष 2017-18 के दौरान केंद्र सरकार के राजको‍षीय घाटे के वित्‍त पोषण संबंधी परिचालनों का विस्‍तृत विवरण भी दिया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि सरकार अपने राजकोषीय घाटे के वित्‍त पोषण के लिये मुख्‍यत: बाज़ार से जुड़ी उधारियाँ लेती है। ऋण संबंधी स्‍थायित्‍व के पारंपरिक संकेतकों यथा ऋण/GDP अनुपात, कुल ऋण में अल्‍पकालिक ऋण/विदेशी कर्ज/FRB की हिस्‍सेदारी इत्‍यादि से यह पता चलता है कि सरकार का ऋण पोर्टफोलियो विशेषकर ऋण स्‍थायित्‍व पैमानों की दृष्टि से संतोषजनक है और इसमें निरंतर बेहतरी हो रही है।
  • स्‍टैटस पेपर में वर्ष 2018 से लेकर वर्ष 2021 तक के लिये केंद्र सरकार की ऋण प्रबंधन रणनीति (Debt Management Strategy) का भी उल्‍लेख किया गया है, जो सरकार की उधारी योजना का मार्गदर्शन करेगी।

भारत सरकार और JICA के बीच ऋण समझौते पर हस्ताक्षर (The Government of India and JICA sign Loan Agreements)


जापान के सरकारी विकास सहायता ऋण कार्यक्रम (Japanese Official Development Assistance Loan Program) के अंतर्गत भारत सरकार और JICA (Japan International Cooperation Agency) के बीच ऋण समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये गए।

दोनों देशों के बीच यह समझौता निम्नलिखित कार्यों के लिये किया गया है-

  • चेन्नई पेरीफेरल रिंग रोड (Chennai Peripheral Ring Road)-चरण 1 निर्माण परियोजना हेतु 40.074 बिलियन जापानी येन की सहायता।

♦ इस परियोजना का उद्देश्‍य चेन्‍नई महानगर क्षेत्र में बढ़ती यातायात मांग को पूरा करना है, जिसे चेन्‍नई बाहरी रिंग रोड (सेक्‍टर-1) बनाकर तथा इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट प्रणाली स्‍थापित करके पूरा किया जा सकता है।
♦ इससे यातायात भीड़-भाड़ में कमी होगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

  • भारत में सतत् विकास लक्ष्‍यों की दिशा में जापान-भारत सहकारी कार्य के लिये 15000 बिलियन जापानी येन की सहायता

♦ इसका उद्देश्‍य भारत में SDGs के प्रोत्‍साहन में योगदान करना, विशेषकर भारत सरकार के प्रयासों को समर्थन देकर सामाजिक विकास करना और नीति निर्माण तथा क्रियान्‍वयन व्‍यवस्‍था को मज़बूत बनाना है।

पृष्ठभूमि


भारत और जापान के बीच 1958 से ही द्विपक्षीय विकास सहयोग (Bilateral Development Cooperation) का लंबा इतिहास रहा है। भारत-जापान आर्थिक सहयोग में तेजी से प्रगति हुई है। यह भारत और जापान के बीच रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को मज़बूत बनाता है।