प्रीलिम्स फैक्ट्स: 18 जून, 2020 | 18 Jun 2020

मैगल्लानोडाॅन बैकाश्केनके

Magallanodon Baikashkenke

हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने दक्षिण अमेरिकी देश चिली के पैटागोनिया (Patagonia) में मैगल्लानोडाॅन बैकाश्केनके (Magallanodon Baikashkenke) नामक स्तनधारी से संबंधित जीव के अवशेषों का पता लगाया है जो लगभग 74 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर निवास करते थे।

Patagonia

प्रमुख बिंदु:

  • चिली के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम (Natural History Museum of Chile) के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, ये स्तनपायी छोटे थे और क्रिटेशियस युग (Cretaceous Era) के दौरान दक्षिणी पैटागोनिया में डायनासोर, मगरमच्छ, कछुए एवं पक्षियों के साथ रहते थे।
    • प्राप्त हुए ये अवशेष गोंडवानथेरिया (Gondwanatheria) समूह से संबंधित हैं जो लंबे समय से विलुप्त होने वाले शुरुआती स्तनधारियों का एक समूह है जो डायनासोर के साथ सह-अस्तित्व में रहते थे। माना जाता है कि क्रिटेशियस युग से गोंडवानथेरिया जीवों के अवशेष मिलने अत्यंत कम हो गए हैं।
  • ये अवशेष पृथ्वी पर अब तक खोजे गए सबसे पुराने अवशेषों में से एक हैं।
  • इन अवशेषों के रूप में शोधकर्त्ताओं ने मैगल्लानोडाॅन बैकाश्केनके प्रजाति के जीवों के छोटे दाँतों की खोज ‘टाॅरस डेल पाइन नेशनल पार्क’ (Torres del Paine National Park) के पास की। 

टाॅरस डेल पैने नेशनल पार्क (Torres del Paine National Park): 

  • यह दक्षिणी चिली के पैटागोनिया में पहाड़ों, ग्लेशियरों, झीलों एवं नदियों के बीच स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है।
  • ‘कॉर्डिलेरा डेल पाइन’ (Cordillera del Paine) इस पार्क का केंद्र बिंदु है। यह मैगेलैनिक सबपोलर जंगलों (Magellanic Subpolar Forests) और पैटागोनियन स्टेपीज़ (Patagonian Steppes) के बीच एक संक्रमण क्षेत्र में स्थित है।

गोंडवानथेरिया (Gondwanatheria):

  • गोंडवानथेरिया स्तनधारियों का एक विलुप्त समूह है जो ऊपरी क्रिटेशियस युग (Upper Cretaceous Era)  से लेकर एओसीन (Eocene) के अंत तक पृथ्वी पर रहते थे।
  • वे दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित महाद्वीपों में रहते थे जो गोंडवाना लैंड (Gondwana) का हिस्सा था।
  • इन स्तनधारियों को केवल पृथक दाँतों एवं कुछ निचले जबड़े से पहचाना जाता है। इन खंडित अवशेषों के कारण इन जीवों की पहचान अत्यंत अस्पष्ट हैं।

बेबी ड्रैगन

Baby Dragon

स्लोवेनिया (Slovenia) की प्रसिद्ध पोस्टोज्ना गुफाओं (Postojna Caves) में आने वाले पर्यटक जल्द ही तीन बेहद दुर्लभ जलीय जीवों को देख पाएंगे जिन्हें 'बेबी ड्रैगन' (Baby Dragon) के नाम से जाना जाता है।

Baby-Dragon

प्रमुख बिंदु:

  • आधिकारिक रूप से इन जीवों को ओल्म (Olm) कहा जाता है यह उपनाम इन प्राणियों ने मध्ययुगीन काल के दौरान अर्जित किया जब स्थानीय लोगों का मानना ​​था कि वे छिपकली जैसे दिखने के कारण ड्रैगन के वंशज थे।
  • इन तीनों ओल्म (Olm) को एक विशेष भूमिगत एक्वेरियम में रखा जाएगा जहाँ आम जनता उन्हें पहली बार वर्ष 2016 में देखने के बाद देख पाएगी।

ओल्म (Olm): 

  • सामान्य तौर पर ओल्म एक दशक में केवल एक या दो बार अंडे देता है। 
  • ये गुलाबी ईल जैसे जीव पूरी तरह से अंधे होते हैं और अक्सर अपने लंबे पतले शरीर एवं चार पैरों के कारण उन्हें 'मानव मछली' (Human Fish) कहा जाता है।
  • ओलम्स (Olms) विशेष रूप से दक्षिणी यूरोपीय कार्स्ट क्षेत्र में अंधेरी गुफाओं के जल में पाए जाते हैं। ये लंबाई में एक फुट तक बढ़ सकते हैं।
  • इन्हें IUCN की रेड लिस्ट में असुरक्षित (Vulnerable) श्रेणी में रखा गया है। 
  • शोधकर्त्ताओं का दावा है कि ओल्म्स (Olms) एक मिलियन से अधिक वर्षों से पोस्टोज्ना गुफा में रह रहे हैं।

सिज़ोथोरैक्स सिकुसिरुमेंसिस

Schizothorax Sikusirumensis

हाल ही में पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में मछली की एक नई प्रजाति सिज़ोथोरैक्स सिकुसिरुमेंसिस (Schizothorax Sikusirumensis) खोजी गई है।

Schizothorax

प्रमुख बिंदु:

  • मछली की यह नई प्रजाति सिज़ोथोरैक्स (Schizothorax) वर्ग से संबंधित है।
  • इस नई प्रजाति का नाम अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग (East Siang) ज़िले में बहने वाली नदियों [सिकु (Siku) एवं सिरुम (Sirum)] के नाम पर रखा गया है जहाँ से इसे खोजा गया था।  
    • सिरुम नदी एक ब्राकिश माउंटेन नदी (Brakish Mountain River) है।
    • सिकु (Siku), सिरुम (Sirum), सिबिया (Sibiya), सिलुक (Siluk), न्गोपोक कोरोंग (Ngopok Korong), टारो टमक (Taro Tamak) आदि अरुणाचल प्रदेश के मेबो सब-डिविजन (Mebo Sub-Division) में सियांग नदी की सहायक नदियाँ हैं।  
  • मछली की यह नई प्रजाति मूसलाधार नदी के जल भराव वाले क्षेत्र में निवास करती है।

विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस 

World Day to Combat Desertification and Drought

प्रत्येक वर्ष 17 जून को 'विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस’ (World Day to Combat Desertification and Drought) मनाया जाता है।  

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थीम:

  • इस वर्ष इस दिवस की थीम ‘फूड-फीड-फाइबर’ (Food-Feed-Fibre) है।

उद्देश्य:

  • इस दिवस का उद्देश्य मरुस्थलीकरण एवं सूखे की चुनौती से निपटने के लिये किये जा रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना है।
  • इस दिवस के अन्य उद्देश्यों में विशेष रूप से अफ्रीका महाद्वीप में गंभीर सूखे या मरुस्थलीकरण का सामना करने वाले देशों में संयुक्त राष्ट्र के मरुस्थलीकरण रोकने वाले कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को मज़बूत करना है। 

प्रमुख बिंदु: 

  • इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी। मरुस्थलीकरण एवं सूखा दिवस (Desertification and Drought Day) को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था। 
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मरुस्थलीकरण एवं सूखा दिवस- 2020 मुख्य रूप से ‘उपभोग एवं भूमि के बीच संबंधों’ पर केंद्रित होगा।
  • उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर 23% भूमि अब उत्पादक नहीं है और 75% भूमि को उसकी प्राकृतिक स्थिति से बदल कर कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिया गया है। भूमि उपयोग के इस परिवर्तन में पिछले 50 वर्षों में अधिक तेज़ी आई है।