प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 18 सितंबर, 2019
- 18 Sep 2019
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इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (सिम्स)
(Steel Import Monitoring System-SIMS)
16 सितंबर, 2019 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस्पात आयात निगरानी प्रणाली लॉन्च की।
- यह प्रणाली संयुक्त राज्य इस्पात आयात निगरानी और विश्लेषण (Steel Import Monitoring and Analysis-SIMA) प्रणाली के अनुरूप इस्पात मंत्रालय के परामर्श से विकसित की गई है।
- सिम्स सरकार और इस्पात उद्योग (उत्पादक) तथा इस्पात उपभोक्ता (आयातक) सहित हितधारकों को इस्पात आयातों के बारे में अग्रिम सूचना देगा, ताकि कारगर नीतिगत दखल दिया जा सके।
- इस प्रणाली के तहत विशेष इस्पात उत्पादों के आयातकों को सिम्स के वेबपोर्टल पर आवश्यक सूचना देते हुए अग्रिम रूप से पंजीकरण कराना होगा। यह पंजीकरण ऑनलाइन किया जाएगा।
- आयातित माल के आगमन की संभावित तारीख के पहले आयातक पंजीकरण के लिये आवेदन कर सकते हैं। यह पंजीकरण माल आगमन के 60वें दिन से पहले और 15वें दिन के बाद नहीं किया जाना चाहिये।
- स्वचालित आधार पर प्राप्त होने वाली पंजीकरण संख्या 75 दिन की अवधि तक मान्य रहेगी।
- सिम्स पर आयातकों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली इस्पात आयात सूचना की निगरानी इस्पात मंत्रालय करेगा।
- यह 1 नवंबर, 2019 से प्रभावी होगी।
‘अस्त्र’ मिसाइल
(Astra Missile)
ओडिशा के समुद्रतट पर Su-30 MKI से हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल (Air-to-Air missile) ‘अस्त्र’ का सफल परीक्षण किया गया।
- अस्त्र भारत की पहली स्वदेश निर्मित दृश्य सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल (BVRAAM) है।
- इसकी मारक क्षमता 100 किमी. से अधिक है।
- इसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है।
- DRDO ने ‘अस्त्र’ प्रक्षेपास्त्र को मिराज 2000 H, मिग 29, सी हैरियर, मिग 21, HAL तेजस और SU-30 विमानो में लगाने के लिये विकसित किया है।
- इसमें ठोस ईंधन प्रणोदक का इस्तेमाल किया जाता है।
टाइलोफोरा बालकृष्णनी तथा टाइलोफोरा नेग्लेक्टा
(Tylophora balakrishnanii and Tylophora neglecta)
शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने पश्चिमी घाट के शोला जंगलों से एसक्लीपिएडेसी (Asclepiadaceae) या मिल्कवीड (Milkweed) वर्ग से संबंधित दो नई पौधों की प्रजातियों की खोज की है।
- पौधे के भागों में पाए जाने वाले लेटेक्स और रोमगुच्छ (Pappus) के रूप में उपस्थित बीज एसक्लीपिएडेसी वर्ग के पौधों की सामान्य विशेषताएँ हैं।
- शोधकर्त्ताओं द्वारा की गई इस खोज को पर्यावरण एवं जैव विविधता पर एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका नेबियो (NeBIO) में प्रकाशित किया गया है।
- शोधकर्त्ताओं को 5-6 टाइलोफोरा बालकृष्णनी और 15-16 टाइलोफोरा नेग्लेक्टा पौधे मिले हैं जो पश्चिमी घाटों के पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्रों के लिये एक संरक्षण रणनीति की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
टाइलोफोरा बालकृष्णनी
- टाइलोफोरा बालकृष्णनी की खोज वायनाड के थोलायिरम शोला (Thollayiram shola) में की गई है जो कि नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व के अंतर्गत एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
- इस पौधे के फूल लाल-गुलाबी होते हैं और पौधों की यह प्रजाति तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले पौधे टाइलोफोरा फ्लेक्स ओसा (Tylophora flexuosa) के समान होती है। लेकिन इसके पुष्प के भागों का विन्यास और संरचना भिन्न होती है।
- इसका नामकरण केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य-सचिव और एम.एस. स्वामिनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF), वायनाड के पूर्व निदेशक वी. बालकृष्णन के नाम पर किया गया है।
टाइलोफोरा नेग्लेक्टा
- इसकी खोज कोल्लम में Achencoil वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाली थूवल माला पहाड़ी (Thooval Mala hill) पर स्थित शोला वन में की गई है।
- इसकी प्रजाति के फूल एक-साथ बैंगनी और सफेद रंग के होते हैं। इसकी पत्तियाँ मोटी और काँटेदार होती हैं।