प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 17 नवंबर, 2020
- 17 Nov 2020
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कोच्चि-मंगलौर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना
Kochi-Mangalore Natural Gas Pipeline Project
गेल इंडिया (GAIL India) द्वारा क्रियान्वित की जा रही 444 किलोमीटर लंबी कोच्चि-मंगलौर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना (Kochi-Mangalore Natural Gas Pipeline Project) के तहत उत्तरी केरल में चंद्रगिरि नदी (Chandragiri River) पर 540 मीटर लंबे पाइपलाइन परियोजना कार्य को पूरा कर लिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- 2915 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 444 किलोमीटर लंबी इस प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना को वर्ष 2009 में लॉन्च किया गया था और इसे वर्ष 2014 में चालू किया जाना था।
- सुरक्षा एवं वाणिज्यिक आधारों पर विरोध ( जिसमें ज़मीन की कीमत मुख्य बाधा थी) के कारण इस परियोजना की लागत दो गुनी अर्थात् लगभग 5750 करोड़ से अधिक हो गई है।
- नवंबर 2020 के अंत तक प्राकृतिक गैस 444 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के माध्यम से मंगलौर पहुँच जाएगी।
कुट्टनाड (Koottanad): पाइपलाइन परियोजना का मुख्य जंक्शन
- जून 2019 में कोच्चि से 90 किलोमीटर उत्तर में पलक्कड़ ज़िले में कुट्टनाड तक पाइपलाइन बिछाई गई। कुट्टनाड इस परियोजना का मुख्य जंक्शन है, क्योंकि यहाँ से पाइपलाइन मंगलौर एवं बंगलूरू तक जाती है।
- इस परियोजना के पहले चरण की शुरुआत अगस्त 2013 में हुई थी, जबकि अडानी गैस द्वारा फरवरी 2016 से कोच्चि महानगरीय क्षेत्र में औद्योगिक एवं घरेलू आपूर्ति शुरू की गई थी।
लाभ:
- पाइपलाइन के शुरू होने से राज्य में गैस की मांग वर्तमान के 60 मिलियन घनमीटर से बढ़कर 80-90 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रतिवर्ष हो जाएगी।
- केरल से गुज़रने वाली पाइपलाइन सात ज़िलों (एर्नाकुलम, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझीकोड, कन्नूर और कासरगोड) के साथ पहाड़ी वायनाड ज़िले में गैस की आपूर्ति करेगी।
चंद्रगिरि नदी (Chandragiri River):
- पयस्विनी (Payaswini), जिसे चंद्रगिरि के नाम से भी जाना जाता है, भारत के केरल राज्य में कासरगोड ज़िले की सबसे बड़ी नदी है।
- इस नदी का उद्गम कर्नाटक राज्य के कूर्ग ज़िले के एक आरक्षित वन में पट्टी घाट पहाड़ियों से होता है।
- यह केरल के कई शहरों से होती हुई अंत में कासरगोड शहर तक पहुँचती है जहाँ यह अरब सागर में मिलती है।
स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट
SpaceX’s Crew Dragon Spacecraft
नासा के इतिहास में पहली वाणिज्यिक मानव अंतरिक्षयान प्रणाली के हिस्से के रूप में स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट (Crew Dragon Spacecraft) जिसे रेसिलिएंस (Resilience) कहा जाता है, के माध्यम से चार अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल ‘कैनेडी स्पेस सेंटर’ (Kennedy Space Center) से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये रवाना हुआ।
प्रमुख बिंदु:
- इस चालक दल में तीन अमेरिकी नागरिक व एक जापानी नागरिक शामिल है। चारों अंतरिक्ष यात्री अनुसंधान के लिये अंतरिक्ष स्टेशन पर छह महीने बिताएंगे।
- क्रू-1 (Crew-1) ISS के लिये एक फाल्कन 9 रॉकेट पर स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्षयान की पहली परिचालन उड़ान है और वर्ष 2020-21 के दौरान निर्धारित तीन ऐसी उड़ानों में से पहली उड़ान है।
क्रू-1 मिशन (Crew-1 Mission):
- यह 6 क्रू मिशनों में से पहला है जिसमें नासा और स्पेसएक्स वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम (Commercial Crew Program) के हिस्से के रूप में कार्य करेंगे। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष तक पहुँच को आसान बनाने के लिये लागत में कमी लाना तथा शोधकार्यों को बढ़ावा देना है ताकि कार्गो एवं चालक दल को ISS तक और अधिक आसानी से ले जाया जा सके।
- यह कार्यक्रम नासा जैसी एजेंसियों के लिये अंतरिक्ष में जाने की लागत को कम करने का एक तरीका है और किसी भी व्यक्ति के लिये वाणिज्यिक रॉकेट का टिकट खरीदना भी संभव बनाता है।
- इसलिये क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च को अंतरिक्ष यात्रा में एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
- सितंबर 2014 में बोइंग (Boeing) और स्पेसएक्स (SpaceX) का चयन नासा द्वारा किया गया था ताकि यूएस से ISS में चालक दल को स्थानांतरित करने के लिये परिवहन प्रणालियों को विकसित किया जा सके।
- गौरतलब है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और स्पेसएक्स कंपनी (SpaceX) ने COVID-19 जैसी स्थिति के बावजूद मई, 2020 को अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने हेतु डेमो-2 मिशन (Demo-2 Mission) लॉन्च किया था।
पोलावरम बाँध
Polavaram Dam
16 नवंबर, 2020 को आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि पोलावरम बाँध (Polavaram Dam) की ऊँचाई कम नहीं होगी और यह बहुउद्देशीय परियोजना अगले वर्ष पूरी हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु:
- पोलावरम परियोजना आंध्र प्रदेश में पूर्वी गोदावरी ज़िले और पश्चिम गोदावरी ज़िले में गोदावरी नदी पर बहुउद्देश्यीय सिंचाई हेतु निर्माणाधीन राष्ट्रीय परियोजना है।
- इसका जलाशय डुम्मुगुडेम एनीकट (Dummugudem Anicut) अर्थात् (मुख्य नदी के किनारे पोलावरम बाँध से लगभग 150 किमी. पीछे) और साबरी नदी के किनारे लगभग 115 किमी. तक फैला हुआ है।
- इस बाँध की अधिकतम ऊँचाई 48 मीटर निर्धारित है।
- इस बहुउद्देशीय परियोजना के तहत गोदावरी नदी पर मिट्टी एवं पत्थर से युक्त बाँध का निर्माण किया जा रहा है।
- इस परियोजना से लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी, साथ ही 960 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली उत्पन्न की जाएगी।
- इस परियोजना के आसपास के 540 गाँवों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी जिससे विशाखापत्तनम, पूर्वी गोदावरी एवं पश्चिमी गोदावरी और कृष्णा ज़िलों में रहने वाले लगभग 25 लाख लोग लाभान्वित होंगे।
गोदावरी नदी:
- गोदावरी प्रायद्वीपीय भाग का सबसे बड़ा नदी तंत्र है।
- यह महाराष्ट्र में नासिक ज़िले से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- इसकी सहायक नदियाँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों से गुज़रती हैं। यह 1465 किलोमीटर लंबी नदी है।
- इसके जलग्रहण क्षेत्र का 49% भाग महाराष्ट्र में 20% भाग मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में और शेष भाग आंध्र प्रदेश में पड़ता है।
- पेनगंगा, इंद्रावती, प्राणहिता और मंजरा इसकी मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
- गोदावरी बेसिन में स्थित कलसुबाई (Kalsubai), महाराष्ट्र की सबसे ऊँची चोटी है।
- कृष्णा-गोदावरी बेसिन संकटग्रस्त ओलिव रिडले समुद्री कछुओं (Olive Ridley Sea Turtle) के प्रमुख निवास स्थलों में से एक है।
- गोदावरी संकटग्रस्त फ्रिंज्ड-लिप्पड कार्प (Fringed-Lipped Carp) अर्थात् लाबियो फिम्ब्रिएटस (Labeo fimbriatus) का निवास स्थल भी है। यह मछली की एक प्रजाति है।
- गोदावरी डेल्टा में अवस्थित कोरिंगा मैंग्रोव वन क्षेत्र (Coringa Mangrove Forests) के एक हिस्से को कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य (Coringa Wildlife Sanctuary) घोषित किया गया है।
- गोदावरी बेसिन में अवस्थित प्रमुख अभयारण्य/राष्ट्रीय पार्क/टाइगर रिज़र्व:
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