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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 अगस्त, 2019

  • 17 Aug 2019
  • 11 min read

4 उत्पादों को GI टैग देने की घोषणा

हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्‍यापार संवर्द्धन (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) विभाग द्वारा 4 उत्पादों को GI टैग देने की घोषणा की गई जिनमें तमिलनाडु राज्य के डिंडीगुल ज़िले के पलानी शहर के पलानीपंचामिर्थम, मिज़ोरम राज्य के तल्लोहपुआन एवं मिज़ो पुआनचेई वस्त्र और केरल के तिरुर का पान का पत्‍ता शामिल है।

पलानीपंचामिर्थम (PalaniPanchamirtham)

  • तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले के पलानी शहर की पलानी पहाडि़यों में अवस्थित अरुल्मिगु धान्‍दयुथापनी स्‍वामी मंदिर के पीठासीन देवता भगवान धान्‍दयुथापनी स्‍वामी के अभिषेक से जुड़े प्रसाद को पलानीपंचामिर्थम कहते हैं।
  • इस अत्‍यंत पावन प्रसाद को एक निश्चित अनुपात में पाँच प्राकृतिक पदार्थों यथा- केला, गुड़-चीनी, गाय का घी, शहद और इलायची को मिलाकर बनाया जाता है।पहली बार तमिलनाडु के किसी मंदिर के प्रसादम को जीआई टैग(GI Tag) दिया गया है।

तवलोहपुआन (Tawlhlohpuan)

  • यह मिज़ोरम का एक भारी, मज़बूत एवं उत्‍कृष्‍ट वस्‍त्र है, जो तने हुए धागों की बुनाई और जटिल डिज़ाइन के लियेजाना जाता है। इसे हाथ से बुना जाता है।
  • मिज़ो भाषा में तवलोह का मतलब एक ऐसी मज़बूत चीज़ होती है जिसे पीछे नहीं खींचा जा सकता है। मिज़ो समाज में तवलोहपुआन का विशेष महत्‍व है और इसे पूरे मिज़ोरम राज्‍य में तैयार किया जाता है। आइज़ोल और थेनज़ोल शहर इसके उत्पादन के मुख्य केंद्र हैं।

मिज़ो पुआनचेई (Mizo Puanchei)

  • यह मिज़ोरम का एक रंगीन मिज़ो शॉल/ वस्‍त्र है जिसे मिज़ो वस्‍त्रों में सबसे रंगीन वस्‍त्र माना जाता है। 
  • मिज़ोरम की प्रत्‍येक महिला का यह एक अनिवार्य वस्‍त्र है और यह इस राज्य में यह शादी की अत्‍यंत महत्त्वपूर्ण पोशाक है।
  • मिज़ोरम में मनाए जाने वाले उत्‍सव के दौरान नृत्‍य और औपचारिक समारोह में आमतौर पर इस पोशाक का ही उपयोग किया जाता है।

केरल के तिरुर का पान का पत्‍ता (Tirur Betel leaf)

  • इसकी खेती मुख्‍यत:तिरुर, तनूर, तिरुरांगडी, कुट्टिपुरम, मलप्पुरम और मलप्‍पुरम ज़िले के वेंगारा प्रखंड की पंचायतों में की जाती है। 
  • इसके सेवन से अच्‍छे स्‍वाद का अहसास होता है और साथ ही इसमें औषधीय गुण भी हैं। आमतौर पर इसका उपयोग पान मसाला बनाने में किया जाता है और इसके कई औषधीय, सांस्‍कृतिक एवं औद्योगिक उपयोग भी हैं।

GI टैग या पहचान उन उत्‍पादों को दिया जाता है जो किसी विशिष्‍ट भौगोलिक क्षेत्र में ही पाए जाते हैं और उनमें वहाँ की स्‍थानीय विशेषताएँ अंतर्निहित होती हैं। वास्तव में GI टैग लगे किसी उत्‍पाद को खरीदते वक्‍त ग्राहक उसकी विशिष्‍टता एवं गुणवत्‍ता को लेकर आश्‍वस्‍त रहते हैं।


आदि महोत्सव

(Aadi Mahotsav

लेह-लद्दाख में 17 से 25 अगस्त, 2019 तक आदि महोत्सव का रंगारंग आयोजन किया जा रहा है। इसका आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) की ओर से किया जा रहा है।

  • इस महोत्सव का विषय ‘जनजातीय कला, संस्कृति और वाणिज्य की भावना का उत्सव’ (A celebration of the spirit of Tribal Craft, Culture and Commerce) है। इसमें ट्राइफेड ‘सेवा प्रदाता’ एवं ‘मार्केट डेवलपर’ की भूमिका निभाएगा।
  • इस महोत्सव में देश भर के 20 से ज्यादा राज्यों के लगभग 160 जनजातीय कारीगर सक्रिय रूप से भाग लेंगे और अपनी उत्कृष्ट कारीगरी का प्रदर्शन करेंगे।
  • इस दौरान प्रदर्शित किए जाने वाले उत्पादों में राजस्थान, महाराष्ट्र, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल के जनजातीय वस्त्र; हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के जनजातीय आभूषण; मध्य प्रदेश की गोंड चित्रकला जैसी जनजातीय चित्रकारी; महाराष्ट्र की वर्ली कला, छत्तीसगढ़ की धातु शिल्प, मणिपुर की ब्लैक पॉट्ररी और उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के ऑर्गेनिक उत्पाद शामिल हैं।
  • इस आयोजन के दौरान दो प्रतिष्ठत स्थानीय सांस्कृतिक समूह लद्दाखीलोक नृत्य- जाबरो नृत्य और स्पाओ नृत्य प्रस्तुत करेंगे।
  • इस महोत्सव के दौरान (क) जनजातीय कार्य मंत्रालय की वन धन योजना के अंतर्गत मूल्यवर्द्धन और विपणन योग्य खाद्य एवं वन उत्पादों और (ख) ट्राइब्स इंडिया के आपूर्तिकर्ताओं के रूप में पैनल में शामिल कारीगर और शिल्पकार तथा लद्दाख की महिलाओं की पहचान की जाएगी।
  • इन उत्पादों को देश भर में ट्राइब्स इंडिया द्वारा संचालित 104 खुदरा दुकानों और दुनिया भर के 190 देशों में एमेजॉन के माध्यम से बेचा जाएगा, जिसके साथ ट्राइब्स इंडिया का करार है।

वर्चुअल कोर्ट 

(Virtual court)

न्यायालय में उपस्थित हुए बिना किसी मुकदमे का ऑनलाइन समाधान करने की सुविधा की आवश्यकता को देखते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फरीदाबाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Confrencing) के माध्यम से अपना पहला वर्चुअल न्यायालय (virtual court) शुरू किया।

  • न्यायालय वर्चुअल कोर्ट के मध्यम से राज्य भर में ट्रैफिक चालान के मामलों को निपटाएगी। यह परियोजना भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के मार्गदर्शन में शुरू की जाएगी।
  • इस परियोजना के तहत, वर्चुअल कोर्ट में प्राप्त मामलों को जुर्माने की स्वचलित गणना के साथ स्क्रीन पर न्यायाधीश द्वारा देखा जा सकता है। सम्मन जेनरेट होने के बाद, आरोपी को ईमेल पर या एक टेक्स्ट मैसेज के जरिए जानकारी मिलती है।
  • आरोपी वर्चुअल कोर्ट की वेबसाइट पर जाकर CNR नंबर, उसका नाम या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर के साथ केस सर्च कर सकता है।
  • आरोपी के दोषी होने पर जुर्माना राशि ऑनलाइन प्रदर्शित की जाएगी और आरोपी जुर्माना ऑनलाइन ही अदा कर सकेगा। सफल भुगतान और जुर्माना राशि की वसूली पर मामला स्वतः ही निपट जाएगा।
  • यदि आरोपी अपना दोष स्वीकार न करे तो ऐसे मामलों को संबंधित न्यायालयों के साथ नियमित न्यायालयों में भेज दिया जाएगा।
  • निपटान की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कुछ ही घंटों में पूरी हो जाएगी। इससे न्यायालयों में भीड़भाड़ कम हो जाएगी क्योंकि अभियुक्तों को दोषी ठहराने के लिये न्यायालय का दौरा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

दिल्ली ड्रैगनफ्लाई उत्सव

(Delhi dragonfly day)

18 अगस्त, 2019 से वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री (BNHS) के सहयोग से दिल्ली तथा उसके पड़ोसी क्षेत्रों में एक महीने तक ड्रैगन फ्लाई फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा।

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  • यह उत्सव ड्रैगनफ्लाईज़ और डैम्सलफ्लाईज़ को समर्पित दूसरा ऐसा आयोजन है जिसका उद्देश्य इनकी जनगणना करना और इनके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • ये कीट किसी क्षेत्र के पारिस्थितिक स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण जैव-संकेतक के रूप में कार्य करते हैं। ड्रैगनफ्लाईज़ मच्छरों और अन्य कीड़ों को खाते हैं जो कि मलेरिया और डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियों के वाहक हैं।
  • इनकी पहली जनगणना पिछले साल की गई थी, जिसने NCR में इन कीड़ों की कुल 51 विभिन्न प्रजातियों का खुलासा किया था।
  • ये मच्छरों की आबादी को कम करने के लिये सबसे अच्छे शिकारियों में से हैं। यह बड़ी संख्या में मच्छरों के लार्वा भी खाते हैं। ये दिल्ली के शहरी जंगल में मच्छरों की समस्या का समाधान हो सकते हैं।
  • इस उत्सव में प्रतिभागियों को कई समूहों में विभाजित किया जाएगा और सर्वेक्षण के लिये दिल्ली-NCR में विभिन्न स्थानों का दौरा किया जाएगा। BNHS और WWF के विशेषज्ञ इस कार्य में उनका साथ देंगे और उन्हें कीड़ों और उनके आवास के बारे में प्रशिक्षित करेंगे।
  • इस दौरान स्वयंसेवकों को कीड़ों के लिये कृत्रिम निवास स्थान बनाने के अलग-अलग तरीके सिखाए जाएंगे, जो उनके प्रजनन के लियेअनुकूल होंगे।
  • ये प्रजातियाँ हमारे आसपास के वातावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जबकि नागरिकों को उनके महत्त्व के बारे में बहुत कम जानकारी है। 
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