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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 14 सितंबर, 2020

  • 14 Sep 2020
  • 13 min read

इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स

Indian Brain Templates

‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान’ (National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences- NIMHANS) के न्यूरोसाइंटिस्टों की एक टीम द्वारा विकसित ‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ (Indian Brain Templates- IBT) और एक मस्तिष्क एटलस का उपयोग करके जल्द ही भारत में न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन एवं मनोचिकित्सक अपने मरीज़ों के मस्तिष्क संरचना का मानचित्र बना सकते हैं और उसका सटीक आकलन कर सकते हैं।

Human-Brain-Functions

प्रमुख बिंदु:

  • न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने भारतीय मरीज़ों के 500 से अधिक ब्रेन स्कैन का अध्ययन किया जिनमें भारतीय मस्तिष्कों के पाँच सेट एवं पाँच वर्ष तक के बच्चों के लिये एक मस्तिष्क एटलस (बचपन से वयस्कता) तक को कवर करने के लिये विकसित किया है।
  • मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंडेक्स’ (Montreal Neurological Index-MNI) टेम्पलेट जिसे वर्तमान में उपयोग किया जाता है वह काॅकेशियन दिमाग (Caucasian Brains) पर आधारित है।

काॅकेशियन जाति (Caucasian Race):

  • काॅकेशियन जाति, मानव जाति का एक पुराना वर्ग समूह है जो ऐतिहासिक प्रजाति वर्गीकरण पर आधारित है।
  • इस समूह में आमतौर पर यूरोप, पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, उत्तरी अफ्रीका एवं हॉर्न ऑफ अफ्रीका की आबादी शामिल है।
  • 18वीं शताब्दी में यूरोपीय विद्वानों का मानना था कि मानव प्रजाति का उद्गम काॅकेशस पर्वत क्षेत्र में हुआ था। इसी काॅकेशस पर्वत के नाम पर काॅकेशियन जाति का नामकरण किया गया।      

‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान’ (NIMHANS): 

  • यह मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में मरीज़ देखभाल एवं अकादमिक खोज के लिये एक बहु-विषयक संस्थान है।
  • यह कर्नाटक के बंगलुरु में स्थित एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है।
  • यह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्वायत्त रूप से संचालित राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान है।
  • एमएनआई टेम्पलेट (MNI Template) उत्तरी अमेरिका में शहरी आबादी के सिर्फ एक छोटे से भाग के औसतन 152 स्वस्थ्य मस्तिष्क स्कैन द्वारा बनाया गया था।
  • किंतु काॅकेशियन मस्तिष्क, एशियाई मस्तिष्क से अलग है। जबकि कुछ देशों में मस्तिष्क को मापने के लिये अपने-अपने पैमाने हैं और भारत अभी भी काॅकेशियान मस्तिष्क के टेम्पलेट पर निर्भर है।
  • ‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ (IBT) और मस्तिष्क एटलस से संबंधित शोध को ह्यूमन ब्रेन मैपिंग’ (Human Brain Mapping) पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।

लाभ:

  • ‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ एवं मस्तिष्क एटलस, स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर एवं विक्षिप्तता (Dementia) जैसे न्यूरोलॉजिकल विकारों वाले रोगियों का अधिक सटीक संदर्भित मानचित्र प्रदान करेंगे। 
  • ये टेम्प्लेट एवं एटलस मानव मस्तिष्क एवं मनोवैज्ञानिक कार्यों के अध्ययन में संबंधित जानकारी को और अधिक उपयोगी बनाने में मदद करेंगे।
  • इससे ‘अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (Attention Deficit Hyperactivity Disorder- ADHD), आत्मकेंद्रित, पदार्थ निर्भरता, सिज़ोफ्रेनिया जैसी मनोरोग संबंधी बीमारियों के बारे में चिकित्सकों को समझने में आसानी होगी।


हिंदी दिवस- 2020

Hindi Diwas- 2020

प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है।  

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प्रमुख बिंदु:

  • भारत में 14 सितंबर, 1949 संविधान सभा ने भारत संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी भाषा को स्वीकृति दी जिसे भारत के संविधान द्वारा अनुमोदित किया गया था जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था।
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया।
  • हालाँकि हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों को आज़ादी के बाद भारत की भाषा के रूप में चुना गया और संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेज़ी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया किंतु वर्ष 1949 में 14 सितंबर के दिन संविधान सभा ने हिंदी को ही भारत की राजभाषा घोषित किया। 
  • राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के आग्रह पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
    • पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था। 
  • हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली पाँच भाषाओं में से एक है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।


सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन

Singapore Convention on Mediation

12 सितंबर, 2020 को व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिये निपटान ढाँचा जिसे सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन (Singapore Convention on Mediation) भी कहा जाता है, लागू हो गयाl   

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प्रमुख बिंदु:

यह भारत एवं विश्व के अन्य देशों जो इस अभिसमय पर हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं, में व्यवसायों से जुड़े कॉर्पोरेट विवादों की मध्यस्थता करने हेतु एक अधिक प्रभावी तरीका प्रदान करेगाl 

इसे ‘यूनाइटेड नेशंस कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल सेटलमेंट एग्रीमेंट रिज़ल्टिंग फ्रॉम मेडिएशन’ (United Nations Convention on International Settlement Agreements Resulting from Mediation) के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंगापुर के नाम पर होने वाली संयुक्त राष्ट्र की पहली संधि भी है। 

इस अभिसमय के तहत सामंजस्य एवं सरलीकृत प्रवर्तन ढाँचा समय एवं कानूनी लागतों में बचत को बढ़ावा देगा जो अनिश्चितता के समय व्यवसायों के लिये महत्वपूर्ण है जैसे- वर्तमान COVID-19 महामारी के दौरान।

1 सितंबर, 2020 तक इस अभिसमय पर 53 हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं जिनमें भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हैं। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र संधि को अपनाया था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह अधिकृत किया था कि यह कन्वेंशन 7 अगस्त, 2019 को सिंगापुर में होने वाले एक समारोह तक हस्ताक्षर के लिये खुला रहेगा और इसे ‘सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन (Singapore Convention on Mediation) के रूप में जाना जाएगा।

यह संधि मध्यस्थता के परिणामस्वरूप होने वाले अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों को लागू करने के लिये एक समान और कुशल तंत्र उपलब्ध कराती है।

यह अभिसमय मध्यस्थता के माध्यम से कॉर्पोरेट विवादों का त्वरित निपटान करके भारत को अपनी व्यापार साख को बढ़ावा देने में मदद करेगा।     

इस अभिसमय के लागू होने के बाद भारत एवं दुनियाभर के व्यवसायों में मध्यस्थता के माध्यम से सीमा पार विवादों को हल करने में अधिक निश्चितता होगी।


कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन

Krishna-Godavari (KG) basin

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान ‘अघरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Agharkar Research Institute- ARI) के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गये एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन [Krishna-Godavari (KG) basin] में जमा मीथेन हाइड्रेट बायोजेनिक (Biogenic) मूल के हैं।

प्रमुख बिंदु: 

यह अध्ययन DST-SERB युवा वैज्ञानिक परियोजना के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया था जिसका शीर्षक ‘एलुसिडेटिंग द कम्युनिटी स्ट्रक्चर ऑफ मेंथोजेनिक आर्चेए इन मीथेन हाइड्रेट’ (Elucidating The Community Structure of Methanogenic Archaea in Methane Hydrate) था। 

मीथेन हाइड्रेट का निर्माण उस समय होता है जब महासागरों में उच्च दबाव एवं कम तापमान पर हाइड्रोजन-बांडेड जल एवं मीथेन गैस एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं।

मीथेन एक स्वच्छ एवं किफायती ईंधन है। माना जाता है कि एक घन मीटर मीथेन हाइड्रेट में 160-180 घन मीटर मीथेन होता है।

केजी बेसिन में मीथेन हाइड्रेट्स में मौजूद मीथेन दुनिया भर में उपलब्ध जीवाश्म ईंधन भंडार का दोगुना है। 

शोधकर्त्ताओं के अनुसार, कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन और अंडमान एवं महानदी के तट के पास बायोजेनिक मूल के मीथेन हाइड्रेट का निक्षेपण संबद्ध मिथोजेनिक समूह के अध्ययन के लिये आवश्यक है।

शोधकर्त्ताओं के अनुसार, अभी तक मीथेन हाइड्रेट वाले तलछट से जुड़े मिथेनोजेनिक (Methanogenic) समुदायों से संबंधित अत्यंत कम अन्वेषण हुए हैं। 

आण्विक एवं संवर्द्धन तकनीकों का उपयोग करने वाले इस अध्ययन से केजी बेसिन में अधिकतम मिथेनोजेनिक विविधता का पता चला है जो अंडमान द्वीपीय तट एवं महानदी बेसिनों की तुलना में यहाँ (केजी बेसिन) बायोजेनिक मीथेन के अधिक स्रोत होने की पुष्टि करता है। 

इस बेसिन में जमा होने वाला मीथेन हाइड्रेट एक समृद्ध स्रोत है जो मीथेन (एक प्राकृतिक गैस) की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।

मीथेन हाइड्रेट से संबंधित इस शोध को 'मरीन जीनोमिक्स' (Marine Genomics) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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