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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 03 अगस्त, 2019

  • 03 Aug 2019
  • 11 min read

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड 2019

(Ramon Magsaysay Award 2019)

भारतीय पत्रकार रवीश कुमार को वर्ष 2019 के रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

  • वर्ष 2018 में यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों में सोनम वांगचुक (लद्दाख के एक शिक्षा सुधारक) और भरत वटवानी (एक मनोचिकित्सक जो मुंबई में मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिये कार्य करते हैं) पुरस्कार के विजेताओं में शामिल थे।
  • बीते 12 वर्षों में यह पहली बार है जब किसी भारतीय पत्रकार को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व अरविंद केजरीवाल, अरुणा रॉय और संजीव चतुर्वेदी सहित कई अन्य लोगों को भी यह पुरस्कार मिल चुका है।
    • पुरुस्कार के अन्य विजेता:
    • पत्रकार को स्वे विन, म्यांमार
    • मानवाधिकार कार्यकर्त्ता अंगखाना नीलापाइजित, थाईलैंड
    • संगीतकार रैयमुंडो पुजंते, फिलीपीन
    • किम जोंग, दक्षिण कोरिया, युवाओं में हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर काम करने वाले कार्यकर्त्ता

Ramon Magsaysay Award 2019

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड

  • यह एशिया का सर्वोच्च सम्मान है जिसकी शुरुआत वर्ष 1957 में की गई थी।
  • इसका नाम फिलीपींस गणराज्य के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे के नाम पर रखा गया है।
  • मुख्य रूप से यह पुरस्कार पाँच श्रेणियों, (1) सरकारी सेवा (2) सार्वजनिक सेवा (3) सामुदायिक नेतृत्व (4) पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला और (5) शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझ, में लोगों एवं संस्थाओं को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिये दिया जाता है।
  • इस पुरस्कार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशिया के नोबेल पुरस्कार के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

आदर्श स्मारक योजना

(Adarsh Smarak Scheme)

हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय (Union Ministry of Culture) ने अपना 100 दिवसीय एजेंडा जारी किया है जिसमें आदर्श स्मारक योजना के तहत शामिल 100 से अधिक प्रमुख स्मारकों के आस-पास वर्षा जल संचयन हेतु गड्ढों की खुदाई करना भी शामिल है।

  • अन्य पहलों में दो दर्ज़न स्थानों, जहाँ बड़ी संख्या में भक्त प्रार्थना अथवा आरती के लिये एकत्रित होते हैं, पर बड़ी स्क्रीन और ऑडियो सिस्टम स्थापित करना तथा ग्रामीण छात्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये के 25 चलते-फिरते विज्ञान संग्रहालयों (Science Museum on Wheels) को शुरू करना शामिल है।

योजना के बारे में

इस योजना की शुरुआत वर्ष 2014 में ऐतिहासिक स्मारकों में आगंतुकों (मुख्यतः शारीरिक रूप से अक्षम लोग) को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराने लिये की गई थी।

  • यह योजना संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आती है।
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ( Archaeological Survey of India-ASI) द्वारा संरक्षित कुल 100 स्मारकों को इस योजना के तहत आदर्श स्मारक के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • इन स्थलों पर नागरिक सुविधाओं में वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है।

उद्देश्य:

  • स्‍मारकों को पर्यटक अनुकूल बनाना।
  • प्रसाधन कक्ष, पेय जल, कैफेटेरिया और वाई-फाई सुविधाएँ उपलब्ध कराना और यदि ये सुविधाएँ पहले से ही मौजूद हैं तो उन्हें अपग्रेड करना।
  • व्‍याख्‍यान और ऑडियो-वीडियो केंद्रों की व्‍यवस्‍था की करना।
  • गंदे पानी और अपशिष्टों के निस्‍तारण एवं रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की व्‍यवस्‍था करना।
  • स्‍मारकों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाना।
  • स्‍वच्‍छ भारत अभियान को कार्यान्‍वनित करना।

पश्मीना उत्पादों को मिला BIS प्रमाणपत्र

भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards-BIS) ने पश्मीना उत्पादों की शुद्धता प्रमाणित करने के उद्देश्य से उसकी पहचान और लेबलिंग की प्रक्रिया को भारतीय मानक (Indian Standards) के दायरे में रख दिया है।

इस कदम के प्रभाव:

  • इस प्रमाणीकरण से पश्मीना उत्पादों में होने वाली मिलावट पर रोक लगेगी।
  • कच्चा माल तैयार करने वाले घुमंतू कारीगरों तथा स्थानीय दस्तकारों के हितों की रक्षा होगी।
  • उपभोक्ताओं के लिये पश्मीना की शुद्धता भी सुनिश्चित होगी।

क्यों लिया गया निर्णय?

  • भारत में जगह-जगह असली पश्मीना के नाम पर नकली और घटिया माल की बिक्री की जाती है, इस पहल के परिणामस्वरूप उस पर रोक लगेगी और लद्दाख के बकरी पालक समुदाय तथा असली पश्मीना बनाने वाले स्थानीय हेंडलूम दस्तकारों को अपने माल की उचित कीमत प्राप्त होगी।
  • उल्लेखनीय है कि घुमंतू पश्मीना बकरी पालक समुदाय छांगथांग के दुर्गम स्थानों में रहते हैं और आजीविका के लिये पश्मीना पर ही निर्भर हैं।
  • इस समय 2400 परिवार ढाई लाख बकरियों का पालन कर रहे हैं। पश्मीना के BIS प्रमाणीकरण से इन परिवारों के हितों की रक्षा होगी और युवा पीढ़ी भी इस व्यवसाय की ओर आकर्षित होगी। इसके अलावा अन्य परिवार भी इस व्यवसाय को अपनाने के लिये प्रोत्साहित होंगे।

पश्मीना उत्पाद :

  • लद्दाख विश्व में सर्वाधिक (लगभग 50 मीट्रिक टन) और सबसे उन्नत किस्म के पश्मीना का उत्पादन करता है।
  • असली पश्मीना उत्पादों को छांगथांगी या पश्मीना बकरी के बालों से बनाया जाता है। छांगथांगी या पश्मीना बकरी लद्दाख के ऊँचे क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
  • छांगथांगी बकरी के बाल बहुत मोटे होते हैं और इनसे विश्व का बेहतरीन पश्मीना प्राप्त होता है जिसकी मोटाई 12-15 माइक्रोन के बीच होती है।
  • इन बकरियों को घर में पाला जाता है और ग्रेटर लद्दाख के छांगथांग क्षेत्र में छांगपा नामक घुमंतू समुदाय इन्हें पालता है।
  • छांगथांगी बकरियों की बदौलत ही छांगथांग, लेह और लद्दाख क्षेत्र में अर्थव्यवस्था बहाल हुई है।

संकल्प योजना

हाल ही में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship) ने समन्वय के माध्यम से ज़िला-स्तरीय कौशल पारिस्थितिकी तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिये 'संकल्प योजना' का आह्वान किया है।

  • ज़िला-स्तरीय पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :
  • स्किल इंडिया पोर्टल: इस प्रणाली का प्रयोग ज़िला स्तर पर भी कौशल संबंधी आंकडों को प्राप्त करने और उसे अभिसरित करने के लिये किया जाता है।
  • राज्यों को अनुदान: आंध्र प्रदेश सहित असम, बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, मणिपुर, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश को मिलाकर कुल 9 राज्यों को मंत्रालय द्वारा अनुदान भी दिया गया है।
  • ज़िलों को भी दिया गया अनुदान: इन राज्य के अलावा, मंत्रालय द्वारा आकांक्षात्मक कौशल अभियान के तहत 117 आकांक्षी जिलों को भी अनुदान जारी किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • भारत सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से ‘संकल्प’ (SANKALP- Skills Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood Promotion) तथा ‘स्ट्राइव’ (STRIVE -Skill Strengthening for Industrial Value Enhancement) नामक योजनाओं को मंज़ूरी दी है।
  • 4,455 करोड़ रुपए की केंद्र प्रायोजित योजना ‘संकल्प’ में विश्व बैंक द्वारा 3,300 करोड़ रुपए की ऋण सहायता शामिल है।
  • संकल्प का उद्देश्य महिलाओं, अजा./अजजा. और दिव्यांगों सहित हाशिये पर जीवन जी रहे समुदायों को बड़े पैमाने पर दक्षता प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करना है।
  • ‘स्ट्राइव’ परियोजना की समापन तिथि 30 नवम्‍बर, 2022 निर्धारित की गई है।
  • 2,200 करोड़ रुपए की केंद्र प्रायोजित योजना ‘स्ट्राइव’ के लिये विश्व बैंक द्वारा आधी राशि ऋण सहायता के रूप में दी जाएगी।
  • ‘स्ट्राइव’ योजना में ITI के कार्य निष्पादन में संपूर्ण सुधार को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।
  • ‘स्ट्राइव’ का उद्देश्‍य गुणवत्‍तापूर्ण एवं बाज़ार की मांग के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना है।
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