प्रिलिम्स फैक्ट्स: 12 नवंबर, 2020 | 12 Nov 2020
समुद्री क्लस्टर परियोजना
maritime cluster Project
हाल ही में घोघा-हज़ीरा फेरी का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के GIFT सिटी में आगामी समुद्री क्लस्टर के बारे में चर्चा की।
समुद्री क्लस्टर परियोजना क्या है?
- भारत के लिये समुद्री क्लस्टर की अवधारणा नई है, परंतु ये क्लस्टर विश्व के सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी बंदरगाहों जैसे रॉटरडैम, सिंगापुर, हांगकांग, ओस्लो, शंघाई और लंदन में क्रियान्वित हैं।
- समुद्री क्लस्टर किसी क्षेत्र में फर्मों, संस्थानों और व्यवसायों का एक समूह है, जो भौगोलिक रूप से एक दूसरे के करीब स्थित होते हैं।
- गुजरात सरकार की नोडल एजेंसी गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (GMB), अपनी सहायक कंपनी गुजरात पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (GPIDCL) के माध्यम से राज्य की राजधानी गांधीनगर में GIFT सिटी में इस तरह के क्लस्टर को विकसित करने की कोशिश कर रही है।
- शुरुआत में इस क्लस्टर में गुजरात आधारित शिपिंग लाइन, फ्रेट फॉरवर्डर, शिपिंग एजेंट, बंकर सप्लायर, स्टीवेयोरेस और शिप ब्रोकर चार्टरिंग की आवश्यकताओं को शामिल किया जाएगा।
- दूसरे चरण में, क्लस्टर भारतीय जहाज़ मालिकों, जहाज़ ऑपरेटरों, भारतीय चार्टर्स और तकनीकी सलाहकारों को मुंबई, चेन्नई और दिल्ली जैसे शहरों में लाने की कोशिश करेगा।
- इसके बाद यह समुद्री क्षेत्र में वैश्विक स्तर को आकर्षित करने का लक्ष्य रखेगा।
समुद्री क्लस्टर परियोजना की आवश्यकता क्यों है?
- यह परियोजना देश में उन व्यवसायों को वापस लाने की कोशिश करेगी जो सही पारिस्थितिकी तंत्र की अनुपस्थिति के कारण वर्षों से विदेशी स्थानों पर चले गए हैं।
- स्विट्जरलैंड और लक्ज़मबर्ग जैसे स्थलरुद्ध देशों ने ऐसी कई तरह की समुद्री सेवाओं का विकास किया है जो वर्तमान में भारत में उपलब्ध नहीं हैं।
- गुजरात में बहुत सारे बंदरगाह हैं जो देश के लगभग 40 प्रतिशत माल/भाड़े की आवाजाही को संभालते हैं, इसके बावजूद भी ये बंदरगाह मूल्य-श्रृंखला को लक्षित नहीं कर पाए हैं।
अन्य प्रमुख बिंदु:
- गुजरात मैरीटाइम यूनिवर्सिटी के तत्त्वाधान में एक वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) केंद्र स्थापित किया जाएगा, जो समुद्री क्लस्टर के अंतर्गत आएगा।
- वर्तमान में भारत में इस तरह का केंद्र मौजूद नहीं है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है जो बंकर विवादों, जहाज़ की बिक्री, जहाज़ निर्माण और मरम्मत, वस्तुओं आदि से संबंधित मामलों में मध्यस्थता हेतु एक मंच है।
PLI योजना को मंज़ूरी
PLI Scheme
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विनिर्माण और निर्यात को एक बड़ी गति प्रदान करते हुए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (Production-Linked Incentive- PLI) योजना शुरू करने के नीति आयोग के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु:
- PLI योजना संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा लागू की जाएगी और यह निर्धारित समग्र वित्तीय सीमाओं के दायरे में होगी।
- विभिन्न क्षेत्रों के लिये PLI के अंतिम प्रस्तावों का मूल्यांकन व्यय वित्त समिति (EFC) द्वारा किया जाएगा और इसे मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।
- किसी अनुमोदित क्षेत्र की एक PLI योजना से बचत (यदि कोई हो) का उपयोग अधिकार प्राप्त सचिवों के समूह द्वारा दूसरे अनुमोदित क्षेत्र के वित्तपोषण के लिये किया जा सकता है।
- PLI के लिये किसी भी नए क्षेत्र को मंत्रिमंडल की नए सिरे से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता होगी।
महत्त्व:
- विशिष्ट क्षेत्रों में PLI योजना भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
- महत्त्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करेगी।
- इसके अलावा बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करेगी। निर्यात बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न अंग बनाएगी।
- भारत में वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, भारत में डेटा स्थानीयकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स बाज़ार, स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया जैसी परियोजनाओं के लिये सरकार की ओर से होने वाले प्रयास से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- PLI योजना से भारत में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
- ऑटोमोटिव उद्योग भारत में एक प्रमुख आर्थिक योगदानकर्ता है। PLI योजना भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी तथा भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र के वैश्वीकरण को बढ़ाएगा।
- भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग परिमाण की दृष्टि से विश्व में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य की दृष्टि से 14वाँ सबसे बड़ा उद्योग है।
- यह वैश्विक स्तर पर निर्यात की जाने वाली कुल ड्रग्स और दवाओं में 3.5% का योगदान करता है।
- भारत में फार्मास्यूटिकल्स के विकास और विनिर्माण के लिये पूरा इकोसिस्टम है और संबद्ध उद्योगों का एक मज़बूत इकोसिस्टम भी है।
- PLI योजना वैश्विक और घरेलू हितधारकों को उच्च मूल्य उत्पादन में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
- दूरसंचार उपकरण एक सुरक्षित दूरसंचार अवसंरचना के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक तत्त्व है तथा भारत दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पादों का एक प्रमुख मूल उपकरण निर्माता बनने की आकांक्षा रखता है।
- PLI योजना से वैश्विक भागीदारों से बड़े निवेश आकर्षित होने और घरेलू कंपनियों को उभरते अवसरों का फायदा उठाने तथा निर्यात बाज़ार में बड़े व्यापारी बनने में मदद मिलने की उम्मीद है।
- भारतीय वस्त्र उद्योग दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में एक है और वस्त्र तथा परिधान के वैश्विक निर्यात के 5% की हिस्सेदारी है। परंतु मानव निर्मित फाइबर उद्योग क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी वैश्विक खपत पैटर्न, जो इस क्षेत्र में अधिक है, की तुलना में कम है।
- PLI योजना घरेलू विनिर्माण को और बढ़ावा देने के लिये इस क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित करेगी, खासकर मानव निर्मित फाइबर तथा तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा और बड़े पैमाने पर अपव्यय कम होगा।
- PLI योजना के माध्यम से सहायता प्रदान करने के लिये मध्यम से बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन के लिये उच्च विकास क्षमता और संभावनाओं वाली विशिष्ट उत्पाद लाइनों की पहचान की गई है।
- सौर पीवी पैनलों का अधिक आयात मूल्य श्रृंखला की इलेक्ट्रॉनिक (हैक करने योग्य) प्रकृति पर विचार करते हुए आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन और रणनीतिक सुरक्षा चुनौतियों में जोखिम पैदा करता है।
- सौर पीवी मॉड्यूल के लिये एक केंद्रित PLI योजना भारत में बड़े पैमाने पर सौर पीवी क्षमता का निर्माण करने के लिये घरेलू और वैश्विक भागीदारों को प्रोत्साहित करेगी और सौर पीवी विनिर्माण के लिये वैश्विक मूल्य शृंखलाओं पर कब्जा करने के लिये भारत को तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद करेगी।
- वाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी) में घरेलू मूल्यवर्द्धन की और इन उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने की अत्यधिक संभावना है।
- इस क्षेत्र के लिये PLI योजना से अधिक घरेलू विनिर्माण, नौकरियों का सृजन और निर्यात बढ़ेगा।
- स्टील रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण उद्योग है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है।
- भारत तैयार स्टील का असल निर्यातक है और स्टील के कुछ श्रेणियों में चैंपियन बनने की क्षमता रखता है।
- विशिष्ट स्टील में PLI योजना से मूल्यवर्द्धित स्टील के लिये विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे कुल निर्यात में वृद्धि होगी।
निष्कर्ष:
- प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान पर देश में कुशल, न्यायसंगत और लचीले विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये नीतियों की परिकल्पना की गई है।
- औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि से भारतीय उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्द्धा और विचारों को जानने का काफी अवसर मिलेगा, जिससे आगे कुछ नया करने की अपनी क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और एक अनुकूल विनिर्माण इकोसिस्टम के निर्माण से न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण हो सकेगा बल्कि देश में एमएसएमई क्षेत्र के साथ बैकवर्ड लिंकेज भी स्थापित होंगे। इससे अर्थव्यवस्था में समग्र विकास होगा और रोज़गार के अत्यधिक अवसर पैदा होंगे।
महाबली/ मावेली मेंढक
Mahabali/ Maveli frog
केरल राज्य सरकार के अनुसार पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले बैंगनी रंग के दुर्लभ ‘महाबली/ मावेली मेंढक’ (Mahabali/ Maveli frog) को जल्द ही केरल का आधिकारिक उभयचर (official amphibian) घोषित किया जा सकता है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘महाबली/ मावेली’ (Mahabali frog) मुख्यतः पश्चिमी घाट में पाया जाता है।
- इस मेंढक की खोज कुछ वर्ष पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस.डी. बीजू (S.D. Biju) द्वारा इडुक्की (Idukki) ज़िले में की गई थी।
- मेंढक की दुर्लभ प्रजाति में शामिल महाबली/ मावेली विश्व के अनोखे उभयचरों में से एक है।
- महाबली/ मावेली, एक पौराणिक राजा थे जिन्होंने केरल के क्षेत्र पर शासन किया था।
- इसका वैज्ञानिक नाम नासिकबत्रेचस सहाड्रेन्सिस(Nasikabatrachus Sahyadrensis) है।
- यह मेंढक, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में एंडेंजर्ड (Endangered) सूची में शामिल है।
- इसका निवास स्थान मुख्यतः केरल की इलायची पहाड़ियों में है।
- विगत कई वर्षों से इनके आवास स्थल में भारी क्षति देखने को मिल रही है।
- वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature- WWF) के अनुसार, महाबली मेंढक को जैव-भूगोलविदों के द्वारा विश्व में सबसे दुर्लभ जीवों में से एक माना जाता है।
पन्ना बायोस्फियर रिज़र्व
Panna Biosphere Reserve
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अपने ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व’ (WNBR) में पन्ना बायोस्फीयर रिज़र्व (PBR) को शामिल किया है।
प्रमुख बिंदु:
- PBR पचमढ़ी और अमरकंटक के बाद बायोस्फीयर रिज़र्व सूची में शामिल होने वाला मध्य प्रदेश का तीसरा रिज़र्व है।
- वर्ष 1981 में स्थापित, PBR मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर ज़िलों में लगभग 540 वर्ग किमी के क्षेत्र में स्थित है।
- यह मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में विंध्य पर्वत श्रृंखला में स्थित है।
- केन नदी (यमुना नदी की सबसे कम प्रदूषित सहायक नदियों में से एक) रिज़र्व के मध्य से बहती है तथा केन-बेतवा नदी इंटरलिंकिंग परियोजना भी इसमें स्थित है।
- यह क्षेत्र पन्ना, हीरा खनन के लिये भी प्रसिद्ध है।
- PBR के साथ-साथ, मालदीव में फवहमुलाहंद अडू अटोल (Fuvahmulahand Addu Atoll) को भी WNBR में शामिल किया गया है।
संरक्षण और मान्यता:
- पन्ना नेशनल पार्क को वर्ष 1994 में भारत के 22वें बाघ अभयारण्य के रूप में प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व का दर्जा मिला।
- केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा इसे वर्ष 2011 में बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- वर्ष 2020 में यूनेस्को द्वारा इसे मैन एंड बायोस्फियर प्रोग्राम (MAB) में शामिल किया गया।