प्रीलिम्स फैक्ट्स: 12- 08- 2019 | 12 Aug 2019

भारत का सबसे लंबा रोपवे

भारत की सबसे लंबी रोपवे परियोजना जो मुंबई को एलीफेंटा गुफाओं से जोड़ेगी, पर जल्द ही काम शुरू होने की संभावना है।

Roapway

  • 8 किलोमीटर लंबी यह रोपवे मुंबई के पूर्वी तट के सेवरी से शुरू होगी और रायगढ़ ज़िले के एलीफेंटा द्वीप पर समाप्त होगी।
  • समुद्र के ऊपर देश की यह पहली और सबसे लंबी रोपवे परियोजना है जिसे मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, जहाज़रानी मंत्रालय के अधीन निष्पादित किया जाना है।
  • मुंबई से दूर एलीफेंटा द्वीपों (Elephanta Islands) पर स्थित एलीफेंटा गुफाओं को वर्ष 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया गया था, जिसकी वजह से भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI), भारतीय नौसेना के अलावा तटरक्षक और पर्यावरण मंत्रालय से भी मंज़ूरी लेनी अनिवार्य होती है।
  • लगभग 700 करोड़ रुपए की इस परियोजना पर निर्माण कार्य इस वर्ष के अंत तक शुरू होने की संभावना है जिसके पूरा होने में लगभग 42 महीने लगेंगे।
  • 30-सीटर रोपवे द्वारा इस यात्रा को लगभग 14 मिनट में पूरा किया जा सकेगा जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • एलीफेंटा गुफा में लगभग सात लाख आगंतुक वर्ष भर में दर्शन करते हैं, यह मुंबई के आस-पास के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। वर्तमान में मुंबई से 10 किलोमीटर की क्रूज़ से इस दूरी के लिये लगभग एक घंटे का समय लगता है।

किसानों की सहायता के लिये मोबाइल एप

हाल ही में सरकार ने किसानों को अत्याधुनिक तकनीक तक सस्ती पहुँच उपलब्ध कराने के लिये देश में ट्रैक्टरों को उबर जैसी सुविधा देने हेतु एक एप लॉन्च करना सुनिश्चित किया है।

Kisan app

  • इस एप के आधिकारिक रूप से लॉन्च हो जाने पर जो किसान उपकरण किराये पर लेना चाहते हैं, वे अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर का उपयोग करके पंजीकरण कर सकते हैं तथा अपनी आवश्यकता के अनुसार उपकरण किराये पर ले सकते हैं।
  • किसानों को उनके आस-पास के 20 से 50 किलोमीटर के दायरे में उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • यह एप उसी प्रकार आधुनिक तकनीकों तक किसानों की पहुँच सुनिश्चित करेगा जैसे उबर एप लोगों को कैब की सुविधा प्रदान करता है।
    • इसके तहत एक लेज़र गाइडेड तकनीकी/मशीन जो भूमि को समतल करती है को लिया गया है इसका उपयोग कर किसान कीमती भूजल को बचा सकते हैं तथा उत्पादकता में 10 से 15% की वृद्धि कर सकते हैं।
    • उल्लेखनीय है कि इस तरह के हाईटेक लेवलर्स (hitech levellers) की कीमत कम-से-कम 3 लाख रुपए है, जो औसत एवं लघु कृषकों की पहुँच से परे है।
  • वर्तमान में देश भर में 38,000 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centres- CHC) हैं जो प्रत्येक वर्ष 2.5 लाख कृषि उपकरण किराये पर लेते हैं।
  • किसानों, समाजों और उद्यमियों द्वारा पंजीकरण के लिये CHC एप पहले से ही खुला है जो इन केंद्रों को चलाते हैं।
  • अब तक लगभग 26,800 CHC ने एक लाख से अधिक उपकरण किराये पर देने की पेशकश की है।

अंडमान का प्रायद्वीपीय भारत से संबंध

Andaman’s relation to peninsular India

वैज्ञानिकों ने दुर्लभ पौधों की प्रजातियों की खोज की है जो प्रायद्वीपीय भारत (Peninsular India) तथा श्रीलंका के बंगाल की खाड़ी में उपस्थित द्वीपों से अतीत के महाद्वीपीय संबंधों को जोड़ने में मदद कर सकती है।

Wright Myo

  • वर्ष 2003 में जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (Jawaharlal Nehru Tropical Botanic Garden and Research Institute- JNTBGRI) के वैज्ञानिकों ने अंडमान समूह के दक्षिणी द्वीपों में राइट मायो (Wright Myo) के अर्द्ध-सदाबहार जंगलों में यूजेनिया वंश (Eugenia genus) से संबंधित पौधे की एक प्रजाति की खोज की थी।
  • ये पौधे एक जगह पर समुदाय में परिपक्व अवस्था में समूह में उपस्थित थे, इनमें से कुछ छोटे अर्थात् अंकुरित पौधों को इकठ्ठा कर वैज्ञानिकों ने इनका अध्ययन किया। इसके अंतर्गत पाया गया कि:
    • इनकी विकास दर बेहद धीमी थी।
    • एक पौधा लगभग 2 मीटर लंबा हो गया तथा वर्ष 2015 से इसमें फूल आने शुरू हुए अंततः वर्ष 2019 में इसमें फल विकसित हुआ।
    • वैज्ञानिकों द्वारा किये गए विस्तृत वर्गिकी अध्ययनों (Taxonomical Studies) के पश्चात् इस प्रजाति को यूजेनिया मूनिआना (Eugenia mooniana) में रखा गया।
    • यह पौधा केवल असम, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और श्रीलंका में पाया जाता है।
  • अंडमान में पाए गए इस पौधे की प्रजातियों के भारत, श्रीलंका में भी पाए जाने से बंगाल की खाड़ी के द्वीपों तथा भारत एवं श्रीलंका के बीच निकटतम संबंध के बारे में भी पता भविष्य में लगाया जा सकता है।

विक्रम साराभाई की 100वीं जयंती

Vikram Sarabhai’s 100th Birth Anniversary

12 अगस्त, 1919 को वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की 100वीं जयंती के मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया।

Vikram Sarabhai

  • डॉ. साराभाई को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है, उल्लेखनीय है कि इनकी I00वीं जयंती के कुछ दिन पूर्व ही चंद्रयान -2 मिशन लॉन्च किया गया था।
  • वर्ष 1919 में अहमदाबाद में जन्मे डॉ. साराभाई ने कैम्ब्रिज में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
  • नवंबर 1947 में उन्होंने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory- PRL) की स्थापना की।
  • रूस के स्पुतनिक के लॉन्च होने के बाद वे भारत की आवश्यकता को देखते हुए एक विकासशील देश भारत में अपना खुद का अंतरिक्ष कार्यक्रम आयोजित करने में सफल रहे।
  • इन्होंने वर्ष 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (Indian National Committee for Space Research) की स्थापना की, जिसे बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) नाम दिया गया।

उपलब्धियाँ

  • ISRO और PRL के अलावा उन्होंने कई संस्थानों जैसे- अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान, सामुदायिक विज्ञान केंद्र तथा अपनी पत्नी मृणालिनी के साथ प्रदर्शन कला के लिये डारपॉन अकादमी की स्थापना की।
  • इन्होंने भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट पर काम किया था, लेकिन वर्ष 1975 में इस उपग्रह के लॉन्च होने से पहले ही इनकी मृत्यु (30 दिसंबर, 1971 को) हो गई।
  • उन्हें वर्ष 1966 में पद्मभूषण प्राप्त हुआ और वर्ष 1972 में मरणोपरांत पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1973 में चंद्रमा पर एक गड्ढे का नाम उनके नाम पर रखा गया था।

चंद्रिमा शाह

Chandrima Shaha

66 वर्षीय चंद्रिमा शाहा को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy- INSA) का अध्यक्ष बनाया गया है। इनका कार्यकाल जनवरी 2020 से शुरू होगा।

Chandrima Shaha

  • उल्लेखनीय है कि यह पहली महिला हैं जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है।
  • इनकी सर्वोच्च प्राथमिकता लोगों के बीच विज्ञान को अधिक तीव्रता से बढ़ावा देना होगा।
  • सुश्री शाह पूर्व में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, दिल्ली (National Institute of Immunology, Delhi) की निदेशक थीं।
  • इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की और वर्ष 1980 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी (Indian Institute of Chemical Biology) से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी

Indian National Science Academy

  • भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान जिसे अब भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी कहा जाता है, की स्थापना 7 जनवरी, 1935 को कलकत्ता में हुई थी।
  • वर्ष 1946 तक इसका मुख्यालय एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में था और वर्ष 1951 में इसका मुख्यालय दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।
  • इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
    • भारत में राष्ट्रीय कल्याण के लियेव्यावहारिक अनुप्रयोग सहित वैज्ञानिक ज्ञान का संवर्द्धन करना।
    • वैज्ञानिक अकादमियों, सभाओं, संस्थाओं, सरकार के वैज्ञानिक विभागों और सेवाओं के बीच समन्वय स्थापित करना।
    • भारत में वैज्ञानिकों के हितों के संवर्द्धन तथा रक्षा के लिये और देश में किये गए वैज्ञानिक कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने हेतु प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के एक निकाय के रुप में काम करना।
    • विज्ञान और मानविकी के बीच संपर्क को बढ़ाना और बनाए रखना।
    • विज्ञान के संवर्द्धन के लिये निधियाँ जुटाना एवं उनका प्रबंधन करना।