प्रीलिम्स फैक्ट्स: 11 अप्रैल, 2020 | 11 Apr 2020

स्वच्छता-एमओएचयूए एप 

Swachhata-MoHUA App

9 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) ने COVID-19 संकट से निपटने के लिये मौजूदा स्वच्छता-एमओएचयूए एप (Swachhata-MoHUA App) के संशोधित संस्करण को लॉन्च करने की घोषणा की।

मुख्य बिंदु:

  • पहले से ही स्वच्छता-एमओएचयूए एप का प्रयोग स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत एक शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म के रूप में किया जा रहा है जिसके देश भर में 1.7 करोड़ से अधिक शहरी उपयोगकर्त्ता हैं।
    • नागरिकों को उनके संबंधित शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies- ULBs) द्वारा अपनी COVID-19 संबंधित शिकायतों का निवारण करने में सक्षम बनाने के लिये इस एप को संशोधित एवं मज़बूत किया गया है।
  • हालाँकि इस एप में COVID-19 से संबंधित नई श्रेणियों के जोड़ने से एप की मौजूदा श्रेणियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा अतः नागरिक किसी भी श्रेणी में अपनी शिकायतें प्रेषित कर सकते हैं।
  • इस एप के संशोधित संस्करण में निम्नलिखित नौ अतिरिक्त श्रेणियों को शामिल किया गया है। 
    • COVID-19 के दौरान फॉगिंग/स्वच्छता के लिये अनुरोध।
    • COVID-19 के दौरान क्वारंटाइन का उल्लंघन।
    • COVID-19 के दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन।
    • COVID-19 के संदिग्ध मामले की रिपोर्ट करें।
    • COVID-19 के दौरान भोजन का अनुरोध करें।
    • COVID-19 के दौरान आश्रय का अनुरोध करें।
    • COVID-19 के दौरान चिकित्सा सुविधा का अनुरोध करें।
    • COVID-19 रोगी परिवहन के लिये सहायता का अनुरोध करें।
    • क्वारंटाइन क्षेत्र से अपशिष्ट उठाने का अनुरोध करें।
  • स्वछता एप एक प्रभावी डिजिटल टूल के रूप में कार्य करता है जो नागरिकों को अपने शहरों की स्वच्छता में सक्रिय भूमिका निभाने तथा शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies- ULBs) की जवाबदेही तय करने में सक्षम बनाता है।

गौरतलब है कि घर, समाज एवं देश में स्वच्छता को जीवनशैली का अंग बनाने के लिये स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2 अक्तूबर, 2014 में की गई थी। इस अभियान में दो उप-अभियान शामिल हैं- स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) तथा स्वच्छ भारत अभियान (शहरी)। इस अभियान में जहाँ ग्रामीण इलाकों के लिये ‘पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय’ व ‘ग्रामीण विकास मंत्रालय’ जुड़े हुए हैं, वहीं शहरों के लिये शहरी विकास मंत्रालय ज़िम्मेदार है। 


भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान

Bharat Padhe Online Campaign

10 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Union Ministry of Human Resource Development) ने भारत के ऑनलाइन शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हेतु लोगों के विचार जानने के उद्देश्य से एक सप्ताह तक चलने वाला भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान (Bharat Padhe Online Campaign) शुरू किया है।

उद्देश्य:

  • इस अभियान का उद्देश्य भारत के सर्वश्रेष्ठ युवा बौद्धिक वर्ग को आमंत्रित करना है ताकि ऑनलाइन शिक्षा की बाधाओं को दूर करते हुए उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफार्मों को बढ़ावा देकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सुझाव/समाधान साझा किये जा सकें एवं उपलब्‍ध डिजिटल शिक्षा प्‍लेटफॉर्मों को बढ़ावा दिया जा सके।

मुख्य बिंदु: 

  • इस अभियान में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। 
  • जो छात्र वर्तमान में स्कूलों या उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे हैं वे विभिन्‍न पाठ्यक्रमों में मौजूदा डिजिटल प्लेटफार्मों से दैनिक आधार पर जुड़े हुए हैं। वे इस अभियान से जुड़कर मौजूदा ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म में क्या कमी है और इसे कैसे अधिक आकर्षक बनाया जा सकता हैं, से संबंधित सुझावों को भेज सकते हैं।
  • इस अभियान के माध्यम से देश भर के शिक्षक भी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता एवं अनुभव के साथ योगदान देने के लिये आगे आ सकते हैं।

नेबरिंग राइट्स लॉ

Neighbouring Rights Law

हाल ही में फ्राँस के प्रतिस्पर्द्धा नियामक (Competition Regulator) ने 'नेबरिंग राइट्स लॉ’ (Neighbouring Rights Law) के तहत कहा है कि गूगल (Google) कंपनी को अपनी कंटेंट सामग्री प्रदर्शित करने के लिये मीडिया समूहों को भुगतान करना शुरू करना चाहिये, जिससे यूरोप के नए डिजिटल कॉपीराइट कानून के अनुपालन के लिये महीनों तक मना करने के बाद बातचीत शुरू करने का आदेश दिया जा सके।

मुख्य बिंदु:

  • गूगल कंपनी ने यह कहते हुए अनुपालन करने से इनकार कर दिया कि सर्च परिणामों में लेख, चित्र एवं वीडियो तभी दिखाए जाएंगे जब मीडिया समूह तकनीकी दिग्गजों को बिना किसी शुल्क के उनका उपयोग करने की सहमति दें। यदि वे मना करते है तो एक शीर्षक एवं सामग्री के लिये केवल एक अनावृत लिंक दिखाई देगा। 
  • गूगल की प्रमुख स्थिति इंटरनेट वेबसाइटों पर महत्वपूर्ण ट्रैफिक लाने की है जो प्रकाशकों एवं समाचार एजेंसियों के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण एवं निर्णायक होता है क्योंकि वे अपनी आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपने डिजिटल पाठकों को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।

नेबरिंग राइट्स लॉ (Neighbouring Rights Law):

  • ‘नेबरिंग राइट्स लॉ’ यूरोप के नए डिजिटल कॉपीराइट कानून में उल्लिखित है। यह समाचार प्रकाशकों को यह सुनिश्चित करने के लिये बनाया गया है कि जब वेबसाइटों, सर्च इंजन एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके काम को दिखाया जाए तो उन्हें मुआवजा दिया जायेगा।
  • ‘नेबरिंग राइट्स लॉ’ 24 जुलाई, 2019 को लागू हुआ था जिसका उद्देश्य प्रेस प्रकाशकों एवं समाचार एजेंसियों के पक्ष में पुनर्भुगतान हेतु मूल्य के बँटवारे को फिर से परिभाषित करने के लिये प्रकाशकों, समाचार एजेंसियों एवं डिजिटल प्लेटफार्मों के बीच संतुलित वार्ता हेतु शर्तों को निर्धारित करना है।

गौरतलब है कि नवंबर, 2019 में फ्राँस में कई प्रेस प्रकाशक यूनियनों एवं समाचार एजेंसी एगेंस फ्राँस-प्रेस (Agence France-Presse) द्वारा गूगल के खिलाफ कॉपीराइट उल्लंघन मामले में शिकायत दर्ज कराई गई थी। 


नाड़ी

NAADI

COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों या देश भर में लोगों की आवाजाही पर नज़र रखने के कार्य को आसान बनाने के लिये सी-डैक (C-DAC) ने एक डेटा विज्ञान आधारित उपकरण नाड़ी (NAADI) तैयार किया है।

मुख्य बिंदु: 

  • नाड़ी (NAADI) का पूर्ण रूप National Analytical Platform for Dealing with Intelligent Tracing, Tracking and Containment है। 
  • यह उपकरण देश भर में COVID -19 रोगियों या क्वारंटाइन लोगों के आवागमन को ट्रैक करने में मदद करेगा। 
  • इस उपकरण द्वारा उत्पन्न जानकारी एक मीटर तक सटीक होगी जो चिकित्सा पेशेवरों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों एवं डेटा वैज्ञानिकों के लिये सहायक होगी।

NAADI में प्रयोग की गई तकनीक: 

  • C-DAC द्वारा विकसित किये गए इस उपकरण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सुपर कंप्यूटर (Supercomputer using Artificial Intelligence), मशीन लर्निंग (Machine Learning), हेल्थकेयर एनालिटिक्स आधारित रिसर्च (Healthcare Analytics based Research) अर्थात् COVID-19 (SAMHAR) का प्रयोग किया गया है। 

SAMHAR परियोजना:

  • भारत सरकार की SAMHAR परियोजना राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission) के साथ साझेदारी में संचालित की जा रही है।
  • इसकी शुरुआत COVID-19 से निपटने हेतु स्टार्टअप्स एवं उद्योगों के सहयोग से एक तीव्र सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम एवं अनुसंधान समुदाय के निर्माण के उद्देश्य से की गई थी।

सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग

(Centre for Development of Advanced Computing: C-DAC)

  • सी-डैक (C-DAC) सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी है।
  • वर्ष 2003 में नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, ER&DCI इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (तिरुवनंतपुरम) तथा भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (Centre for Electronics Design and Technology of India- CEDTI) का सी-डैक (C-DAC) में विलय कर दिया गया था।
  • भारत का पहला स्वदेशी सुपर कंप्यूटर, परम-8000 वर्ष 1991 में C-DAC द्वारा ही बनाया गया था।