प्रीलिम्स फैक्ट्स: 11 मई, 2019 | 11 May 2019
चंद्रयान-2
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) ने चंद्रयान-2 के संबंध में कहा है कि इस योजनाबद्ध मिशन में 14 भारतीय पेलोड या अध्ययन के उद्देश्य से लगाए गए उपकरण शामिल होंगे।
पृष्ठभूमि
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने जानकारी दी कि इस वर्ष जुलाई में चंद्रयान-2 लॉन्च किया जाएगा।
- चंद्रयान- 2 (चंद्रमा के लिये भारत का दूसरा मिशन) पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है।
- गौरतलब है कि इस मिशन में तीन मॉड्यूल होंगे जो इस प्रकार हैं-
- ऑर्बिटर
- लैंडर (विक्रम)
- रोवर (प्रज्ञान)
- जीएसएलवी मार्क-3 चंद्रयान-2 आर्बिटर और लैंडर को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा, जिसके बाद उसे चाँद की कक्षा में पहुँचाया जाएगा।
- चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में पहुँचने के बाद लैंडर चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और रोवर को तैनात करेगा।
- रोवर पर लगाए गए उपकरण चंद्रमा की सतह का अवलोकन करेंगे और डेटा भेजेंगे, जो चंद्रमा की मिट्टी के विश्लेषण के लिये उपयोगी होगा।
- ISRO ने अक्तूबर 2008 में अपना ऑर्बिटर मिशन चंद्रयान -1 लॉन्च किया था।
लूनर लैंडर: ब्लू मून
- हाल ही में अंतरिक्ष कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने लूनर लैंडर का अनावरण किया है जिसे ब्लू मून कहा जा रहा है।
- गौरतलब है कि इसका उपयोग 2024 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक ‘परिवहन उपकरणों’ और संभवतः मनुष्य के लिये भी किया जा सकता है।
- यह लैंडर वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाने के साथ ही मनुष्यों के लिये भी रोवर ले जाने में सक्षम होगा।
ब्लू मून
- इसका लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है, जहाँ बर्फ है। हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये पानी का उपयोग किया जा सकता है, जो भविष्य में सौरमंडल के अन्वेषण में मदद कर सकेगा।
- यह लैंडर, ब्लू ओरिजिन का चंद्रमा पर अवसंरचना निर्माण के एक विज़न का हिस्सा होगा जो भविष्य में मनुष्यों के अंतरिक्ष में बसने और प्रदूषणकारी उद्योगों को पृथ्वी से दूर स्थानांतरित करने की संभावना को बढ़ाएगा।
मंकीपॉक्स वायरस
वायरसहाल ही में सिंगापुर में पहली बार मंकीपॉक्स वायरस का मामला सामने आया है।
- यह एक ऐसा ऑर्थोपॉक्स वायरस है जिसके कारण वायरल डीजीज़ हो सकता है जिसके लक्षण स्मालपॉक्स से मिलते-जुलते हैं।
- यह स्तनधारियों सहित कशेरुकी और अकशेरुकी जीवों में भी पाया जाता है।
- आमतौर पर इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से होता है। मनुष्य इससे कम ही संक्रमित होते हैं किंतु मध्य और पश्चिम अफ्रीका के गाँवों में इससे जुड़े काफी मामले पाए जाते हैं।
- इस वायरल के अधिकतर मामले उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के करीब पाए जाते है जहाँ लोग संक्रमित जानवरों के अक्सर संपर्क में आते हैं।
- इस संक्रमण के लिये कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं हैं लेकिन इसके प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है।
दुनिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप
दुनिया के अब तक सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलिस्कोप, थर्टी मीटर टेलिस्कोप (TMT) का निर्माण हवाई के मौना नामक स्थान पर किया जा रहा है।
- थर्टी मीटर टेलीस्कोप एक अत्यंत बड़ा टेलिस्कोप है जिसकी सहायता से अंतरिक्ष में गहराई से देखने के साथ ब्रह्मांडीय वस्तुओं का निरीक्षण किया जा सकेगा।
- यह हबल स्पेस टेलीस्कोप की तुलना में 12 गुना अधिक बेहतर रिज़ॉल्यूशन प्रदान करेगा।
- ‘थर्टी मीटर टेलिस्कोप इंटरनेशनल ऑब्ज़र्वेटरी एलएलसी’ (TIO)/(TMT International Observatory LLC) एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना मई 2014 में इस परियोजना के निर्माण और संचालन के चरणों को पूरा करने के लिये की गई थी।
- भारत सरकार ने 1299.8 करोड़ रुपए की कुल लागत के साथ थर्टी मीटर टेलिस्कोप (TMT) परियोजना में 2014-2023 तक भागीदारी हेतु मंज़ूरी दे दी है।
- भारत की तरफ से यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) और परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy- DAE) की एक संयुक्त परियोजना होगी।