प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 10 मई, 2019
- 10 May 2019
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गोपाल कृष्ण गोखले जयंती
9 मई, 2019 को भारत के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले को उनकी 153वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
गोपाल कृष्ण गोखले के बारे में कुछ तथ्य
- उनका जन्म 9 मई, 1866 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था।
- वह वर्ष 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हुए।
- वर्ष 1905 में गोखले को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष का चुना गया था।
- उन्होंने 1905 में सर्वेंट्स ऑफ़ इंडियन सोसाइटी की स्थापना की थी। इस सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाने और अपने देश की सेवा के लिये प्रशिक्षित करना था।
- उन्हें महात्मा गांधी के गुरु के रूप में जाना जाता है। महात्मा गांधी ने 'गोखले, मेरे राजनीतिक गुरु' नामक एक पुस्तक भी लिखी थी।
नासा का मिशन डार्ट
नासा स्पेसएक्स के फाल्कन9 (SpaceX Falcon9) रॉकेट द्वारा एक डार्ट (Double Asteroid Redirection Test-DART) मिशन शुरू करने की योजना बना रहा है।
- इस मिशन के तहत बाइनरी एस्टेरोइड, डिडायमोस के एक छोटे से चन्द्रमा से सितंबर 2022 में टक्कर कराए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
- यह एक ग्रह रक्षा तकनीक है, जिसे 2021 के मध्य में लॉन्च किया जाना है। गौरतलब है कि यह नासा का पहला मिशन है।
- यह एक ऐसा अंतरिक्ष मिशन है जो काइनेटिक इम्पैक्टर का प्रयोग करते हुए एस्टेरोइड का मार्ग परिवर्तित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेगा।
काइनेटिक इम्पैक्टर
- काइनेटिक इम्पैक्टर के तहत आकार में बड़े, उच्च गति वाले किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के निकट आने वाली वस्तु के मार्ग में भेजा जाता है।
बासवन्ना जयंती
- संत बासवन्ना (भगवान बसवेश्वर) लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक एवं 12वीं सदी के कवि और दार्शनिक थे।
- बासवन्ना जयंती विशेष रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है।
संक्षिप्त जीवन परिचय
- गुरु बसवेश्वर का जन्म 1131 ईसवी में बागेवाड़ी (कर्नाटक के अविभाजित बीजापुर ज़िले में) नामक स्थान पर हुआ था।
- इनके पिता का नाम मदरासा तथा माता मदालाम्बिके थी। इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- आठ वर्ष की आयु में एक धार्मिक परंपरा के अंतर्गत इनका ‘जनिवारा’ (यज्ञोपवीत संस्कार) भी किया गया।
- बासवन्ना ने इस परंपरा के खिलाफ विद्रोह किया एवं अपने जनेऊ को काट दिया और घर छोड़कर कुडलसंगम चले गए जहाँ से उन्होंने सभी आयामों में शिक्षा प्राप्त की।
- बाद में वह कल्याण गए जहाँ कलचुरि राजा बिज्जाला (1157- 1167 ईसवी) का शासन था।
- उनके विद्वल से प्रभावित होकर प्रारंभ में राजा ने उन्हें अपने दरबार में कर्णिका (लेखाकार) नियुक्त किया। तदुपरांत प्रशासनिक कौशल का परिचय देकर उन्होंने प्रधानमंत्री का पद प्राप्त किया।
- बासवन्ना के उपदेश- बासवन्ना के उपदेशों एवं शिक्षाओं को उपन्यास के रूप में लिपिबद्ध किया गया है जिसे वचन (कविता) कहा जाता है।
- "शरण आंदोलन" के नवीन साहित्यिक रूप में इनका मुख्य योगदान रहा जिसके माध्यम से उन्होंने अपनी क्रांतिकारी और सुधारवादी विचारधारा को बहुत ही सरल ढंग से कन्नड़ भाषा में व्यक्त किया।
- संत बसवेश्वर द्वारा चलाए गए 'वचन आंदोलन' का मुख्य लक्ष्य समाज के हर वर्ग का कल्याण था। सकलः जीवतमृग लेसु (सभी का कल्याण हो) उनकी उद्घोषणा थी।
- उन्होंने दो प्रमुख विचार दिये- ‘स्थावर एवं जंगम’ इनके अर्थ क्रमशः ‘स्थिर’ एवं ‘गतिशील’ हैं। ये दोनों ही विचार क्रांतिकारी विचारधारा के आधार थे।
उन्होंने सामाजिक-लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थन किया, साथ ही 12वीं सदी में मानवाधिकार की भी बात की।
- धार्मिक सुधार- उन्होंने मंदिर की अवधारणा को बदलने की कोशिश की जो विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न का मुख्य केंद्र था। उन्होंने कहा कि पुजारी और अमीर लोग भगवान और मंदिर के नाम पर आम लोगों का शोषण करते हैं।
- संत बासवन्ना ने एक नया आयाम दिया जिसके अंतर्गत उन्होंने मानव शरीर और आत्मा (आंतरिक आत्मा) को महत्त्वपूर्ण बताया जिससे सभी मनुष्यों के आत्म-सम्मान को बढ़ावा मिला।
- बासवन्ना के सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी किया गया ।
- भारत के प्रधानमंत्री ने 2015 में लैम्बेथ में टेम्स नदी के किनारे उनकी प्रतिमा का उद्घाटन किया।
अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण बोर्ड
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (United Nations Economic and Social Council) ने भारत की जगजीत पवाड़िया को अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण बोर्ड (International Drug Control Board) के लिये एक बार फिर निर्वाचित किया है।
- जगजीत पवाड़िया का यह दूसरा कार्यकाल है जो 02 मार्च, 2020 से 01 मार्च, 2025 तक होगा। उनका मौजूदा कार्यकाल वर्ष 2020 में समाप्त होना तय था।
अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण बोर्ड
- अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण बोर्ड एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है, यह नशीली दवाओं पर लगे प्रतिबंधों से जुड़े मामले देखता है।
- इसकी शुरुआत वर्ष 1909 में शंघाई में अंतर्राष्ट्रीय अफीम आयोग के साथ हुई थी। इसमें 13 सदस्य शामिल हैं।
- इसका मौजूदा स्वरुप वर्ष 1968 में सामने आया।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक तथा सामाजिक परिषद (ECOSOC)
- ECOSOC संयुक्त राष्ट्र संघ के कुछ सदस्य राष्ट्रों का एक समूह है।
- यह परिषद महासभा को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग और विकास कार्यक्रमों में मदद करती है।
- यह परिषद सामाजिक समस्याओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्रभावी बनाने का कोशिश करती है।
- ECOSOC की स्थापना वर्ष 1945 की गई थी। इस परिषद में प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।