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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 1 मई, 2020

  • 01 May 2020
  • 11 min read

लायंस क्लब इंटरनेशनल

Lions Clubs International

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (Union Minister of Health and Family Welfare) ने 29 अप्रैल, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश में मौजूद ‘लायंस क्लब इंटरनेशनल’ (Lions Clubs International) के सदस्यों के साथ संवाद किया। 

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मुख्य बिंदु:

  • इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में लायंस क्लब के सदस्यों विशेष रूप से पीएम केयर्स अंशदान, अस्पतालों के लिये उपकरणों, सैनिटाइज़र्स, खाद्य पदार्थों, पीपीई किट और एन-95 मास्कों आदि के माध्यम से सराहनीय योगदान के लिये आभार प्रकट किया।

लायंस क्लब इंटरनेशनल (Lions Clubs International):

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-राजनीतिक सेवा संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1917 में मेल्विन जोन्स (Melvin Jones) द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के इलिनोइस (Illinois) प्रांत के शिकागो शहर में की गई थी।

उद्देश्य: 

  • इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
    • वैश्विक समुदाय के बीच समझ की भावना पैदा करना एवं उसको बढ़ावा देना।  
    • अच्छी सरकार एवं अच्छी नागरिकता के सिद्धांतों को बढ़ावा देना। 
    • समुदाय के नागरिकों को सांस्कृतिक, सामाजिक एवं नैतिक कल्याण में सक्रिय रुचि लेने के लिये बढ़ावा देना।
    • जनहित के सभी मुद्दों पर चर्चा के लिये एक मंच प्रदान करना हालाँकि क्लब सदस्यों द्वारा पक्षपात पूर्ण राजनीति एवं सांप्रदायिक मुद्दों पर बहस नहीं की जाएगी।
    • व्यक्तिगत वित्तीय पुरस्कार के बिना अपने समुदाय की सेवा करने के लिये और वाणिज्य, उद्योग, व्यवसायों, सार्वजनिक कार्यों एवं निजी प्रयासों में उच्च नैतिक मानकों को बढ़ावा देने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना।
  • इसका आदर्श वाक्य ‘वी सर्व’ (We Serve) है। 
  • इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के इलिनोइस (Illinois) प्रांत के ‘ओक ब्रुक’ (Oak Brook) में है।

मैट्रिक्स योजना 

MATRICS Scheme

30 अप्रैल, 2020 को ‘विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड’ (Science & Engineering Research Board- SERB) ने COVID-19 महामारी से निपटने के लिये ‘गणितीय मॉडलिंग एवं कम्प्यूटेशनल’ पहलुओं का अध्ययन करने के लिये ‘मैट्रिक्स योजना’ (MATRICS Scheme) के तहत 11 प्रोजेक्ट के लिये धन की मंज़ूरी प्रदान की।

मुख्य बिंदु:

  • इन अध्ययनों में से अधिकांश बेसिक ‘अतिसंवेदनशील-संक्रमित-स्वास्थ्य प्राप्ति मॉडल’ (Susceptible-Infected-Recovered Models) को संशोधित करके COVID-19 से संबंधित विभिन्न कारकों के लिये गणितीय/सिमुलेशन मॉडल को प्रस्तावित करने का प्रयास करेंगे।
  • ऐसे कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं-
    • जनसंख्या की विषमता
    • स्पर्शोन्मुख (Asymptomatic) जनसंख्या की भूमिका 
    • प्रवसन एवं क्वारंटाइन
    • सामाजिक दूरी एवं लॉकडाउन का प्रभाव
    • सामाजिक-आर्थिक कारक
  • ये अध्ययन मुख्य रूप से COVID-19 के संदर्भ में भारतीय परिस्थितियों का अध्ययन करने के उद्देश्य से किया जाएगा और बुनियादी पुनुरुत्पादक संख्या (Basic Reproduction Number) जो रोग की संक्रामकता की डिग्री का गुणात्मक संकेतक है, का अनुमान प्रदान करेगा।
    • अध्ययन से उपलब्ध आँकड़ों का उपयोग करके भविष्य की महामारी का पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलेगी और संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने एवं प्रबंधन में सहायता मिल सकेगी।

मैट्रिक्स योजना (MATRICS Scheme):

  • भारत सरकार के ‘विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड’ (Science & Engineering Research Board- SERB) द्वारा वर्ष 2017 में मैट्रिक्स योजना (MATRICS Scheme) की शुरुआत की गई थी। 

उद्देश्य: 

  • इस योजना का उद्देश्य गणितीय विज्ञान में अच्छी साख वाले सक्रिय शोधकर्त्ताओं को निश्चित अनुदान सहायता प्रदान करना है।

अन्य मुख्य बिंदु:

  • मैट्रिक्स योजना का पूर्ण रूप ‘MATHEMATICAL RESEARCH IMPACT-CENTRIC SUPPORT SCHEME’ है।

नोट: 

  • ‘विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड’ (SERB), भारत सरकार के ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ (Department of Science and Technology- DST) के तहत एक सांविधिक निकाय है।

जन औषधि सुगम

Jan Aushadhi Sugam

COVID-19 के मद्देनज़र राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन के कारण जन औषधि सुगम (Jan Aushadhi Sugam) मोबाइल एप नागरिकों को अपने निकटतम ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (PMBJAK) का पता लगाने और सस्ती जेनेरिक दवा की उपलब्धता में सहायक बन रहा है।

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मुख्य बिंदु: 

  • लगभग 325000 से अधिक लोग इसके द्वारा प्रदान किये गए लाभों को प्राप्त करने के लिये जन औषधि सुगम मोबाइल एप का उपयोग कर रहे हैं।
  • उपभोक्ताओं के जीवन को आसान बनाने हेतु डिजिटल तकनीक का उपयोग करने के लिये ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना’ (PradhanMantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana- PMBJP) के लिये इस मोबाइल एप्लिकेशन (जन औषधि सुगम) को ‘भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो’ (Bureau of Pharma PSUs of India - BPPI) द्वारा विकसित किया गया है। जो भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग के अंतर्गत आता है।  
  • यह एप आम लोगों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा जिसके आधार पर-
    • वे अपने आसपास के जन औषधि केंद्र का पता लगा सकते हैं।
    • जन औषधि केंद्र तक पहुँचने के लिये गूगल मानचित्र का सहारा ले सकते हैं।
    • जेनेरिक एवं ब्रांडेड दवाओं का अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) एवं समग्र बचत के आधार पर तुलनात्मक विश्लेषण कर सकते हैं। 
  • वर्तमान में देश के 726 ज़िलों में 6300 से अधिक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (PMJAK) कार्य कर रहे हैं।

इम्युनिटी पासपोर्ट

Immunity Passport

हाल ही में कुछ देशों ने इम्युनिटी पासपोर्ट (Immunity Passport) या एक प्रकार का प्रमाण पत्र जो यह बताता है कि व्यक्ति में COVID-19 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है, जारी करने पर विचार करना शुरू कर दिया है।

क्या होता है ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’?

  • ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ या ‘रिस्क-फ्री-सर्टिफिकेट’ (Risk-Free-Certificate) उन लोगों को जारी किया जाएगा जो COVID-19 से ठीक हो चुके हैं। उन्हें ये इस आधार पर जारी किए जाने की योजना है कि COVID-19 से ठीक हो चुके लोगों में एंटीबॉडीज़ पर्याप्त मात्रा में विकसित हो चुके हैं और वे पुनः संक्रमित होने से सुरक्षित हैं इसलिये वे यात्रा करने या काम पर वापस लौटने में समर्थ हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी गई चेतावनी:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि राष्ट्रों को ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ या ‘रिस्क-फ्री-सर्टिफिकेट’ पर अधिक विश्वास नहीं करना चाहिये।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि जिन लोगों में संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडीज़ विकसित हो गए हैं उन्हें दोबारा संक्रमण नहीं होगा और वे COVID-19 से सुरक्षित हैं।

‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • COVID-19 के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियाँ बाधित होने से कई राष्ट्रों की आर्थिक वृद्धि दर निगेटिव ज़ोन में जाने की संभावना जताई जा रही है।
    • अतः आर्थिक गतिविधियों को पुनः सुचारु रूप से चलाने के लिये विश्व के कई राष्ट्र इम्युनिटी पासपोर्ट जैसी रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं।
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