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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 1 जनवरी, 2020

  • 01 Jan 2020
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निर्मल किला और उदासी मठ

Nirmal Fort and Udasi mutt

निर्मल किला:

  • निर्मल, तेलंगाना राज्य के आदिलाबाद ज़िले का एक प्रमुख नगर है। यहाँ के राजाओं द्वारा कला एवं संस्कृति को संरक्षण देने के कारण इसका गौरवशाली इतिहास है।
  • इस क्षेत्र पर काकतीय, चालुक्य, कुतुबशाह और निज़ाम का शासन था जिन्होंने सांस्कृतिक विरासत के विकास में अहम योगदान दिया है।
  • निर्मल किला जिसे ‘शामगढ़ किला’ भी कहा जाता है, फ्राँसीसियों द्वारा बनवाया गया था।
  • निर्मल नगर हैदराबाद से लगभग 280 किलोमीटर उत्तर में है। यह शहर लकड़ी के खिलौनों पर आधारित उद्योग और निर्मल तश्तरी के लिये प्रसिद्ध है, इन निर्मल तश्तरियों को लघु चित्रकारी और पुष्प कलाकृतियों से सजाया जाता है।

उदासी मठ:

  • दीवान चंदूलाल जो निज़ाम, आसफ जाह III के प्रमुख मंत्री थे, ने वर्ष 1822 के आस-पास निर्मल नगर में उदासी मठ का निर्माण कराया था।
  • उदासी संप्रदाय गुरु नानक जी के बड़े पुत्र श्री चंद की शिक्षाओं पर आधारित था।
  • श्री चंद के अनुयायियों ने गुरु नानक जी द्वारा दौरा किये गए सभी स्थानों पर मठ की स्थापना कराई थी।
  • उदासी मठ का निर्माण गुरु नानक जी के दूसरे उदासी आगमन के दौरान 1511 ईस्वी से 1513 ईस्वी के मध्य कराया गया था।
    • श्री गुरु नानक देव जी ने "ईश्वर के वास्तविक संदेश" को फैलाने के लिये चारों दिशाओं में यात्राएँ कीं। इन यात्राओं को "चार उदासिस" के रूप में जाना जाता है। उदासिस गुरु नानक की मिशनरी यात्राएँ थीं।

भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस का 80वाँ सत्र

80th Session of Indian History Congress

भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस (Indian History Congress-IHC) का 80वाँ सत्र 28-30 दिसंबर, 2019 तक कन्नूर (केरल) में आयोजित किया गया था।

  • इस सत्र में राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों से सभी संस्कृतियों को बढ़ावा देने के संवैधानिक कर्त्तव्य को निभाने का आह्वान किया गया, जो भारत की क्षेत्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण है।

भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस (Indian History Congress):

  • भारत इतिहास संशोधक मंडल (Bharata Itihasa Samshodhaka Mandala-BISM) द्वारा वर्ष 1935 में रजत जयंती के अवसर पर एक अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस का आयोजन किया गया था।
  • भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस की भूमिका:
    • इतिहास पर होने वाले शोधकार्यों के मानकों को विनियमित करना।
    • निष्पक्ष एवं मौलिक इतिहास को बढ़ावा देना।
    • पूर्वाग्रह और राजनीति से रहित निष्पक्ष एवं वैज्ञानिक इतिहास को बढ़ावा देना।
  • भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस ने सरकार से शोधकर्त्ताओं को अभिलेखागार तक पहुँचने की अनुमति देने के लिये वर्ष 1946 में याचिका दायर की थी।
    • वर्ष 1948 से भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इतिहास के योगदान को बढ़ावा दे रही है।

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया

Payments Council of India

पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (Payments Council of India- PCI) का गठन डिजिटल भुगतान उद्योग की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वर्ष 2013 में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (IAMAI) के तत्त्वावधान में किया गया था।

कार्य:

  • परिषद भुगतान उद्योग के विकास और कैशलेस सोसाइटी तथा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये काम करती है जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारत सरकार द्वारा साझा किया जाता है।
  • परिषद नियामकों यानी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), वित्त मंत्रालय या भारत को कैशलेस सोसाइटी बनाने वाले विभागों, निकायों या संस्थाओं के साथ मिलकर काम करती है।

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया

(Internet and Mobile Association of India-IAMAI):

  • इसकी स्थापना वर्ष 2004 में प्रमुख ऑनलाइन प्रकाशकों द्वारा की गई थी।
  • IAMAI, सोसायटी अधिनियम, 1896 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी उद्योग निकाय है।
  • इसका कार्य ऑनलाइन और मोबाइल आधारित मूल्य-वर्द्धित सेवाओं को बढ़ावा देना है।
  • यह भारत में ऑनलाइन और मोबाइल मूल्य-वर्द्धित सेवा उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र पेशेवर औद्योगिक निकाय है।

तिब्बती गैज़ल

Tibetan Gazelles

इसे गोआ-प्रोकाप्रा पिक्टीकाउडाटा (Goa-Procapra Picticaudata) के नाम से भी जाना जाता है।

Tibetan-Gazelles

  • तिब्बती गैज़ल एंटीलोपिना उप-परिवार (Antilopinae Sub-family) का सदस्य है।
  • यह मृग की एक प्रजाति है जो तिब्बत के पठारी क्षेत्र में समुद्र तल से 4000-5500 मीटर की ऊँचाई पर निवास करती है।
  • इसकी एक छोटी आबादी दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी लद्दाख के भारतीय चांगथांग एवं उत्तरी सिक्किम के गुरुडोंगमार-त्सो ल्हामो पठार में पाई जाती है।
  • इसे आईयूसीएन (IUCN) की लाल सूची में निकट संकट (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया है।

मकरविलक्कू महोत्सव

Makaravilakku Festival

मकरविलक्कू (Makaravilakku) केरल के सबरीमाला मंदिर में मकर संक्रांति पर आयोजित किया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है।

Makaravilakku-Festiva

प्रमुख बिंदु:

  • इस उत्सव के दौरान ‘प्रकाश’ जिसे स्थानीय भाषा में ‘मकरविलक्कू’ कहा जाता है, सबरीमाला मंदिर के पास स्थित पोनम्बलमेडु नामक पठार पर जलाया जाता है।
  • प्रकाश जिसे ब्रह्मांडीय उत्पत्ति का कारक माना जाता है, पंबा मंदिर (सबरीमाला मंदिर का बेस स्टेशन) के मुख्य पुजारी द्वारा तीन बार दिखाया जाता है। यह अनुष्ठान आकाश में व्याध तारा (Sirius Star) दिखाई देने के बाद किया जाता है।
    • यह अनुष्ठान पूर्व में मलाया अरया (Malaya Araya) आदिवासियों द्वारा किया जाता था किंतु 1950 के दशक में जब त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (Travancore Devaswom Board) ने मंदिर का प्रशासन संभाला तो आदिवासी समुदाय ने यह अधिकार खो दिया।
    • गौरतलब है कि मकर ज्योति (Makara Jyothi) एक तारा है जो मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, आसमान में दिखाई देता है।
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