प्रीलिम्स फैक्ट्स: 09 मई, 2019 | 09 May 2019
रेड क्रॉस दिवस
प्रत्येक वर्ष 8 मई को रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है।
- इस वर्ष इसकी थीम ‘#Love’ है।
- यह रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी ड्यूनैंट के जन्म दिवस पर मनाया जाता है।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ (International Federation of Red Cross and Red Crescent Societies)
- रेड क्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य मानव जीवन व स्वास्थ्य का बचाव करना है।
- इसकी स्थापना युद्ध भूमि पर जख्मी और पीडि़तों को सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1863 में हेनरी ड्यूनैंट ने जिनेवा में की थी।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। इसे तीन बार (वर्ष 1917,1944 और 1963) नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
- रेड क्रॉस का मुख्य उद्देश्य युद्ध या विपदा के समय में कठिनाइयों से राहत दिलाना है। रेड क्रॉस दिवस प्रतिवर्ष 8 मई को मनाया जाता है।
- रेड क्रॉस ने मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, स्वयं प्रेरित सेवा, एकता एवं सार्वभौमिकता के सिद्धांतों को आत्मसात किया है।
- भारतीय रेड क्रॉस का सोसायटी अधिनियम, 1920 में पारित किया गया है जो शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, रोगों को रोकने और पीड़ितोंको सहायता प्रदान करने पर बल देता है।
- ज्ञातव्य है कि हेनरी ड्यूनैंट नोबेल शांति पुरस्कार के पहले विजेता थे।
आर्कटिक परिषद में भारत
हाल ही में भारत पुन: आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक के रूप में चुना गया।
- आर्कटिक परिषद एक उच्च-स्तरीय अंतर-सरकारी फोरम है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1996 में ओटावा घोषणा के तहत आर्कटिक देशों के मध्य सहयोग, समन्वय और बातचीत को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
- आर्कटिक के आस पास स्थित देश इसके सदस्य हैं इसके सदस्य देशों में रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे, डेनमार्क, स्वीडन, आइसलैंड और फिनलैंड शामिल हैं।
पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्ज़ा
- चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इटली और जापान को परिषद में पर्यवेक्षक का दर्ज़ा प्राप्त है।
- भारत को पर्यवेक्षक का दर्ज़ा किरुना घोषणा के माध्यम से दिया गया है।
- पर्यवेक्षकों को सक्रिय बैठकों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। वे आमतौर पर साइड इवेंट में भाग लेते हैं।
- आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्ज़ा गैर-सरकारी संगठनों के साथ अंतर-सरकारी और अंतर-संसदीय संगठनों के लिए खुला है।
अरुणाचल पिट वाइपर
उभयचरों पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों (Herpetologists) ने अरुणाचल प्रदेश के कामेंग ज़िले के जंगल से लाल-भूरे रंग के पिट वाइपर की एक अद्वितीय और नई प्रजाति की खोज की है जो गर्मी के प्रति संवेदनशील है।
- पिट वाइपर की यह नई प्रजाति, ट्राइमेरासुरस अरुणाचलेंसिस (Trimeresurus Arunachalensis) है। यह भारत के सभी ज्ञात पिट वाइपरों से भिन्न है।
- यह पिट वाइपर की ऐसी पहली प्रजाति है जिसका नाम राज्य के नाम पर रखा गया है।
- यह दुनिया के सभी ज्ञात पिट वाइपरों में सबसे दुर्लभ है।
- भारत में अन्य ज्ञात पिट वाइपर इस प्रकार हैं-
- मालाबार पिट वाइपर (Trimeresurus malabaricus)
- हॉर्सशू पिट वाइपर (Trimeresurus strigatus Gray)
- हम्प-नोज्ड पिट वाइपर (Hypnale hypnale Merrem)
- हिमालयन पिट वाइपर (Protobothrops himalayanus)
पट्टचित्र चित्रकारी
साइक्लोन फणि ने ओडिशा में कई क्षेत्रों को नुकसान पहुँचाया है। जिनमें से पट्ट चित्रकारी के लिये प्रसिद्ध स्थान भी शामिल है।
- ज्ञातव्य है कि पट्टचित्र शैली ओडिशा के सबसे पुराने और लोकप्रिय कला रूपों में से एक है।
- पट्टचित्र का नाम संस्कृत शब्दों पट्ट (कैनवास) और चित्र से लिया गया है।
- पट्टचित्र कैनवास पर की जाने वाली एक ऐसी चित्रकला है जिसमें समृद्ध रंगों का प्रयोग, रचनात्मक रूपांकन और डिज़ाइनों तथा सरल विषयों का चित्रण किया जाता है। इस चित्रकला में ज़्यादातर चित्र पौराणिक विषयों पर आधारित होते हैं।
- इस कला के माध्यम से प्रस्तुत कुछ लोकप्रिय विषय हैं- थिया बधिया - जगन्नाथ मंदिर का चित्रण; कृष्ण लीला - भगवान कृष्ण के रूप में जगन्नाथ का एक बच्चे के रूप में अपनी शक्तियों का प्रदर्शन; दासबतारा पट्टी - भगवान विष्णु के दस अवतार; पंचमुखी - भगवान गणेश का पाँच मुख वाले देवता के रूप में चित्रण।
- पट्टचित्र को कपड़े पर चित्रित करते समय कैनवास को पारंपरिक तरीके से तैयार किया है। इसके बेस को नरम, सफेद, चाक पाउडर और इमली के बीज से बने गोंद के साथ लेपन करके तैयार किया जाता है।
- सबसे पहले पेंटिंग के बॉर्डर को पूरा करने की परंपरा है। फिर चित्रकार हल्के लाल और पीले रंग का उपयोग करके ब्रश के साथ स्केच बनाना शुरू करता है।
- इसमें आमतौर पर सफेद, लाल, पीले और काले रंग इस्तेमाल किये जाते हैं।
- पेंटिंग पूरी होने के पश्चात् इसे चारकोल की जलती आग के ऊपर रखा जाता है और सतह पर लाह/लाख (lacquer) लगाया जाता है।
- इससे पेंटिंग जल प्रतिरोधी, टिकाऊ और चमकदार बन जाती है।
ASI द्वारा भारतीय कलाकृतियों की पहचान ASI identifies Indian artefacts
हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) की टीम द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान हड़प्पा संस्कृति की टेराकोटा वस्तुओं से लेकर गुप्त काल (5वीं -6वीं शताब्दी ईस्वी) तक की मूर्तियों की एक श्रृंखला की पहचान की गई है।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण टीम ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी सुरक्षा विभाग के आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन द्वारा ज़ब्त कलाकृतियों का निरीक्षण किया।
- एएसआई की टीम ने लगभग 100 वस्तुओं की पहचान की है जिनमें विभाग द्वारा जब्त 17 वस्तुएँ भी शामिल हैं।
- इन प्राचीनकालीन वस्तुओं में तमिलनाडु के सुट्टामल्ली (Suttamalli) और श्रीपुरंतन मंदिरों (Sripurantan temples) के सुंदर कांस्य कलाकृतियाँ तथा महाकोका देवता (Mahakoka Devata) की एक अति महत्तवपूर्ण प्रतिकृति भी है।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI)
- ASI पुरातात्त्विक अनुसंधान, वैज्ञानिक विश्लेषण, पुरातात्त्विक स्थलों की खुदाई, स्मारकों के संरक्षण और राष्ट्रीय महत्त्व के क्षेत्रों के संरक्षण, स्थल संग्रहालयों के रखरखाव तथा प्राचीन वस्तुओं से संबंधित विधायिकाओं के समग्र विनियमन के लिये एक प्रमुख संगठन है।
- इसकी स्थापना 1861 में हुई।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- यह संस्कृति विभाग के अधीन एक संलग्न कार्यालय है।
- एक महानिदेशक, दो संयुक्त महानिदेशक तथा 17 निदेशक कर्त्तव्यों के निर्वहन में महानिदेशक की सहायता करते हैं।