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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 07 अगस्त, 2021

  • 07 Aug 2021
  • 8 min read

अबनींद्रनाथ टैगोर

Abanindranath Tagore

अबनींद्रनाथ टैगोर के जन्मदिवस के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में साल भर तक चलने चलने वाले समारोह की शुरुआत जल्दी ही हो जाएगी, जिसमें विभिन्न ऑनलाइन कार्यशालाओं और वार्ताओं के माध्यम से बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के अग्रणी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

अबनींद्रनाथ टैगोर के विषय में:

Abanindranath-Tagore

  • जन्म: 07 अगस्त, 1871 को ब्रिटिश भारत के कलकत्ता के जोरासांको (Jorasanko) में । 
    • वह रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे थे।
  • विचार: अपनी युवावस्था में, अबनींद्रनाथ ने यूरोपीय कलाकारों से यूरोपीय और अकादमिक शैली में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
    • हालाँकि, उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक के दौरान, यूरोपीय प्रकृतिवाद (जो चीजों को उसी रूप में प्रस्तुत करता है जैसे कि एक व्यक्ति द्वारा देखा गया है अर्थात् प्राकृतिक विज्ञान के सिद्धांतों से प्रेरित) के प्रति उनमें अरुचि विकसित हुई।
    • उनका झुकाव ऐतिहासिक या साहित्यिक संकेतों के साथ चित्रों को चित्रित करने की ओर हुआ और इसके लिये उन्हें मुगल लघुचित्रों से प्रेरणा मिली।
    • उनकी प्रेरणा का एक अन्य स्रोत जापानी दार्शनिक और एस्थेटिशियन ओकाकुरा काकुज़ो द्वारा वर्ष1902 में की गई कोलकाता की यात्रा थी।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:

  • उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में, कला के क्षेत्र में एक नए आन्दोलन का जन्म हुआ, जिसे शुरूआती प्रोत्साहन भारत में बढ़ते राष्ट्रवाद से प्राप्त हुआ।
  • बंगाल में, अबनींद्रनाथ टैगोर के नेतृत्त्व में राष्ट्रवादी कलाकारों का एक नया समूह अस्तित्त्व में आया।
  • वह यकीनन एक कलात्मक भाषा के पहले प्रमुख प्रतिपादक थे जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत कला के पश्चिमी मॉडलों के प्रभाव का मुकाबला करने के लिये मुगल और राजपूत शैलियों का आधुनिकीकरण करने की मांग की थी।
  • यद्यपि इस नई प्रवृत्ति के कई चित्र मुख्य रूप से भारतीय पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक विरासत के विषयों पर केंद्रित हैं, वे भारत में आधुनिक कला संबंधी आंदोलन तथा कला इतिहासकारों के अध्ययन के लिये महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • स्वदेशी विषयों की उनकी अनूठी व्याख्या ने एक नई जागृति पैदा की और भारतीय कला के पुनरुद्धार की शुरुआत की।
  • वह प्रतिष्ठित 'भारत माता' पेंटिंग के निर्माता थे।
  • विक्टोरिया मेमोरियल हॉल रबीन्द्र भारती सोसाइटी संग्रह का संरक्षक है, जो कलाकारों के महत्त्वपूर्ण कृतियों का सबसे बड़ा संग्रह है।

बंगाल स्कूल ऑफ पेंटिंग

(Bengal School of Painting)

  • इसे पुनर्जागरण विद्यालय या पुनरुद्धारवादी स्कूल (Renaissance School or the Revivalist School) भी कहा जाता है, क्योंकि यह भारतीय कला के पहले आधुनिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता था।
  • इसने भारतीय कला के महत्त्व को पुनः पहचानने और सचेत रूप से अतीत की रचनाओं से प्रेरित एक वास्तविक भारतीय कला के रूप में इसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया।
  • इसके अग्रणी कलाकार अबनिंद्रनाथ टैगोर और प्रमुख सिद्धांतकार ई.बी. हैवेल, कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्राचार्य थे।

मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार

Major Dhyan Chand Khel Ratna Award

हाल ही में प्रधानमंत्री ने देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ कर दिया।

  • भारत पुरुष हॉकी टीम द्वारा टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने और महिला टीम के चौथे स्थान पर रहने के एक दिन बाद यह निर्णय सामने आया।

प्रमुख बिंदु

पुरस्कार के विषय में:

  • इस निर्णय के बाद राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा।
    • परिवर्तित नाम के साथ अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के साथ 25 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
  • राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा प्रत्येक चार वर्ष की अवधि में एक खिलाड़ी द्वारा खेल के क्षेत्र में शानदार एवं सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल पुरस्कार है।
    • इस पुरस्कार में एक पदक, एक प्रमाण पत्र और 7.5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार शामिल है।
  • खेल रत्न पुरस्कार वर्ष 1991-1992 में स्थापित किया गया था और पहले प्राप्तकर्त्ता शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद थे। अन्य विजेताओं में लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्लै, पुलेला गोपीचंद, अभिनव बिंद्रा, अंजू बॉबी जॉर्ज, मैरी कॉम और रानी रामपाल थे।

मेजर ध्यानचंद:

  • ‘द विजार्ड’ के नाम से मशहूर फील्ड हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1926 से 1949 तक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खेली और अपने कॅ रियर में 400 से अधिक गोल किये।
  • इलाहाबाद में जन्में ध्यानचंद उस ओलंपिक टीम का हिस्सा थे, जिसने वर्ष 1928, 1932 और 1936 में स्वर्ण पदक जीते।
  • खेल रत्न पुरस्कार के अलावा, खेल में आजीवन उपलब्धि के लिये देश का सर्वोच्च पुरस्कार ध्यानचंद पुरस्कार के रूप में जाना जाता है। इसकी स्थापना वर्ष 2002 में हुई थी।
  • वर्ष 2002 में नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम का नाम बदलकर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया था।
  • 29 अगस्त, 1905 को जन्में मेजर ध्यानचंद की जयंती को चिह्नित करने के लिये 29 अगस्त को हर साल पूरे भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।
    • इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति विभिन्न खेलों के प्रतिष्ठित एथलीटों को खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित करते हैं।
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