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प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 06 नवंबर, 2020

  • 06 Nov 2020
  • 14 min read

प्रो. ए. एन. भादुड़ी मेमोरियल लेक्चर अवार्ड-2020

Prof. A N Bhaduri Memorial Lecture Award-2020

हाल ही में ‘काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-CDRI), लखनऊ के डॉ. सुशांत कर (Dr. Susanta Kar) को सोसाइटी ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्स, इंडिया द्वारा ‘प्रो. ए. एन. भादुड़ी मेमोरियल लेक्चर अवार्ड’ (Prof. A N Bhaduri Memorial Lecture Award) से सम्मानित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह पुरस्कार लीशमैनिया डोनोवानी (Leishmania Donovani) की उत्तरजीवी रणनीति को परिभाषित करने हेतु महत्त्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिये प्रदान किया गया है।
    • लीशमैनिया डोनोवानी (Leishmania Donovani) एक प्रोटोजोआ परजीवी है जो मैक्रोफेजेज़ (Macrophages) कोशिकाओं को संक्रमित करता है और दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले एक घातक संक्रामक रोग कालाज़ार (Kala Azar) का एक प्रेरक एजेंट है।
  • डॉ. सुशांत कर की रिसर्च टीम ने मैक्रोफेजेज़, डेंड्राइटिक कोशिकाओं (Dendritic Cells) और टी-कोशिकाओं जैसी विभिन्न प्रतिरक्षा कोशिकाओं के साथ लीशमैनिया परजीवी के पारस्परिक संबंधों तथा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया/संक्रमण प्रगति पर इन पारस्परिक संबंधों के प्रभाव का अध्ययन किया।
  • यह पुरस्कार प्रत्येक दो वर्ष में प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के प्राप्तकर्त्ता 50 वर्ष से कम आयु के होना चाहिये। यह पुरस्कार जैविक रसायन विज्ञान और संबद्ध विज्ञानों (Biological Chemistry and Allied Sciences) विशेषकर परजीवी संक्रमण से संबंधित विषय के लिये प्रदान किया जाता है।
  • सोसाइटी ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्स, इंडिया की स्थापना वर्ष 1930 में हुई थी और इसका मुख्यालय भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु के परिसर में है। 
  • लखनऊ स्थित ‘काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-CDRI), भारत का एक प्रमुख औषधि अनुसंधान संस्थान है।

लीशमैनियासिस (Leishmaniasis):

  • यह भारत सहित लगभग 100 देशों को प्रभावित करने वाली एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी (Neglected Tropical Disease) है।
    • उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियाँ संचारी रोगों का एक विविध समूह होती हैं जो 149 देशों के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में व्याप्त है। 
  • यह लीशमैनिया (Leishmania) नामक एक परजीवी के कारण होता है जो सैंड फ्लाई (Sand Flies) के काटने से फैलता है।
  • लीशमैनियासिस के निम्नलिखित तीन मुख्य रूप हैं:
    • आँत का (Visceral) लीशमैनियासिस: यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है और यह रोग का सबसे गंभीर रूप है।
    • त्वचीय (Cutaneous) लीशमैनियासिस: इस बीमारी से त्वचा में घाव हो जाते हैं और यह बीमारी का आम रूप है।
    • श्लेष्मत्वचीय (Mucocutaneous) लीशमैनियासिस: इस बीमारी में त्वचा एवं श्लैष्मिक घाव होते हैं।

उल्लेखनीय है कि मानव शरीर में आँत की लीशमैनियासिस को आमतौर पर भारत में कालाज़ार (Kala-azar) के रूप में जाना जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय ‘सतावधानम’

International ‘Satavadhanam’

5 नवंबर, 2020 को भारत के उपराष्ट्रपति ने वर्चुअल तरीके से अंतर्राष्ट्रीय ‘सतावधानम’ (International ‘Satavadhanam’) कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 

प्रमुख बिंदु: 

  • इस कार्यक्रम का आयोजन डॉ. मेदासनी मोहन (Dr. Medasani Mohan) द्वारा तिरुपति में श्री कृष्णदेवराय सत्संग के तत्त्वावधान में किया गया।

अवधानम (Avadhanam):

  • 'अवधानम' भारत में प्राचीन समय से लोकप्रिय एक साहित्यिक प्रदर्शन है। 'अवधानम' की उत्पत्ति एक संस्कृत साहित्यिक प्रक्रिया के रूप में हुई थी किंतु यह आधुनिक समय में तेलुगू एवं कन्नड़ भाषा के कवियों के कारण पुनर्जीवित है।
  • 'अवधानम' (Avadhanam) एक रोचक साहित्यिक गतिविधि है जिसमें मुश्किल साहित्यिक पहेलियों को हल करना, कविताओं को सुधारना और ऐसे कई कार्यों को एक साथ करने की एक व्यक्ति की क्षमता का परीक्षण करना शामिल है।
  • अवधानी (Avadhani) का अर्थ उस व्यक्ति से है जो ‘अवधानम’ करता है अर्थात् प्रश्न पूछने वाले कई व्यक्तियों में से एक प्रच्चाका (Prcchaka)/ प्रश्नकर्त्ता है।
    • प्रच्चाकों (Prcchakas) की संख्या 8 (अष्टावधानम), 100 (सतावधानम), 1000 (सहस्त्रावधानम) भी हो सकती है।   

गांधीवादी युवा तकनीकी पुरस्कार

Gandhian Young Technological Awards

5 नवंबर, 2020 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से  ‘स्टूडेंट्स इनोवेशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ रिसर्च एक्सप्लोरेशन-गांधीवादी युवा तकनीकी नवाचार’ (Students Innovations for Advancement of Research Explorations - Gandhian Young Technological Innovation: SITARE-GYTI) और ‘सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड इनिशिएटिव फॉर सस्टनेबल टेक्नोलॉजी-गांधीवादी युवा तकनीकी नवाचार’ (Society for Research and Initiatives for Sustainable Technological Innovations-Gandhian Young Technological Innovation: SRISTI-GYTI) पुरस्कार प्रदान किये।

प्रमुख बिंदु:

  • गांधीवादी युवा तकनीकी नवाचार पुरस्कार को दो श्रेणियों (SITARE-GYTI एवं SRISTI-GYTI) में विभाजित किया गया है। 
    • SITARE-GYTI को ‘बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल’ (Biotechnology Industry Research Assistance Council- BIRAC) और SRISTI-GYTI को ‘सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड इनिशिएटिव फॉर सस्टनेबल टेक्नोलॉजी’ (SRISTI) के तहत शामिल किया गया है। 
    • इन दो श्रेणियों में पुरस्कार देने का उद्देश्य छात्रों में तकनीकी विचारों को बढ़ावा देना तथा उन्हें बायोटेक एवं स्टार्टअप स्थापित करने की दिशा में प्रोत्साहित करना है।
  • SITARE-GYTI श्रेणी में 14 प्रमुख पुरस्कार एवं 11 प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किये गए, जबकि SRISTI-GYTI श्रेणी में 7 प्रमुख पुरस्कार एवं 16 प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किये गए हैं।
  • SITARE-GYTI श्रेणी के विजेताओं ने 89 पब्लिकेशन, 39 पेटेंट सहित 10 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश और दूसरे पुरस्कार हासिल किये हैं। 
  • SITARE-GYTI पुरस्कार प्रत्येक वर्ष जैविक विज्ञान, बायोटेक्नोलॉजी, कृषि, मेडिकल उपकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले युवा छात्रों को प्रदान किया जाता है। इसी तरह SRISTI-GYTI पुरस्कार इंजीनियरिंग के अलावा दूसरे विषयों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले छात्रों को प्रदान किया जाता है।

तीव्र रेडियो प्रस्फोट

Fast Radio Burst

28 अप्रैल, 2020 को नासा (NASA) ने आकाशगंगा (मिल्की वे) में एक्स-रे और रेडियो संकेतों का मिश्रण (एक तरह का प्रस्फोट) देखा जो पहले कभी नहीं देखा गया था। गौरतलब है कि इस प्रस्फोट में आकाशगंगा के भीतर देखी जाने वाली पहली घटना तीव्र रेडियो प्रस्फोट (Fast Radio Burst- FRB) भी शामिल है। 

FRB

प्रमुख बिंदु:

  • नासा के ‘विंड मिशन’ के साथ कई उपग्रहों ने एक ही समय में प्रस्फोट वाले एक्स-रे भाग का पता लगाया था और रेडियो घटक की खोज ‘कैनेडियन हाइड्रोजन इंटेंसिटी मैपिंग एक्सपेरिमेंट’ (Canadian Hydrogen Intensity Mapping Experiment- CHIME) द्वारा की गई थी। 
    • CHIME, ब्रिटिश कोलंबिया में ‘डोमिनियन रेडियो एस्ट्रोफिजिकल ऑब्ज़र्वेटरी’ (Dominion Radio Astrophysical Observatory) में स्थित एक रेडियो दूरबीन है। जिसका संचालन-नेतृत्त्व मॉन्ट्रियल में मैकगिल विश्वविद्यालय (McGill University), ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय और टोरंटो विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है।
  • इसके अलावा नासा द्वारा वित्तपोषित परियोजना जिसे ‘सर्वे फॉर ट्रांसिएंट एस्ट्रोनॉमिकल रेडियो एमिशन 2’ (Survey for Transient Astronomical Radio Emission 2- STARE2) कहा जाता है, ने CHIME द्वारा देखे गए रेडियो प्रस्फोट का भी पता लगाया है।
    • STARE2 दक्षिणी कैलिफोर्निया में कालटेक (Caltech) और नासा की ‘जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी’ (Jet Propulsion Laboratory) द्वारा संचालित है और इसकी टीम ने निर्धारित किया कि प्रस्फोट ऊर्जा FRBs के बराबर थी।

तीव्र रेडियो प्रस्फोट (Fast Radio Burst- FRB):

  • वैज्ञानिकों द्वारा पहला FRB वर्ष 2007 में खोजा गया था। 
  • FRB रेडियो तरंगों के उज्ज्वल प्रस्फोट हैं जिनकी अवधि मिली-सेकंड में होती है, परिणामतः उनका पता लगाना और आकाश में उनकी स्थिति निर्धारित करना मुश्किल है।
    • चुंबकीय क्षेत्रों में बदलाव के साथ रेडियो तरंगों की उत्पत्ति खगोलीय पिंडों द्वारा की जा सकती है।

FRB का उद्भव स्रोत:

  • अप्रैल 2020 में मिल्की वे में खोजा गया FRB का स्रोत एक बहुत शक्तिशाली ‘मैग्नेटिक न्यूट्रॉन स्टार’ (Magnetic Neutron Star) है जिसे एक मैग्नेटार (Magnetar) के रूप में संदर्भित किया जाता है। इसे SGR 1935+2154 या SGR 1935 कहा जाता है जो नक्षत्र-मंडल वल्पेकुला (Vulpecula) में अवस्थित है और यह पृथ्वी से लगभग 14000- 41,000 प्रकाश वर्ष दूर है। 
  • FRB, मैग्नेटार के सबसे बड़े प्रस्फोटों में से एक का हिस्सा था जिसमें एक्स-रे विस्फोट की दर एक सेकंड से भी कम थी। दूसरी ओर ‘रेडियो प्रस्फोट’ एक सेकंड के हज़ारवें भाग में था और पहले मिल्की वे में देखे गए मैग्नेटर्स से किसी भी अन्य रेडियो उत्सर्जन की तुलना में हज़ारों गुना तेज़ था।

मैग्नेटार (Magnetar):

  • नासा के अनुसार, एक मैग्नेटार एक न्यूट्रॉन स्टार है, ऐसे तारे का चुंबकीय क्षेत्र बहुत शक्तिशाली होता है, जो एक रेफ्रिजरेटर मैग्नेट (Refrigerator Magnet) से 10 ट्रिलियन गुना अधिक मज़बूत हो सकता है और एक विशिष्ट न्यूट्रॉन स्टार की तुलना में हज़ार गुना अधिक मज़बूत होता है।
    • न्यूट्रॉन तारे का निर्माण तब होता है जब किसी विशाल तारे का कोर गुरुत्वाकर्षण की पतनावस्था से गुज़रता है और अपने जीवन के अंत तक पहुँचता है।
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