प्रीलिम्स फैक्ट्स: 06 मार्च, 2020 | 06 Mar 2020
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सब्जेक्ट रैंकिंग 2020
QS World University Subject Rankings 2020
हाल ही में क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सब्जेक्ट रैंकिंग (QS World University Subject Rankings 2020) के 2020 संस्करण में आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली को विश्व के शीर्ष 50 इंजीनियरिंग संस्थानों में शामिल किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सब्जेक्ट रैंकिंग 2020 को क्वैकरेली साइमंड्स (Quacquarelli Symonds) द्वारा लंदन में जारी किया गया।
- क्वैकरेली साइमंड्स वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय रैंकिंग का प्रकाशन करता है।
- क्यूएस रैंकिंग के लिये चार प्रमुख कारकों का उपयोग किया जाता है जिसमें शैक्षणिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, प्रति पेपर उद्धरण और एच-इंडेक्स शामिल हैं।
एच-इंडेक्स (h-Index):
- एच-इंडेक्स एक लेखक-स्तर का मापक है जो एक वैज्ञानिक या विद्वान के प्रकाशनों की उत्पादकता एवं उद्धरण प्रभाव दोनों को मापता है।
- लेखक-स्तर का मापक व्यक्तिगत लेखकों, शोधकर्त्ताओं, शिक्षाविदों और विद्वानों के ग्रंथ सूची प्रभाव को मापता है।
- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology- MIT) ने लगातार नौवें वर्ष क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
- इंजीनियरिंग में QS वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष 100 में 5 भारतीय संस्थान– आईआईटी बॉम्बे (44वें), आईआईटी दिल्ली (47वें), आईआईटी खड़गपुर (86वें), आईआईटी मद्रास (88वें) और आईआईटी कानपुर (96वें) शामिल हैं।
- कला एवं मानविकी के क्षेत्र में QS वर्ल्ड रैंकिंग में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को 163वाँ स्थान एवं दिल्ली विश्वविद्यालय को 231वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- इस रैंकिंग में भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के 26 विभागों को स्थान दिया गया है। ये सभी 26 विभाग केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्थानों (आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी और दिल्ली विश्वविद्यालय) के अंतर्गत आते हैं।
जीवन कौशल पाठ्यक्रम
Jeevan Kaushal Curriculum
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में स्नातक छात्रों के लिये जीवन कौशल पाठ्यक्रम (Jeevan Kaushal Curriculum) विकसित किया है।
मुख्य बिंदु:
- यह पाठ्यक्रम संचार कौशल, व्यावसायिक कौशल, नेतृत्व क्षमता एवं प्रबंधन कौशल और सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर आधारित है।
- UGC ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से स्नातक स्तर पर विश्वविद्यालयों एवं संबद्ध कॉलेजों/संस्थानों में इस पाठ्यक्रम पर विचार करने का अनुरोध किया है।
उद्देश्य: जीवन कौशल पाठ्यक्रम के उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
- सभी आशंकाओं एवं असुरक्षाओं को दूर करने हेतु स्वयं की मदद करके किसी को पूरी तरह से जागरूक करने तथा उसके पूर्ण विकास के लिये क्षमताओं को बढ़ाना।
- अध्ययन/कार्य के स्थान पर भावनात्मक सामर्थ्य एवं भावनात्मक बुद्धिमत्ता के ज्ञान तथा जागरूकता बढ़ाना।
- व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से किसी की क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिये अवसर प्रदान करना।
- पारस्परिक कौशल विकसित करना और स्वयं एवं दूसरों के सशक्तिकरण के लिये अच्छे नेतृत्व व्यवहार को अपनाना।
- उचित लक्ष्य निर्धारित करना तथा प्रभावी ढंग से तनाव एवं समय प्रबंधन करना।
- नैतिकता के साथ उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये सभी स्तरों पर विभिन्न योग्यताओं का प्रबंधन करना।
भरतनाट्यम
Bharatanatyam
भरतनाट्यम (Bharatanatyam) भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक प्रमुख रूप है। इस नृत्य शैली का संबंध तमिलनाडु राज्य से है।
मुख्य बिंदु:
- भरतनाट्यम का उद्भव भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र से हुआ है।
- यह संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi) द्वारा मान्यता प्राप्त नृत्य के आठ रूपों में से एक है और यह दक्षिण भारतीय धार्मिक विषयों एवं आध्यात्मिक विचारों विशेष रूप से शैववाद, वैष्णववाद और शक्तिवाद को व्यक्त करता है।
- दूसरी शताब्दी में भरतनाट्यम का वर्णन प्राचीन तमिल महाकाव्य शिलप्पादिकारम (Shilappatikaram) में मिलता है।
शिलप्पादिकारम:
- शिलप्पादिकारम को 'तमिल साहित्य' के प्रथम महाकाव्य के रूप में जाना जाता है। इस महाकाव्य की रचना चेर वंश के शासक सेनगुट्टुवन (Cenkuttuvan) के भाई इंगालोआदिकल (Ingaloadikal) ने लगभग ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी में की थी।
- इसमें मदुरै नगर का सुन्दर वर्णन किया गया है और इसमें मुख्य चरित्रों में कोवलन एवं कन्नगी दंपत्ति तथा माध्वी नामक नर्तकी हैं।
- यह महाकाव्य तीन भागों पुहारक्कांडम, मदरैक्कांडम और वंजिक्कांडम में विभाजित है। इन तीनों भागों में क्रमशः चोल, पाण्ड्य और चेर राज्यों का वर्णन किया गया है।
- दक्षिण भारत के मंदिरों में देवदासियों द्वारा शुरू किये गए भरतनाट्यम को 20वीं सदी में रुक्मिणी देवी अरुंडेल और ई. कृष्ण अय्यर के प्रयासों से पर्याप्त सम्मान मिला।
- नंदिकेश्वर द्वारा रचित ‘अभिनय दर्पण’ भरतनाट्यम के तकनीकी अध्ययन हेतु एक प्रमुख स्रोत है।
- इस नृत्य के संगीत वाद्य मंडल में एक गायक, एक बाँसुरी वादक, एक मृदंगम वादक, एक वीणा वादक और एक करताल वादक होता है।
- भरतनाट्यम एकल स्त्री नृत्य है। इसमें कविता पाठ करने वाले व्यक्ति को ‘नडन्न्वनार’ कहते हैं।
भरतनाट्यम: नृत्य पदानुक्रम
- भरतनाट्यम में शारीरिक क्रियाओं को तीन भागों में बाँटा जाता है-समभंग, अभंग और त्रिभंग।
- इसमें नृत्य क्रम इस प्रकार होता है- आलारिपु (कली का खिलना), जातीस्वरम् (स्वर जुड़ाव), शब्दम् (शब्द और बोल), वर्णम् (शुद्ध नृत्य और अभिनय का जुड़ाव), पदम् (वंदना एवं सरल नृत्य) तथा तिल्लाना (अंतिम अंश विचित्र भंगिमा के साथ)।
भरतनाट्यम के प्रमुख कलाकार:
- इस नृत्य के प्रमुख कलाकारों में पद्म सुब्रह्मण्यम्, अलारमेल वल्ली, यामिनी कृष्णमूर्ति, अनिता रत्नम, मृणालिनी साराभाई, मल्लिका साराभाई, मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई, सोनल मानसिंह, वैजयंतीमाला, स्वप्न सुंदरी, रोहिंटन कामा, लीला सैमसन, बाला सरस्वती आदि शामिल हैं।
सोलर चरखा मिशन
Solar Charkha Mission
भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro,Small & Medium Enterprises) द्वारा 27 जून, 2018 को सोलर चरखा मिशन (Solar Charkha Mission) की शुरुआत की गई।
मुख्य बिंदु:
- यह एक उद्यम संचालित योजना है। इसमें सोलर चरखा समूहों (Solar Charkha Clusters) की स्थापना की परिकल्पना की गई है जिसमें 200 से 2042 लाभार्थी (स्पिनर, बुनकर, सिलाई और अन्य कुशल कारीगर) होंगे। प्रत्येक स्पिनर को 10 स्पिंडल के दो चरखे दिए जाएंगे।
- इस योजना के तहत कोई सब्सिडी नहीं दी जाती है हालाँकि चरखा और करघों की खरीद के लिये 9.60 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- बिहार में वर्ष 2016 में नवादा ज़िले के खानवा गाँव में पायलट परियोजना के तहत स्थापित सौर चरखे से 1180 कारीगरों को लाभान्वित किया गया। इसकी सफलता को देखते हुए भारत सरकार ने ऐसे 50 क्लस्टर स्थापित करने की स्वीकृति दी।
- ब्याज की अभिव्यंजना (Expression of Interest- EOI) पर आधारित योजना के एक हिस्से के रूप में अब तक कुल 10 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है जिससे लगभग 13784 कारीगरों/श्रमिकों को लाभ होने की उम्मीद की गई।
- ब्याज की अभिव्यंजना (EOI) एक व्यवसाय की खरीद के लिये एक रणनीतिक या वित्तीय खरीदार द्वारा की गई एक अनौपचारिक पेशकश है। इसका प्राथमिक उद्देश्य एक मूल्यांकन रेंज का सुझाव देना है जो एक खरीदार कंपनी हेतु भुगतान करने के लिये तैयार है।
- जिन राज्यों में सौर चरखा क्लस्टर स्वीकृत हैं वे निम्नलिखित हैं।
राज्य | सब्सिडी की राशि (लाख में) | सोलर चरखा समूहों की संख्या | लाभार्थियों की संख्या |
छत्तीसगढ़ | 578.49 | 1 | 1200 |
गुजरात | 405.45 | 1 | 1000 |
कर्नाटक | 1920.49 | 2 | 4042 |
महाराष्ट्र | 1336.76 | 2 | 2742 |
ओडिशा | 676.25 | 1 | 1400 |
राजस्थान | 959.95 | 1 | 2000 |
उत्तर प्रदेश | 754.24 | 2 | 1400 |
कुल | 6631.65 | 10 | 13784 |
लाभ:
- ये सोलर चरखे सौर ऊर्जा का उपयोग करके संचालित किये जायेंगे जो एक अक्षय ऊर्जा का स्रोत है। यह हरित अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करेगा क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल कार्यक्रम है। यह कारीगरों के लिये स्थायी रोज़गार भी पैदा करेगा।
नैनो विज्ञान एवं नैनो प्रौद्योगिकी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
International Conference on Nano Science and Nano Technology
नैनो विज्ञान एवं नैनो प्रौद्योगिकी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Nano Science and Nano Technology- ICONSAT) का आयोजन 5-7 मार्च, 2020 को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में किया जा रहा है।
उद्देश्य:
- इस सम्मेलन का उद्देश्य नैनो तकनीक की मदद से भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, पदार्थ विज्ञान (Materials Science) के साथ-साथ जैविक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक विकास को बढ़ावा देना तथा सतत् विकास एवं नई तकनीकों (मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि) के साथ नैनो तकनीक को एकीकृत करना है।
मुख्य बिंदु:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तत्वावधान में नैनो मिशन के अंतर्गत ICONSAT भारत में आयोजित द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की शृंखला है।
नैनो मिशन:
- भारत सरकार ने ‘मिशन क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ के रूप में वर्ष 2007 में नैनो मिशन की शुरुआत की थी।
- यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इस मिशन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- बुनियादी अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
- नैनो अनुप्रयोगों एवं प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना।
- मानव संसाधन विकास को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हासिल करना।
- नैनो मिशन के नेतृत्व में किए गये प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्तमान में भारत नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रकाशनों के मामले में विश्व के शीर्ष पाँच देशों में शामिल है।
- इस सम्मेलन में 5M (मैकेनिकल, मटेरियल, मशीन, मैन्युफैक्चरिंग और मैनपावर) और नैनो-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ इन 5M के एकीकरण पर ज़ोर दिया गया।
- इस अवसर पर नैनो-विज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञों का एक नेटवर्क बनाने और ऊर्जा, कृषि, परिवहन, स्वास्थ्य एवं इस तरह के अन्य क्षेत्रों में ज्ञान का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।