प्रीलिम्स फैक्ट्स: 05- 09- 2015 | 05 Sep 2019
केप बफेलो
Cape Buffalo
हाल ही में दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क (National Zoological Park) में संरक्षित अफ्रीकी प्रजाति के एकमात्र केप बफेलो (Cape Buffalo) की मृत्यु हो गई।
- केप बफेलो अफ्रीकी प्रजाति के बड़े आकार के बफेलो होते हैं जो दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं।
- इस केप बफेलो (Cape Buffalo) की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके पेट में एक प्लास्टिक का पैकेट मिला जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी मृत्यु प्लास्टिक खाने से ही हुई है।
- हालाँकि दिल्ली में प्लास्टिक का उपयोग पूर्णतः बैन है लेकिन व्यावहारिक स्तर पर यह संभव नहीं हो सका है। आगंतुक प्लास्टिक बैग के साथ चिड़ियाघर में स्वतंत्रतापूर्वक प्रवेश करते हैं और बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा परिसर के अंदर फेक कर चले जाते हैं जिस पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
- उल्लेखनीय है कि दिल्ली के चिड़ियाघर में दो केप बफेलो थे, जिनमें से एक की मृत्यु फरवरी 2017 में तपेदिक के कारण हो गई थी।
- अफ्रीकी बफेलो के बड़े झुंड दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क (Kruger National Park) में देखे जाते हैं।
- केप बफेलो शेरों और मनुष्यों को मारने के लिये जाने जाते हैं तथा उन्हें अक्सर ब्लैक डेथ्स (Black Deaths) के रूप में भी जाना जाता है।
कोझीकोड में रॉक-कट गुफा
Rock-cut Cave in Kozhikode
केरल राज्य पुरातत्त्व विभाग (Kerala State Archaeology Department) को कन्नूर जिले के पोथुवाचेरी (Pothuvachery) में एक रॉक-कट गुफा (rock-cut cave) से लोहे की तलवार, एक छेनी तथा कुछ सजाए गए मिट्टी के बर्तन प्राप्त हुए हैं।
- अर्द्ध-गोलाकार आकार की इस गुफा का व्यास 2.5 मीटर और ऊँचाई 90 सेमी. है।
- केरल राज्य पुरातत्त्व विभाग के अनुसार, कन्नूर ज़िले में प्राप्त हुई वस्तुएँ मेगालिथिक युग की हैं।
- वैज्ञानिकों द्वारा 105 सेमी. लंबी तलवार का निरीक्षण करने पर पाया गया कि यह तलवार लगभग 2,500 साल पुरानी है।
- हालाँकि यह तलवार दुर्लभ नहीं है। इससे पहले भी कोझीकोड के कुरुवत्तुर (Kuruvattur) से इसके ही समान रॉक-कट गुफा से एक तलवार पाई गई थी जो मेगालिथिक लोगों की तकनीकी प्रगति के बारे में ऐतिहासिक जानकारी प्रदान करती है।
- हालाँकि रॉक-कट गुफा की खोज कन्नूर शहर से 12 किलोमीटर दूर माविल्यी गाँव में मणिक्यिल मंदिर मार्ग के पास है।
विश्व यात्रा, पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक
World Travel, Tourism Competitiveness Index
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में भारत को विश्व यात्रा, पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक में 34वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भारत की रैंकिंग 40वीं थी।
- रैंकिंग में सुधार का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण भारत का समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधनों तथा बाज़ार में कम मूल्य पर वस्तुओं की उपलब्धता से प्रेरित होना है।
- रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में भारत को इस सबसे प्रतिस्पर्द्धी यात्रा-पर्यटन अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल है।
- चीन, मेक्सिको, मलेशिया, थाईलैंड, ब्राज़ील और भारत भले ही उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था नहीं हैं लेकिन सांस्कृतिक संसाधन एवं व्यापारिक यात्रा के क्षेत्र में शीर्ष 35 देशों में शामिल हैं।
- एक उप-क्षेत्रीय दृष्टिकोण से भारत का वायुमार्ग के बुनियादी ढाँचे में 33वाँ, बुनियादी एवं बंदरगाह ढाँचे में 28वाँ, अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता में 51वाँ, प्राकृतिक सौंदर्य में 14वाँ तथा सांस्कृतिक संसाधन के क्षेत्र में 8वाँ स्थान है।
- भारत ने अपने कारोबारी माहौल, बुनियादी ढाँचे तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तत्परता के क्षेत्र में भी काफी सुधार किया है।
- हालाँकि भारत को अभी भी अपने व्यापार सुगमता, पर्यटन सेवा के बुनियादी ढाँचे तथा पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने की आवश्यकता है।
- विश्व यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक में शामिल 140 देशों में स्पेन को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है, उसके बाद क्रमशः फ्राँस, जर्मनी और जापान तथा संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान है।