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डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 04 जनवरी, 2020

  • 04 Jan 2020
  • 15 min read

घाटप्रभा नदी

Ghataprabha River

घाटप्रभा (Ghataprabha) कर्नाटक में प्रवाहित कृष्णा नदी की सहायक नदी है। कर्नाटक में घाटप्रभा नदी पर हिडकल परियोजना का निर्माण किया गया है।

Ghataprabha-River

  • हिडकल परियोजना कर्नाटक में बेलगावी ज़िले में स्थित है। यह परियोजना वर्ष 1977 में बनकर तैयार हुई थी। इस बांध पर एक जलाशय का निर्माण करके इसे बहुउद्देशीय परियोजना में परिवर्तित किया गया।
  • घाटप्रभा की सहायक नदियाँ- हिरण्यकेशी नदी और मार्कंडेय नदी।

कृष्णा नदी:

  • कृष्णा नदी प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसका उद्गम महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में स्थित महाबलेश्वर के पास से होता है।
  • कृष्णा नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
  • कृष्णा की सहायक नदियाँ हैं- कोयना, घाटप्रभा, मालप्रभा, भीमा, तुंगभद्रा,आदि।
  • कृष्णा नदी विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) के निकट अपना डेल्टा बनाती है।

ओडिशा की जनजातियाँ

Tribes of Odisha

सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों का सही से क्रियान्वयन न हो पाने के कारण ओडिशा के जनजातीय क्षेत्रों में निवास करने वाली जुआंग, पुडी भुइयां जैसी जनजातियाँ सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं।

जुआंग जनजाति (Juanga Tribe):

  • जुआंग ओडिशा के 13 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक है।
  • ये मुंडा भाषा की एक बोली ‘जुंगा’ बोलते हैं।
  • ये अपने त्योहार और विवाह समारोहों में चंगू नृत्य का आयोजन करते हैं।
  • जुआंग जनजाति के बीच कम उम्र में शादी का प्रचलन है।

पुडी भुइयां जनजाति (Pudi Bhuyan Tribe):

  • पुडी भुइयां ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध भुइयां जनजाति का एक प्रमुख वर्ग है।
  • यह जनजाति प्रमुख रूप से बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में पाई जाती है।
  • यह ओडिशा के 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक है।
  • ये स्थानीय ओडिया भाषा बोलते हैं जिसे अलग तरह से उच्चारित किया जाता है।

राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली

Political Parties Registration Tracking Management System

भारत निर्वाचन आयोग ने ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से एक राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली (Political Parties Registration Tracking Management System- PPRTMS) प्रारंभ की है।

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मुख्य बिंदु:

  • इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदक दलों के पंजीकरण सबंधी आवेदनों की स्थिति का पता लगाया जा सकेगा।
  • PPRTMS के माध्यम से 1 जनवरी, 2020 से राजनीतिक दल के पंजीकरण हेतु आवेदन करने वाले आवेदक दल अपने आवेदनों की स्थिति का पता लगा सकेंगे।
  • आयोग ने पिछले महीने पंजीकरण के लिये दिशा-निर्देशों में संशोधन किया था।
  • इस प्रणाली से संबंधित नए दिशा-निर्देश 1 जनवरी, 2020 से प्रभावी हैं।
  • आवेदक को अपने आवेदन में दल/आवेदक का मोबाइल नंबर और ई-मेल पता दर्ज करना होगा ताकि इसके माध्यम से वह अपने आवेदन की अद्यतन स्थिति के बारे में SMS एवं ई-मेल के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकें।

आवेदन की प्रक्रिया:

  • राजनीतिक दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29(A) के प्रावधानों के अंतर्गत होता है।
  • उपर्युक्‍त धारा के तहत भारत निर्वाचन आयोग में पंजीकरण करने वाले इच्‍छुक दल को अपने गठन की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होता है।

पटोला साड़ी

Patola Saree

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission-KVIC) ने 3 जनवरी, 2020 को गुजरात के सुरेंद्रनगर में प्रथम सिल्‍क प्रोसेसिंग प्‍लांट का उद्घाटन किया।

Patola-Saree

प्रमुख बिंदु

  • इस प्लांट से रेशम के धागों की उत्‍पादन लागत में कमी लाने के साथ-साथ गुजराती पटोला साडि़यों के लिये स्‍थानीय स्‍तर पर कच्‍चे माल की उपलब्‍धता एवं बिक्री बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
  • यह संयंत्र एक खादी संस्‍थान द्वारा 75 लाख रुपए की लागत से स्‍थापित किया गया है, जिसमें KVIC ने 60 लाख रुपए का योगदान किया है।
  • इस यूनिट में 90 स्‍थानीय महिलाएँ कार्यरत हैं।

प्रमुख विशेषताएँ

  • गुजरात की ट्रेडमार्क साड़ी ‘पटोला’ अत्‍यंत महँगी मानी जाती है। इसका कारण यह है कि इसके निर्माण में प्रयुक्त होने वाला कच्‍चा माल (रेशम के धागे) कर्नाटक अथवा पश्चिम बंगाल से खरीदा जाता है, जहाँ सिल्‍क प्रोसेसिंग इकाइयाँ (यूनिट) अवस्थित हैं। इसी कारण फैब्रिक की लागत कई गुना बढ़ जाती है।

प्रभाव

  • कोकून को कर्नाटक एवं पश्चिम बंगाल से लाया जाएगा और रेशम के धागों की प्रोसेसिंग स्‍थानीय स्‍तर पर की जाएगी, जिससे उत्‍पादन लागत घट जाएगी और साथ ही प्रसिद्ध गुजराती पटोला साडि़यों की बिक्री को काफी बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख उद्देश्य

  • सुरेंद्रनगर, गुजरात का एक पिछड़ा ज़िला है, जहाँ KVIC ने सिल्‍क प्रोसेसिंग प्‍लांट की स्‍थापना के लिये 60 लाख रुपए का निवेश किया है।
  • इसका मुख्‍य उद्देश्‍य निकटवर्ती क्षेत्र में पटोला साड़ियाँ तैयार करने वालों को किफायती दर पर रेशम आसानी से उपलब्‍ध कराते हुए पटोला साड़ियों की बिक्री को बढ़ावा देना और लोगों की आजीविका का मार्ग प्रशस्‍त करना है।
  • परंपरागत रूप से भारत के हर क्षेत्र में सिल्‍क की साड़ियों की अनूठी बुनाई होती है। उल्‍लेखनीय है कि पटोला सिल्‍क साड़ी को भी शीर्ष पाँच सिल्‍क बुनाई में शुमार किया जाता है।

नृत्य कलानिधि पुरस्कार

Nritya Kala Nidhi Award

3 जनवरी, 2020 को मद्रास संगीत अकादमी में शुरू हुए 14वें नृत्य महोत्सव में प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना प्रियदर्शनी गोविंद को नृत्य कलानिधि पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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भरतनाट्यम

  • भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से जन्मी इस नृत्य शैली का विकास तमिलनाडु में हुआ।
  • मंदिरों में देवदासियों द्वारा शुरू किये गए इस नृत्य को 20वीं सदी में रुक्मिणी देवी अरुंडेल और ई. कृष्ण अय्यर के प्रयासों से पर्याप्त सम्मान मिला।
  • नंदिकेश्वर द्वारा रचित ‘अभिनय दर्पण’ भरतनाट्यम के तकनीकी अध्ययन हेतु एक प्रमुख स्रोत है।
  • भरतनाट्यम नृत्य के संगीत वाद्य मंडल में एक गायक, एक बाँसुरी वादक, एक मृदंगम वादक, एक वीणा वादक और एक करताल वादक होता है।
  • भरतनाट्यम नृत्य के कविता पाठ करने वाले व्यक्ति को ‘नट्टुवनार’ कहते हैं।
  • भरतनाट्यम में शारीरिक क्रियाओं को तीन भागों में बाँटा जाता है- समभंग, अभंग और त्रिभंग।
  • इसमें नृत्य क्रम इस प्रकार होता है- आलारिपु (कली का खिलना), जातीस्वरम् (स्वर जुड़ाव), शब्दम् (शब्द और बोल), वर्णम् (शुद्ध नृत्य और अभिनय का जुड़ाव), पदम् (वंदना एवं सरल नृत्य) तथा तिल्लाना (अंतिम अंश विचित्र भंगिमा के साथ)।
  • भरतनाट्यम एकल स्त्री नृत्य है।
  • इस नृत्य के प्रमुख कलाकारों में पद्म सुब्रह्मण्यम, अलारमेल वल्ली, यामिनी कृष्णमूर्ति, अनिता रत्नम, मृणालिनी साराभाई, मल्लिका साराभाई, मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई, सोनल मानसिंह, वैजयंतीमाला, स्वप्न सुंदरी, रोहिंटन कामा, लीला सैमसन, बाला सरस्वती आदि शामिल हैं।

107वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस

107th Science Congress

3 जनवरी, 2020 को कृषि विज्ञान विश्‍वविद्यालय (University of Agricultural Sciences), बंगलूरू (कर्नाटक) में ‘107वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस’ की शुरुआत हुई।

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थीम

  • 7 जनवरी, 2020 तक चलने वाले इस आयोजन की थीम ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: ग्रामीण विकास’ (Science & Technology: Rural Development) है।

उद्देश्य

  • इस पाँच दिवसीय आयोजन का मुख्‍य उद्देश्‍य विज्ञान संबंधी अभिनव कार्यों एवं अनुसंधान पर गहन विचार-विमर्श करने के लिये विश्‍व भर के विज्ञान समुदाय को एकजुट करना है।

प्रमुख बिंदु

  • बंगलूरू में नौवीं बार विज्ञान कॉन्ग्रेस का आयोजन हो रहा है।
  • भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस के 106वें अधिवेशन का आयोजन जालंधर (पंजाब) के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (Lovely Professional University-LPU) में किया गया था।

किसान विज्ञान कॉन्ग्रेस

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के ज़रिये ग्रामीण विकास पर फोकस करते हुए भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस के इतिहास में पहली बार एक ‘किसान विज्ञान कॉन्ग्रेस’ का आयोजन किया जाएगा।
  • इस दौरान एकीकृत कृषि के लिये किसानों की ओर से नवाचार एवं किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये उद्यमिता, जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता, संरक्षण, पारिस्थितिकी से जुड़ी सेवाएँ एवं किसानों के सशक्तीकरण से लेकर कृषि क्षेत्र में गहराए संकट, ग्रामीण जैव-उद्यमिता एवं नीतिगत मुद्दों पर भी गहन चर्चा की जाएगी।
  • इस आयोजन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) एवं कृषि विज्ञान विश्‍वविद्यालय (UAS) के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के साथ-साथ ऐसे किसान भी भाग लेंगे, जिनके अभिनव उपायों ने इस क्षेत्र के विकास में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है।

राष्‍ट्रीय किशोर वैज्ञानिक सम्‍मेलन

  • 107वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस के एक भाग के रूप में 4-5 जनवरी, 2020 को दो दिवसीय ‘राष्‍ट्रीय किशोर वैज्ञानिक सम्‍मेलन’ आयोजित किया जाएगा। इस दौरान बच्‍चों को चयनित परियोजनाओं से अवगत होने और विद्यार्थियों के प्रतिनिधियों के साथ संवाद करने का अवसर मिलेगा। यही नहीं, बच्‍चों को जाने-माने वैज्ञानिकों और नोबेल पुरस्‍कार विजेताओं के विचारों को सुनने एवं उनसे संवाद करने का भी अवसर मिलेगा।

महिला विज्ञान कॉन्ग्रेस

  • महिला विज्ञान कॉन्ग्रेस का उद्देश्‍य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्‍न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को अपनी-अपनी उपलब्धियों को दर्शाने तथा अनुभवों को साझा करने के लिये एकल प्‍लेटफॉर्म मुहैया कराना है। इस दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं के लिये एक विज़न दस्‍तावेज़ या खाका (रोडमैप) भी तैयार किया जाएगा। इसी तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं की क्षमता का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनकी भूमिका बढ़ाने के लिये आवश्‍यक नीतियों की सिफारिश की जाएगी।
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