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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 04 अगस्त, 2021

  • 04 Aug 2021
  • 3 min read

मद्रास विधानपरिषद के 100 वर्ष

100 Years of Madras Legislative Council

हाल ही में राष्ट्रपति ने तमिलनाडु विधानसभा के 100वें वर्ष के स्मरणोत्सव को संबोधित किया, जिसे पहले चेन्नई में मद्रास विधानपरिषद (MLC) के रूप में जाना जाता था।

प्रमुख बिंदु

इतिहास:

  • मद्रास विधानपरिषद की स्थापना वर्ष 1921 में भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत की गई थी।
    • परिषद का कार्यकाल तीन वर्ष का था। इसमें 132 सदस्य थे, जिनमें से 34 राज्यपाल द्वारा मनोनीत और शेष निर्वाचित थे। 
  • इसकी पहली बैठक 9 जनवरी, 1921 को फोर्ट सेंट जॉर्ज, मद्रास में हुई।
  • इस परिषद का उद्घाटन 12 जनवरी, 1921 को गवर्नर वेलिंगटन के अनुरोध पर इंग्लैंड के राजा के संबंधी ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ द्वारा किया गया था।
  • इस अधिनियम के तहत दूसरी और तीसरी परिषदों का गठन क्रमशः वर्ष 1923 और 1926 में हुए आम चुनावों के बाद किया गया था।
  • चौथी विधानपरिषद की पहली बैठक वर्ष 1930 में हुए आम चुनावों के बाद हुई और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया तथा यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत प्रांतीय स्वायत्तता के लागू होने तक चली।

महत्त्व:

  • यह विधायिका कई प्रगतिशील विधानों का स्रोत बन गई, जिन्हें बाद में समाज के कमज़ोर वर्गों को सशक्त बनाने और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिये पूरे देश में दोहराया गया।
  • देवदासी प्रथा का उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह, स्कूलों में मध्याह्न भोजन और भूमिहीनों को कृषि भूमि का वितरण कुछ क्रांतिकारी विचार थे, जिन्होंने समाज को बदल दिया।
  • कल्याणकारी राज्य की अवधारणा इस विधायिका से गहरे रूप से जुड़ी हुई है।

कल्याणकारी राज्य

  • कल्याणकारी राज्य सरकार की एक अवधारणा है जिसमें राज्य या सामाजिक संस्थाओं का एक सुस्थापित नेटवर्क नागरिकों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के संरक्षण एवं  संवर्द्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह अवसर की समानता, धन के समान वितरण और अच्छे जीवन के लिये न्यूनतम प्रावधानों का लाभ उठाने में असमर्थ लोगों हेतु सार्वजनिक ज़िम्मेदारी के सिद्धांतों पर आधारित है।
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