लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 04 अक्तूबर, 2019

  • 04 Oct 2019
  • 6 min read

प्रकाश पोर्टल

PRAKASH portal

विद्युत् संयंत्रों को कोयला आपूर्ति में सुधार हेतु सरकार ने प्रकाश पोर्टल लॉन्च किया है।

  • यह पोर्टल खानों में कोयला स्टॉक की मैपिंग के साथ ही हितधारकों को रेलवे रेक के आवागमन और विद्युत् संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता की निगरानी में भी मदद करेगा।
  • प्रकाश पोर्टल का पूरा नाम (Prakash- Power Rail Koyla Availability through Supply Harmony) है।
  • सरकार का मुख्य उद्देश्य विद्युत् संयंत्रों को कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु विद्युत्, कोयला और रेलवे मंत्रालयों के बीच समन्वय में सुधार करना है।
  • वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में देश में कोयले का उत्पादन सालाना 4% घटकर 304 मीट्रिक टन रह गया जिसका मुख्य कारण अत्यधिक बारिश के चलते खनन कार्यों में बाधा उत्पन्न होना है।
  • इस पोर्टल के माध्यम से कोयला कंपनियों को प्रभावी उत्पादन योजना हेतु पावर स्टेशनों पर स्टॉक और आवश्यकता को ट्रैक करने में सहायता मिलेगी क्योंकि एक निश्चित मात्रा से अधिक कोयला भंडारित करने पर आग लगने की संभावना बनी रहती है।
  • हालाँकि, विद्युत् मंत्रालय की हाल ही में लॉन्च की गई अन्य वेबसाइटों के विपरीत, यह पोर्टल आम जनता के लिये सुलभ नहीं है।

प्वाइज़न फायर कोरल

Poison fire coral

हाल ही में विश्व का सबसे ज़हरीला कवक (प्वाइज़न फायर कोरल- Poison fire coral) ऑस्ट्रेलिया के सुदूर उत्तर में पहली बार देखा गया है।

Poison fire

  • इस कवक का मूल स्थान जापान और कोरिया प्रायद्वीप है, अपने मूल निवास स्थान से हज़ारों मील दूर यह कवक पहली बार देखा गया है।
  • यह कवक चमकते लाल रंग का ज़हर उगलता है जिससे इसका रंग लाल होता है।
  • यह कवक पेड़ों की जड़ों और मिट्टी में भी पाया जाता है।
  • यह कवक त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है, इस कवक में आठ ऐसे यौगिक हैं जिन्हें त्वचा अवशोषित कर सकती है।
  • इस कवक के स्पर्श मात्र से त्वचा लाल रंग की हो जाती है, साथ ही इससे सूजन भी हो सकती है।
  • जापान और कोरिया में पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले खाद्य मशरूम और इस लाल कवक के बीच संदेह की स्थिति में लाल कवक के प्रयोग से कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

शाहीन फाल्कन

Shaheen falcon

शाहीन फाल्कन को इंडियन पेरेग्रिनस फाल्कन (Falco Peregrinus Peregrinator) के नाम से भी जाना जाता है।

Shaheen falcon

  • यह अपने शिकार की विशिष्ट शैली के लिये प्रसिद्ध है, जिसे स्टूप (Stoop) कहा जाता है। यह पक्षी तेज़ गति से गोता लगाते हुए अपने शिकार पर हमला करता है।
  • शाहीन फाल्कन अंटार्कटिका को छोड़कर शेष सभी महाद्वीपों में पाया जाता है।
  • 20वीं शताब्दी के मध्य में शाहीन फाल्कन की जनसंख्या में भारी गिरावट आई और संयुक्त राज्य अमेरिका में इस पक्षी की संख्या बहुत ही कम हो गई थी।
  • डीडीटी और अन्य रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग इनकी जनसंख्या में गिरावट का मुख्य कारण है।
  • कैप्टिव प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से इनकी जनसंख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • शाहीन फाल्कन IUCN (International Union for Conservation of Nature) की सूची के अनुसार सुभेद्य (Vulnerable) श्रेणी में है।

राष्ट्रीय मानसून मिशन

National Monsoon Mission

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मानसूनी वर्षा हेतु अत्याधुनिक भविष्यवाणी प्रणाली विकसित करने के लिये राष्ट्रीय मानसून मिशन की शुरुआत की गई है।

  • इस मिशन के निष्पादन और समन्वय की ज़िम्मेदारी भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे की है।
  • यह राष्ट्रीय मिशन IITM, NCEP (USA) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय जैसे संगठनों के आपसी समन्वय से क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • इस मिशन हेतु NCEP की जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (Climate Forecast System- CFS) को मूल मॉडलिंग प्रणाली के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
  • अमेरिकी मौसम पूर्वानुमान मॉडल को जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (Climate Forecast System- CFS) कहा जाता है।
  • अमेरिकी मॉडल को नेशनल सेंटर फॉर एन्वायरनमेंटल प्रेडिक्शन (National Centres for Environmental Prediction- NCEP), एनओएए नेशनल वेदर सर्विस (NOAA National Weather Service) द्वारा विकसित किया गया है।
  • अमेरिकी मॉडल विकसित करने वाले उपरोक्त दोनों संस्थान भारत में भी पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने में सहयोग कर रहे हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2