प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 03 जून, 2020
- 03 Jun 2020
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केंद्रीय रोज़गार गारंटी परिषद की 21वीं बैठक
21st Meeting of Central Employment Guarantee Council
02 मई, 2020 को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय रोज़गार गारंटी परिषद की 21वीं बैठक (21st Meeting of Central Employment Guarantee Council) आयोजित की गई।
प्रमुख बिंदु:
- इस बैठक में बताया गया कि मनरेगा (MGNREGA) सबसे बड़ी रोज़गार सृजन योजनाओं में से एक है जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वैकल्पिक रोज़गार के अवसर प्रदान करती है।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत 261 स्वीकृत कार्य हैं जिनमें से 164 प्रकार के कार्य कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों से संबंधित हैं।
- इसके तहत केंद्र सरकार ने व्यक्तिगत परिसंपत्तियों और जल संरक्षण एवं सिंचाई परिसंपत्तियों के निर्माण को प्राथमिकता दी है जिससे कृषि क्षेत्र को मदद मिलेगी।
- COVID-19 के कारण उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों के दौरान ज़रूरतमंद श्रमिकों को रोज़गार प्रदान करने हेतु ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत इस कार्यक्रम के लिये 40,000 करोड़ रुपये की राशि का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को अब तक 28,000 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है।
केंद्रीय रोज़गार गारंटी परिषद
(Central Employment Guarantee Council):
- केंद्रीय रोज़गार गारंटी परिषद, मनरेगा अधिनियम, 2005 (MGNREGA Act, 2005) की धारा 10 (3) (d) के तहत गठित एक फोरम है।
- इस परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है। इसमें आधिकारिक और गैर-आधिकारिक दोनों सदस्य होते हैं तथा केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री इस परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हैं।
- यह परिषद मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों के लिये केंद्रीय निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणाली की भूमिका निभाती है।
नई राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति-2020
New National Science Technology and Innovation Policy-2020
नई राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति-2020 [Science Technology and Innovation Policy (STIP)-2020] के लिये भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय तथा ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ की ओर से संयुक्त रूप से विकेंद्रीकृत, व्यापक एवं समावेशी प्रक्रिया की शुरूआत की गई।
प्रमुख बिंदु:
- भारत सरकार की ओर से पाँचवीं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति एक ऐसे समय में बनाई जा रही है जब पूरी दुनिया COVID-19 महामारी के संकट से जूझ रही है।
- इस नई नीति की निर्माण प्रक्रिया में चार महत्त्वपूर्ण ट्रैक शामिल किये गए हैं:
ट्रैक 1:-
- इस ट्रैक के तहत ‘विज्ञान नीति फोरम’ के माध्यम से एक व्यापक सार्वजनिक एवं विशेषज्ञ परामर्श प्रक्रिया निर्धारित की गई है। यह प्रारूपण प्रक्रिया के दौरान तथा बाद में बड़े सार्वजनिक एवं विशेषज्ञ पूल से इनपुट प्राप्त करने के लिये एक समर्पित मंच है।
ट्रैक 2:-
- इस ट्रैक में साक्ष्य आधारित सिफारिशों को स्वीकार करने के लिये विशेषज्ञों के विषयगत परामर्श शामिल हैं। इसके लिये 21 मुख्य विषयगत समूहों का गठन किया गया है।
ट्रैक 3:-
- इस ट्रैक में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया शामिल की गई है।
ट्रैक 4:-
- इस ट्रैक में शीर्ष स्तर पर विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श की व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि यह नीति नए भारत के लिये COVID-19 से मिले सबक को एकीकृत करने के साथ-साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास, डिज़ाइन आदि के क्षेत्र में जनसांख्यिकीय लाभांश के अवसर का लाभ उठाकर एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लक्ष्य को भी साकार करेगी।
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद
National Productivity Council
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री (Union Commerce and Industry Minister) ने राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (National Productivity Council- NPC) के कामकाज की समीक्षा की है और परिषद को अपनी सलाहकार एवं क्षमता निर्माण सेवाओं के विस्तार के लिये अपनी क्षमता का लाभ उठाने की सलाह दी।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 1958 में स्थापित राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (National Productivity Council- NPC) ऊर्जा, पर्यावरण, व्यावसायिक प्रक्रिया एवं उत्पादकता सुधार के क्षेत्र में परामर्श एवं क्षमता निर्माण से संबंधित विशेष सेवाएँ प्रदान करती है।
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि MSME क्षेत्र में अनुत्पादक विनिर्माण (Lean Manufacturing) [ऐसी व्यवस्था जिसमें उत्पादन अधिक और बर्बादी कम होती है] के कार्यान्वयन में NPC के सफल अनुभव को अधिक-से-अधिक MSME तक पहुँचाने का प्रयास किया जाना चाहिये।
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (National Productivity Council- NPC):
- वर्ष 1958 में स्थापित राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC), उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) के अंतर्गत एक स्वायत्त परिषद है।
- यह परिषद ऊर्जा, पर्यावरण, व्यवसाय प्रक्रिया एवं उत्पादकता सुधार के लिये परामर्श एवं क्षमता निर्माण आधारित विशेषज्ञ सेवाएँ प्रदान कर रही है।
- NPC, टोक्यो (जापान) स्थित ‘एशियाई उत्पादकता संगठन’ (Asian Productivity Organisation- APO) का एक घटक है जो एक अंतर सरकारी निकाय है जिसमें भारत एक संस्थापक सदस्य है।
तेलंगाना का स्थापना दिवस
Statehood Day of Telangana
तेलंगाना राज्य का गठन 2 जून, 2014 को किया गया था। तेलंगाना के गठन की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 2 जून को तेलंगाना का स्थापना दिवस (Statehood Day of Telangana) मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- 4 मार्च, 2014 को भारत सरकार ने 2 जून, 2014 को तेलंगाना गठन दिवस के रूप में घोषित किया।
- तेलंगाना भारतीय संघ के अंतर्गत गठित होने वाला 29वाँ राज्य है। इसके गठन के दौरान यह निर्णय लिया गया कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों राज्य हैदराबाद को 10 वर्षों के लिये अपनी राजधानी के रूप में साझा करेंगे।
- बाद में सीमांध्र (आंध्रप्रदेश) अपनी राजधानी स्थापित करेगा। हालाँकि हैदराबाद के राजस्व पर अधिकार केवल तेलंगाना को ही मिलेगा। साथ ही सीमांध्र (आंध्रप्रदेश) को कोई विशेष दर्जा नहीं दिया गया।
तेलंगाना का गठन:
- वर्ष 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग को राज्यों को उनकी भाषाओं के आधार पर गठित करने के लिये नियुक्त किया गया।
- आयोग की सिफारिश के आधार पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने वर्ष 1956 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को मिलाकर एकीकृत आंध्र प्रदेश बनाने का निर्णय किया।
- किंतु तेलंगाना को सभी प्रकार के सुरक्षा उपाय प्रदान करने के लिये वर्ष 1956 में जेंटलमैन समझौता (Gentleman’s Agreement) किया गया।
- वर्ष 1969 में तेलंगाना को पृथक राज्य का दर्जा दिलाने के लिये 'जय तेलंगाना' आंदोलन शुरू हुआ किंतु धीरे-धीरे यह आंदोलन मंद पड़ गया।
- वर्ष 2001 में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्त्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने तेलंगाना आंदोलन को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू किया।
जेंटलमैन समझौता (Gentleman’s Agreement):
- वर्ष 1956 में भारत में आंध्र प्रदेश राज्य के गठन से पहले तेलंगाना और आंध्र के नेताओं के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- इस समझौते ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा तेलंगाना के खिलाफ भेदभाव को रोकने के उद्देश्य से सुरक्षा प्रदान की थी।
- गौरतलब है कि तेलंगाना में अधिकांश आबादी आंध्र प्रदेश की तुलना में पिछड़े समुदाय की है। इसलिए एकीकृत आंध्र प्रदेश के रूप में राज्यों के एकीकरण से इन पिछड़े समुदायों को भेदभाव से बचाने के लिये यह समझौता किया गया था।
- इस समझौते के उल्लंघन को आज तक अलग राज्य तेलंगाना के गठन का एक मुख्य कारण बताया जाता है।