प्रिलिम्स फैक्ट्स: 03 दिसंबर, 2020 | 03 Dec 2020
हॉर्नबिल महोत्सव
Hornbill Festival
प्रत्येक वर्ष नगालैंड राज्य के स्थापना दिवस (1 दिसंबर, 1963) के अवसर पर हॉर्नबिल महोत्सव (Hornbill Festival) का आयोजन किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक कोरोनावायरस महामारी के कारण हॉर्नबिल महोत्सव का शुभारंभ पहली बार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया।
- यह हॉर्नबिल महोत्सव का 21वाँ संस्करण है तथा इसका आयोजन 1 से 5 दिसंबर, 2020 तक किया जाएगा।
नामकरण एवं शुरुआत:
- इस महोत्सव का नामकरण हॉर्नबिल पक्षी के नाम पर किया गया है तथा इस महोत्सव की शुरुआत वर्ष 2000 में की गई थी।
आयोजन:
- इस उत्सव का आयोजन राज्य पर्यटन और कला एवं संस्कृति विभाग (State Tourism and Art & Culture Department) द्वारा किया जाता है।
महोत्सव के विषय में:
- यह सांस्कृतिक महोत्सव नृत्य, संगीत और पारंपरिक भोजन के साथ-साथ वर्षों से अपनाई गई नगा समुदाय की समृद्ध संस्कृति एवं परंपराओं का कलात्मक प्रदर्शन है, जो कि नगा समाज की विविधताओं को प्रदर्शित करता है।
- इसे ‘त्योहारों का त्योहार’ भी कहा जाता है।
- इस महोत्सव का उद्देश्य नगालैंड की समृद्ध संस्कृति को पुनर्जीवित करने तथा संरक्षण प्रदान करने के साथ-साथ इसकी परंपराओं को प्रदर्शित करना है।
अरुणाचल कीवी
Arunachal Kiwi
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के कीवी को जैविक प्रमाण पत्र (Organic Certificate) दिया गया है। अरुणाचल प्रदेश कीवी के लिये यह प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह प्रमाण पत्र पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट योजना (Mission Organic Value Chain Development for the North-East Region- MOVCD-NER) के तहत दिया गया है।
- किसी भी फल या सब्जी को जैविक प्रमाण पत्र तब दिया जाता है जब उसे उगाने के लिये किसी भी स्तर पर किसी प्रकार के जैवनाशक/रसायन का प्रयोग न किया गया हो।
- किसी भी उत्पाद को जैविक प्रमाण पत्र विनियामक निकाय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority- APEDA) के मूल्यांकन के बाद ही दिया जाता है।
- यह फल विशेषकर दक्षिण और मध्य चीन के यांगत्से नदी घाटी में पाया जाता है।
- इसे उगाने के लिये अरुणाचल प्रदेश की जलवायु उपयुक्त होने के कारण वर्ष 2000 में अरुणाचल प्रदेश में इसे वाणिज्यिक फल के तौर पर प्रस्तुत किया गया।
- विशेषकर इसे अरुणाचल प्रदेश की ज़ीरो घाटी में 1500-2000 मीटर की ऊँचाई पर उगाया जाता है क्योंकि वहाँ की जलवायु इसके लिए उपयुक्त है।
- इसे चीन का जादुई फल (Miracle Fruit) तथा न्यूज़ीलैंड का हाॅर्टीकल्चर वंडर (Horticulture Wonder Of New Zealand) भी कहा जाता है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट योजना:
- इस योजना की शुरुआत केंद्र सरकार के तहत उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई थी।