नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 15 फरवरी, 2021

  • 15 Feb 2021
  • 3 min read

थोलपावाकुथु: केरल

Tholpavakkoothu: Kerala

हाल ही में एक रोबोट द्वारा केरल की प्रसिद्ध मंदिर कला थोलपावाकुथु में एक चमड़े की छाया कठपुतली तैयार की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह केरल की एक पारंपरिक मंदिर कला है जो पलक्कड़ और इसके पड़ोसी क्षेत्रों से संबंधित है।
    • यह कला काफी हद तक पलक्कड़ ज़िले के शोरानूर क्षेत्र के पुलवार परिवारों तक ही सीमित है।
  • केरल की प्राचीन कलाकृतियों में थोलपावाकुथु या छाया कठपुतली नाटक का प्रमुख स्थान है। यह आर्य और द्रविड़ संस्कृतियों के एकीकरण का एक अच्छा उदाहरण है।
  • यह पलक्कड़ ज़िले के काली मंदिरों में वार्षिक उत्सवों के दौरान निभाई जाने वाली एक रस्म है।
    • इसे निज़लकुथु (Nizhalkkoothu) और ओलाकुथू (Olakkoothu) के रूप में भी जाना जाता है।
  • नाटक का विषय ‘कंब रामायण’ (महाकाव्य का तमिल संस्करण) पर आधारित है।

उदय:

  • मलयालम में ‘थोल’ का अर्थ है चमड़ा, पावा का अर्थ है गुड़िया और कुथु का नाटक। हालाँकि इस पारंपरिक कला की उत्पत्ति की सही जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ लोग इसे 1200 वर्ष पुराना मानते हैं।
  • इसका प्रदर्शन पलक्कड़ के भद्रकाली मंदिरों में रामायण की कहानियों को सुनाते हुए किया जाता था।

प्रदर्शन:

  • इस मनोरंजक कला को एक विशेष मंच पर प्रदर्शित किया जाता है जिसे मंदिर प्रांगण में ‘कुथूमदम’ (koothumadam) कहा जाता है।
  • इस कला को लैंप के प्रकाश और अग्नि के साथ-साथ पौराणिक आकृतियों का उपयोग करके प्रदर्शित किया जाता है।
  • मुख्य कठपुतली को 'पुलावन' के रूप में जाना जाता है।

प्रयुक्त संगीत वाद्ययंत्र:

  • एज़ुपारा, चेंदा और मैडलम आदि।

भारत में छाया कठपुतली के क्षेत्रीय नाम

राज्य नाम
आंध्र प्रदेश थोलू बोम्मलता
कर्नाटक तोगलु गोमेयाता
महाराष्ट्र चर्मा बहुली नाट्य
ओडिशा रावनछाया
केरल थोलपावाकुथु
तमिलनाडु थोल बोम्मलता
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow