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प्रकृति 2025

  • 26 Feb 2025
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा आयोजित कार्बन बाज़ारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, प्रकृति 2025 ( परिवर्तनकारी पहलों को एकीकृत करने के लिए सशक्‍तता, जागरूकता, ज्ञान और संसाधनों को बढ़ावा देना) ने वैश्विक कार्बन बाज़ार के रुझानों, चुनौतियों और भविष्य के रास्तों पर गहन चर्चा के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य किया।

  • प्रकृति 2025 का दृष्टिकोण: इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भारत का कार्बन बाज़ार यूरोपीय संघ की कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) जैसी वैश्विक नीतियों से प्रभावित है, जो स्टील और उच्च उत्सर्जन क्षेत्रों को प्रभावित करता है। इन प्रभावों को कम करने के लिये त्वरित घरेलू सुधारों की आवश्यकता है।
  • यूरोपीय संघ का CBAM: यह यूरोपीय संघ द्वारा उत्पादित वस्तुओं के साथ समतुल्यता की गारंटी प्रदान कर आयात पर उचित कार्बन मूल्य निर्धारित करता है, तथा विश्व भर में स्वच्छ औद्योगिक उत्पादन को प्रोत्साहित करता है।
  • कार्बन बाज़ार: पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अनुसार, कार्बन बाज़ार (व्यापारिक प्रणालियां) संगठनों को कार्बन क्रेडिट खरीदने में सक्षम बनाती हैं, ताकि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने या समाप्त करने वाली पहलों को वित्तपोषित करके उत्सर्जन की भरपाई की जा सके।
  • भारत और कार्बन बाज़ार: वैश्विक CDM (स्वच्छ विकास तंत्र) परियोजना पंजीकरण में  भारत दूसरे स्थान पर है।
  • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना ने वर्ष 2015 से 106 मिलियन टन से अधिक CO₂ की बचत की है। भारत में कार्बन बाज़ार का विनियमन BEE द्वारा किया जाता है।
  • BEE: ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत वर्ष 2002 में स्थापित, BEE विद्युत मंत्रालय के अधीन कार्य करता है जिसका उद्देश्य नीतियों को विकसित करके, स्व-नियमन को बढ़ावा देकर और हितधारकों के साथ समन्वय करके भारत की ऊर्जा तीव्रता को कम करना है।

और पढ़ें: भारत के कार्बन बाज़ार का उदय

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