पोरजा, बगाटा और कोंडा डोरा जनजातियाँ | 06 Aug 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में आंध्र प्रदेश में जनजातीय समुदायों की दुर्दशा, जिन्होंने लोअर सिलेरू हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (LSP) के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, ने ध्यान आकर्षित किया है।
- पोरजा, बागाटा और कोंडा डोरा जनजाति के लोगों ने वर्ष 1970 के दशक में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, इसके बावज़ूद विशाखापत्तनम के आस-पास स्थित उनके द्वारा बसाए गए गाँवों में उन्हें विद्युत और स्वच्छ जल की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है।
पोरजा, बगाटा और कोंडा डोरा जनजातियों के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- पोरजा जनजाति:
- आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम क्षेत्र में रहने वाली पोरजा जनजाति (उप-समूह: बोंडो पोरजा, खोंड पोरजा और परंगी (Parangi) पोरजा) की जनसंख्या लगभग 16,479 (जनगणना, 1991) है।
- पोरजा लोग कृषि योग्य भूमि की तलाश में लगभग 300 वर्ष पूर्व ओडिशा से पलायन कर गए थे। ऐतिहासिक रूप से उन्हें पालकी ढोने के अतिरिक्त अन्य छोटे-मोटे कार्यों के लिये नियुक्त किया जाता था।
- "पोरजा" शब्द उड़िया भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है "राजा का बेटा", जो जयपुर शासकों (Jeypore Rulers) द्वारा उनके ऐतिहासिक रोज़गार को प्रदर्शित करता है।
- वे पहाड़ी इलाकों में रहते हैं और स्थानांतरित कृषि करते हैं, जिसे स्थानीय रूप से पोडू के रूप में जाना जाता है।
- पोरजा लोग पितृ वंश (Patrilineal Descent) के साथ पितृसत्तात्मक प्रणाली (Patriarchal System) का भी पालन करते हैं। संपत्ति विरासत और वंशानुगत संबंधी उत्तराधिकार में इस प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसमें सबसे बड़े बेटे को अतिरिक्त हिस्सा मिलता है।
- उनकी सामाजिक प्रथाओं में अंतर-गोत्रीय (Cross-Cousin) विवाह, जिसमें विवाह पूर्व एवं विवाह के बाद के संबंधों को स्वीकार करना शामिल है। टैटू बनवाना उनकी सामाजिक-धार्मिक संस्कृति का अभिन्न अंग है।
- पोरजा अंतर्विवाही उप-समूह (Endogamous Sub-Group) हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने अलग-अलग रीति-रिवाज़, भाषाएँ और खान-पान संबंधी आदतें हैं। विशाखापत्तनम में ज़्यादातर पोरजा परंगी पोरजा समूह से संबंधित हैं।
- आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम क्षेत्र में रहने वाली पोरजा जनजाति (उप-समूह: बोंडो पोरजा, खोंड पोरजा और परंगी (Parangi) पोरजा) की जनसंख्या लगभग 16,479 (जनगणना, 1991) है।
- बगाटा जनजाति: बगाटा भारत की एक आदिवासी जनजाति है, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्यों में निवास करती है। उन्हें बगाथा, बागट, बागोडी, बोगद या भक्ता के नाम से भी जाना जाता है।
- उनके विवाह प्रतिमानों के अनुसार वे वंश-परंपरा (अपने कबीले से बाहर विवाह करना) का सख्ती से पालन करते हैं। विवाह समझौता और भागकर (Elopement) होता है। उनमें तलाक और पुनर्विवाह की अनुमति है।
- बागथा का मुख्य भोजन विभिन्न किस्मों के कदन्न (Millet) हुआ करते थे, जिसका स्थान अब चावल ने ले लिया है।
- बागथा अलौकिकता, जादू-टोना, बुरी नज़र, टोना-टोटका, भाग्य, भूत-प्रेत आदि में विश्वास करते हैं। वे कुलदेवता और कुलों के रूप में प्रकृति की पूजा करते हैं।
- पारंपरिक रूप से आदिवासी मुखिया अंतर-पारिवारिक और अंतर-आदिवासी विवादों को सुलझाता है, जबकि ग्राम प्रधान अंतर-आदिवासी मुद्दों, पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के झगड़ों को सुलझाता है।
- कोंडा डोरा जनजाति: ये ओडिशा की अनुसूचित जनजाति है, जो दक्षिण ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विस्तृत पूर्वी घाट के कोंडा कंबेरू पर्वत शृंखला (Kamberu Range) में निवास करती है।
- 'कोंडाडोरा' नाम का अर्थ है 'पहाड़ी के स्वामी', जो 'कोंडा' (पहाड़ी) और 'डोरा' (स्वामी) से लिया गया है। 'कोंडा कपू', 'ओजा', 'पांडव राजू' और 'पांडव डोरा' के नाम से भी जाने जाने वाले ये लोग स्वयं को पौराणिक पांडवों का वंशज मानते हैं।
- उनकी मूल भाषा, कुबी/कोंडा, को बड़े पैमाने पर तेलुगु और उड़िया के मिश्रण से बदल दिया गया है।
- सामान्यतः कोंडा डोरा बस्तियाँ सजातीय (Homogeneous) प्रकार की होती हैं। ये बहुजातीय गाँवों में सामाजिक दूरी और जातीय पहचान बनाए रखने के लिये अलग आश्रय स्थलों में निवास करते हैं।
- उनके समाज में बहुविवाह और बाल विवाह निषिद्ध नहीं हैं, वयस्क विवाह और एक विवाह प्रथा आमतौर पर प्रचलित है।
- ये अंतर-गोत्रीय (Cross-Cousin) विवाह को प्राथमिकता देते हैं, जबकि समगोत्रीय (Parallel Cousin) विवाह सख्त वर्जित है।
- उनके पास एक पारंपरिक ग्राम परिषद् (कुलम पंचायत) है, जिसका नेतृत्व कुला पेडा (Kula Peda) करता है, जिसे पिल्लीपुडामारी (Pillipudamari) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
- उनके पास एक अंतर-ग्राम समुदाय परिषद् भी है, ये परिषदें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में अपने प्रथागत मामलों को संभालती हैं।
- यह जनजाति अंतर्विवाही है, जो दो मुख्य समूहों में विभाजित है: पेड्डा कोंडुलु (Pedda Kondulu) और चाइना कोंडुलु (China Kondulu), जिनमें से प्रत्येक में कई कबीले हैं। हालाँकि आधुनिकीकरण और सांस्कृतिक संपर्क उनकी पारंपरिक जीवन शैली को परिवर्तित कर रहे हैं।
नोट: लोअर सिलेरू हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, सिलेरू नदी पर स्थित 460 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना है, यह आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के अधिकृत क्षेत्र में सघन वनों के बीच स्थित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न.अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये कौन प्राधिकारी होगा?(2013) (a) राज्य वन विभाग उत्तर: (d) |