पीएम-श्री योजना | 13 Sep 2024

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

पंजाब के बाद दिल्ली सरकार ने प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइज़िग इंडिया (PM-SHRI) योजना को लागू करने के लिये केंद्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने का निर्णय किया है।

  • शिक्षा मंत्रालय ने PM-SHRI योजना में भाग लेने में अनिच्छा के कारण दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल को समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत धनराशि देना बंद कर दिया था।

समग्र शिक्षा अभियान (SSA):

  • समग्र शिक्षा अभियान (SSA) स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जो प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक विस्तारित है, जिसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है।
    • इसमें सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) की 3 योजनाओं को शामिल किया गया है।
      • इस योजना का मुख्य ज़ोर दो ‘T ’— Teacher (शिक्षक) और Technology (प्रौद्योगिकी) पर केंद्रित होकर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने पर है।
      • यह योजना केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में क्रियान्वित की जा रही है।
    • इस योजना के लिये केंद्र और राज्यों के बीच निधि साझाकरण का अनुपात पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 तथा अन्य सभी राज्यों एवं विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 60:40 है।

PM-SHRI योजना क्या है?

  • परिचय: 
    • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में शुरू की गई PM-SHRI योजना एक केंद्र समर्थित पहल है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने हेतु वर्तमान स्कूलों में सुधार करके लगभग 14,500 से अधिक PM-SHRI स्कूल स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • उद्देश्य:
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य एक समावेशी और पोषणकारी परिवेश तैयार करना है, जो प्रत्येक छात्र के कल्याण तथा सुरक्षा को बढ़ावा दे, विविध शिक्षण अनुभव प्रदान करे एवं गुणवत्तापूर्ण बुनियादी अवसंरचना एवं संसाधनों तक अभिगम प्रदान करे।
  • वित्तपोषण:
    • केंद्र और राज्य सरकारों तथा विधानसभा वाले संघशासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) के बीच वित्तपोषण का अनुपात 60:40 है।
    • पूर्वोत्तर, हिमालयी क्षेत्र और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को 90:10 का हिस्सा मिलता है जबकि बिना विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों को 100% केंद्रीय वित्तपोषण प्राप्त होता है।
    • राज्यों को शिक्षा मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करके अपनी भागीदारी की पुष्टि करनी होती है।
  • योजना की अवधि:
    • योजना की अवधि सत्र 2022-23 से 2026-27 तक है, जिसके बाद राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे इन स्कूलों द्वारा हासिल किये गए बेंचमार्क को बनाए रखें।
  • PM-SHRI स्कूलों की मुख्य विशेषताएँ:
    • ये स्कूल संचार, सहयोग और आलोचनात्मक सोच के कौशल सहित छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
    • शिक्षण पद्धतियाँ अनुभवात्मक, पूछताछ-आधारित और शिक्षार्थी-केंद्रित होंगी।
    • स्कूलों में आधुनिक प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय, कला कक्ष होंगे तथा जल संरक्षण एवं अपशिष्ट पुनर्चक्रण जैसी ‘हरित’ पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
      • इनमें स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, समेकित विज्ञान लैब, व्यावसायिक लैब/कौशल लैब और अटल टिंकरिंग लैब सहित आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    • अधिगम के परिणामों को प्राथमिकता दी जाएगी तथा योग्यता-आधारित मूल्यांकन किया जाएगा जो ज्ञान को वास्तविक जीवन-स्थितियों में लागू करेगा। 
  •   PM-SHRI स्कूल बनने के लिये पात्र स्कूल:
    • केंद्र/राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों और स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूल। 
    • सभी केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय, जो गैर-परियोजना के अंतर्गत हैं तथा स्थायी भवनों से संचालित होते हैं।
  • स्कूलों की मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क:
    • स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन अवसंरचना (SQAF) उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिये नियमित मूल्यांकन के साथ प्रदर्शन की निगरानी करेगा।
      • SQAF व्यक्तिगत और संस्थागत उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये मानकों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं का एक समूह है।
  • स्कूलों का चयन: यह 3-चरणीय प्रक्रिया में चैलेंज मोड के माध्यम से किया जाता है:
    • चरण-1 में केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना शामिल है।
    • चरण-2 में संयुक्त ज़िला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE )+ डेटा के आधार पर पात्र स्कूलों की पहचान की जाती है और 
    • चरण-3 एक चुनौतीपूर्ण पद्धति है, जिसमें पात्र स्कूल कुछ निश्चित मानदंडों को पूरा करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा करते हैं। 
    • राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/KVS/JNV दावों का सत्यापन करते हैं, स्कूलों की सिफारिश करते हैं तथा सचिव के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति अंतिम निर्णय लेती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020

  • NEP-2020 का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है, जो वर्ष 1968 और वर्ष 1986 की नीतियों के बाद स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा अवसंरचना में तीसरा बड़ा सुधार है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 12 तक शिक्षा तक सार्वभौमिक अभिगम सुनिश्चित करता है ।
  • 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की गारंटी देता है ।
    • 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 आयु समूहों के साथ संरेखित एक नई 5+3+3+4 पाठ्यचर्या संरचना प्रस्तुत की गई है, जिसमें आधारभूत (5 वर्ष), प्रारंभिक (3 वर्ष), मध्य (3 वर्ष) और माध्यमिक (4 वर्ष) चरण शामिल हैं।
    • कला और विज्ञान, पाठ्यक्रम एवं पाठ्येतर गतिविधियों तथा व्यावसायिक एवं शैक्षणिक धाराओं के बीच सख्त विभाजन को समाप्त करता है।
    • बहुभाषिकता और भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देना।
    • समग्र विकास का आकलन और सुधार करने के लिये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख की स्थापना की गई।
    • वंचित समूहों और क्षेत्रों को सहायता देने के लिये लिंग समावेशन निधि तथा विशेष शिक्षा क्षेत्र का प्रस्ताव।