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प्लेटो और अवार

  • 01 May 2024
  • 3 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल के वैज्ञानिक शोधों ने प्लेटो की शवादान स्थल की खोज की है तथा अवारों (Avars), एथेंस के एक पूर्वोत्तर कोकेशियान जातीय समूह, के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए, दो ऐतिहासिक रूचिपूर्ण अध्यायों का खुलासा किया है। 

  • प्लेटो (427-348 ईसा पूर्व), ग्रीस के एक प्रमुख दार्शनिक थे, जो सुकरात (470-399 ईसा पूर्व) के शिष्य तथा अरस्तू (384-322 ईसा पूर्व) के शिक्षक थे।
    • उत्तर भारत तथा पाकिस्तान में इन्हें क्रमशः 'सुकरात', 'अफलातून' और 'अरस्तू’ के नाम से जाना जाता है।
    • 18वीं शताब्दी में हरकुलेनियम से खोजे गए प्राचीन पपीरस स्क्रॉल (प्राचीन मिस्र और भूमध्य सागर में प्रयुक्त लेखन सामग्री) से एथेंस/यूनान के एकेडेमिया उद्यान में प्लेटो के शवादान स्थल का पता चला।
  •  अवार, 6वीं सदी के अंत से लेकर 9वीं सदी के प्रारंभ तक पूर्वी मध्य यूरोप में एक प्रमुख शक्ति थे।
    • अवार पूर्वी मध्य एशिया में उत्पन्न हुए और कार्पेथियन बेसिन में बस गये। शोधकर्त्ताओं ने अवारों के शवादान स्थलों से DNA एकत्र किया तथा इनकी सामाजिक प्रथाओं की जाँच के लिये  ancIBD नामक एक विधि का उपयोग किया।
      • ancIBD प्राचीन मानव DNA (aDNA) में वंश-आधारित-पहचान का पता लगाता है। IBD खंड दो व्यक्तियों के बीच साझा किये गये लंबे DNA अनुक्रम हैं और वर्तमान वंशावली संबंध के लिये एक संकेतक का कार्य करते हैं।
    • निष्कर्षों से पता चलता है कि अवार चचेरे, ममेरे, मौसेरे या फुफेरे भाई या बहन (Cousins) से विवाह नही करते हैं तथा गैर-अवारों के साथ सामान्यत: कम अंतर्विवाह करते हैं।
      • उन्होंने लेविरेट यूनियन का अनुसरण किया (एक विधवा ने अपने मृत पति के परिवार के एक पुरुष से शादी की), जो यूरोप में सामान्य नहीं है, परंतु यह एशिया के स्टेपी लोगों की एक स्थापित विशेषता है तथा ये एक पारंपरिक पितृसत्तात्मक व्यवस्था का अनुसरण करते हैं।
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