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पर्सिड उल्का बौछार

  • 16 Aug 2024
  • 2 min read

स्रोत : द हिंदू

वर्ष 2024 में पर्सिड उल्का बौछार (पर्सिड मेटोर शावर-Perseid Meteor Shower) जुलाई के आसपास शुरू हुआ और अगस्त के अंत तक चरम गतिविधि के साथ 11 से 13 अगस्त, 2024 तक जारी रहा।

  • पर्सिड उल्का कॉमेट स्विफ्ट-टटल द्वारा पीछे छोड़े गए मलबे हैं, जो सूर्य की एक अण्डाकार पथ में परिक्रमा करते हैं, जिसमें एक परिक्रमा में 133 वर्ष लगते हैं।
    • माना जाता है कि पर्सिड नाम ,पर्सियस नक्षत्र से लिया गया है।
    • कॉमेट जमे हुए अपशिष्ट हैं, जो धूल, चट्टान और बर्फ से बनी सौर प्रणाली के गठन से बने होते हैं।
  • जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपने मार्ग को काटते हुए मलबे के बादल (cloud of debris) से होकर गुजरती है, तो पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण मलबे को खुद की ओर आकर्षित करता है, जिससे उल्का बौछार उत्पन्न होती है।
  • एक उल्का बौछार वर्ष के एक विशेष समय में अंतरिक्ष से पृथ्वी पर उल्काओं (अंतरिक्ष में चट्टान के छोटे टुकड़े) की वर्षा है।
    • अधिकांश उल्का वातावरण में जलकर नष्ट हो जाते हैं।
    • कुछ उल्का जिनका वायु के माध्यम से अधिक स्पर्शरेखा मार्ग (tangential path) होता हैं, वे छोटे आग के गोले (fireball) का उत्पादन करते हैं।
  • उल्काओं को "शूटिंग स्टार" के नाम से जाना जाता है: प्रकाश की चौंका देने वाली धारियाँ जो अचानक आकाश में दिखाई देती हैं जब बाहरी अंतरिक्ष से धूल का कण पृथ्वी के वायुमंडल में ऊपर वाष्पित हो जाता है। हम वायुमंडल में प्रकाश की घटना को "उल्का" कहते हैं, जबकि धूल के कण को ​​"उल्कापिंड" कहा जाता है।

और पढ़ें: स्काई कैनवस: कृत्रिम उल्का वर्षा

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