प्रारंभिक परीक्षा
पार्टिसिपेटरी नोट्स
- 24 Jun 2022
- 7 min read
पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के माध्यम से मई के अंत, 2022 तक भारतीय पूंजी बाज़ार में निवेश घटकर 86,706 करोड़ रुपए रह गया है।
- हालांँकि अनुमानतः आने वाली 1-2 तिमाहियों में विदेशी निवेशक अपना बिकवाली का रुख बदलेंगे और देश के शेयरों में वापसी करेंगे।
- पी-नोट निवेश में गिरावट के अनुरूप विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के अंतर्गत परिसंपत्तियांँ मई, 2022 के अंत में 50.74 ट्रिलियन रुपए (जो अप्रैल, 2022 के अंत में थी) से 5% घटकर 48.23 ट्रिलियन रुपए हो गईं।
- FPI द्वारा इक्विटी से शुद्ध निकासी का यह लगातार आठवांँ महीना था।
पार्टिसिपेटरी नोट्स:
- पी-नोट्स विदेशी निवेशकों को पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा जारी किये गए ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODI) हैं जो सीधे खुद को पंजीकृत किये बिना भारतीय शेयर बाज़ारों का हिस्सा बनना चाहते हैं।
- पी-नोट्स में भारतीय स्टॉक उनकी अंतर्निहित संपत्ति के रूप में होते हैं।
- FPI अनिवासी हैं जो भारतीय प्रतिभूतियों जैसे शेयर, सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट बॉण्ड आदि में निवेश करते हैं।
- हालांँकि पी-नोट धारकों के लिये सरल पंजीकरण आवश्यकताएंँ हैं, उन्हें भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (SEBI) की उचित त्वरित प्रक्रिया से गुजरना होगा।
पी-नोट्स में कमी के कारण:
- मुद्रास्फीति के स्तर में अनिश्चितता:
- मुद्रास्फीति के स्तर और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (Fed’s) की कार्रवाइयों को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।.
- पी-नोट्स में गिरावट का श्रेय यूएस फेड द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने के कारण को दिया जा रहा है जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये दरों में बढ़ोतरी कर रहा है।
- ब्रिटेन और यूरोज़ोन सहित अन्य केंद्रीय बैंक भी इसका अनुसरण कर रहे हैं।
- मुद्रा/करेंसी में सुधार:
- करेंसी की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है।
- एक सुधार एक मूल्य प्रतिक्षेप है जिसे प्रत्येक प्रवृत्ति आवेग के बाद देखा जा सकता है। सुधार होने के बाद, मूल्य अपनी प्रवृत्ति पर वापस आ जाता है। वर्तमान समय में उपकरणों की अधिक बिक्री या अधिक खरीद के कारण मुद्रा बाज़ार में सुधार होता है।
- इस कमी का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी और डेबिट पोर्टफोलियो में बाज़ार सुधार को लेकर है।
- करेंसी की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है।
भविष्य में पी-नोट्स के संबंधित उम्मीदें:
- इक्विटी बाज़ार इन स्तरों पर कुछ आकर्षक कीमत प्रदान कर रहे हैं।
- आपूर्ति-शृंखला और मुद्रास्फीति के मुद्दों के आने वाले महीनों में कम होने की उम्मीद है।
- बाज़ार आमतौर पर आर्थिक चक्र से आगे बढ़ते हैं।
- यह माना जाता है कि अगली एक/दो तिमाहियों में FPI को भारतीय इक्विटी हेतु पूंजी आवंटित करने के लिये वापस लाना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी बातें भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में समाविष्ट होंगी?
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d)
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है। |