प्रारंभिक परीक्षा
पार्थेनन मूर्तियाँ
- 30 Nov 2023
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स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
एथेंस ने लंदन पर विवादित मूर्तियों (जिन्हें एल्गिन मार्बल्स के नाम से भी जाना जाता है) पर बातचीत से बचने का आरोप लगाया, जिससे ब्रिटिश संग्रहालय में रखी पार्थेनन मूर्तियों को लेकर ग्रीस और ब्रिटेन के बीच राजनयिक विवाद छिड़ गया है।
- उनकी स्थायी वापसी के लिये ग्रीस के बार-बार अनुरोध के बावजूद ब्रिटेन और ब्रिटिश संग्रहालय ने लगातार इनकार कर दिया है।
पार्थेनन मूर्तियाँ क्या हैं?
- परिचय:
- ब्रिटिश संग्रहालय में रखी पार्थेनन मूर्तियाँ पत्थर की ग्रीस की 30 से अधिक प्राचीन मूर्तियों का संग्रह है, जो 2,000 साल से अधिक पुरानी हैं।
- मूल रूप से एथेंस में एक्रोपोलिस पहाड़ी पर पार्थेनन मंदिर की दीवारों और मैदानों को सजाने वाली ये कलाकृतियाँ एथेंस के स्वर्ण युग के महत्त्वपूर्ण अवशेष हैं, मंदिर का निर्माण 432 ईसा पूर्व में पूरा हुआ था।
- देवी एथेना को समर्पित, पार्थेनन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व की प्रतीक हैं।
- कलात्मक चित्रण और सांस्कृतिक महत्त्व:
- मूर्तियों के बीच 75 मीटर तक फैला एक उल्लेखनीय खंड एथेना के जन्मदिन का जश्न मनाते हुए एक जुलूस को चित्रित करता है। इसके अतिरिक्त संग्रह की अन्य मूर्तियाँ जो विभिन्न देवताओं, नायकों और पौराणिक प्राणियों को दर्शाती हैं।
- इनका जटिल शिल्प कौशल और ऐतिहासिक संदर्भ इन मूर्तियों को न केवल कलात्मक खजाना बनाते हैं बल्कि ग्रीस की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग भी बनाते हैं।
- ब्रिटेन में आगमन:
- उन्हें 19वीं सदी की शुरुआत में एल्गिन के 7वें अर्ल और ऑटोमन साम्राज्य के तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत थॉमस ब्रूस द्वारा पार्थेनन से हटा दिया गया था। मार्बल्स को ब्रिटेन ले जाया गया और वर्ष 1816 में ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा खरीदा गया।
- मूर्तियों को लेकर विवाद:
- मूर्तियों के संरक्षक के रूप में कार्यरत ब्रिटिश संग्रहालय का दावा है कि एल्गिन ने उन्हें ऑटोमन साम्राज्य के साथ एक अनुबंध के माध्यम से कानूनी रूप से प्राप्त किया था।
- जबकि एथेंस ने एल्गिन पर चोरी का आरोप लगाया, उसने दावा किया कि उसके पास अनुमति पात्र था। दुर्भाग्य से मूल अनुमति पत्र खो गया है, जिससे उनके दावे की प्रामाणिकता विवाद में पड़ गई है।
ऑटोमन साम्राज्य:
- ऐतिहासिक अवलोकन, उत्थान और विस्तार:
- 13वीं शताब्दी के अंत में उस्मान प्रथम द्वारा स्थापित ऑटोमन साम्राज्य, एक छोटे अनातोलियन राज्य के रूप में शुरू हुआ और धीरे-धीरे इसने न्य विजय के माध्यम से अपने क्षेत्र का विस्तार किया।
- महमद द्वितीय के नेतृत्व में ऑटोमन्स ने वर्ष 1453 में कुस्तुंतुनिया पर अधिकार कर लिया, जो बीजान्टिन साम्राज्य के अंत का प्रतीक था। यह साम्राज्य 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान सुलेमान द मैग्निफिसेंट के तहत अपने चरम पर पहुँच गया, जिसने तीन महाद्वीपों: यूरोप, एशिया और अफ्रीका में फैले एक विशाल क्षेत्र को नियंत्रित किया।
- प्रशासनिक संरचना और सांस्कृतिक विरासत:
- ऑटोमन साम्राज्य अपनी परिष्कृत प्रशासनिक प्रणाली के लिये जाना जाता था, जिसमें सुल्तान की अध्यक्षता में एक केंद्रीकृत सरकार थी।
- ऑटोमन कानूनी प्रणाली, जिसे "कानून" के नाम से जाना जाता है और तुर्की भाषा के उपयोग ने साम्राज्य के सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ाने में योगदान दिया।
- पतन एवं विघटन:
- 17वीं सदी के अंत में सैन्य पराजयों, आंतरिक कलह और आर्थिक चुनौतियों के कारण ऑटोमन साम्राज्य को धीरे-धीरे गिरावट का सामना करना पड़ा।
- 19वीं शताब्दी में साम्राज्य को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से तंज़ीमत के नाम से पहचाने जाने वाले सुधारों की एक शृंखला देखी गई, लेकिन इसे तेज़ी से बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये संघर्ष करना पड़ा।
- प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों के पक्ष में साम्राज्य की भागीदारी के कारण इसकी हार हुई और बाद में विजयी मित्र राष्ट्रों द्वारा इसका विभाजन कर दिया गया। वर्ष 1923 में ऑटोमन साम्राज्य के पतन, जो इसके छह शताब्दी लंबे अस्तित्व के अंत का प्रतीक था, के साथ मुस्तफा कमाल के नेतृत्व में तुर्की गणराज्य की स्थापना हुई।
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