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पैंटोइया टैगोरी

  • 28 Dec 2023
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू 

विश्वभारती विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने बैक्टीरिया की एक नई प्रजाति की खोज़ की है जो कृषि पद्धतियों को बदल सकती है। उन्होंने प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम ‘पैंटोइया टैगोरी’ रखा।

पैंटोइया टैगोरी के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • पेंटोइया टैगोरी बैक्टीरिया जीनस पेंटोइया से संबंधित है, जो एंटरोबैक्टीरियासी परिवार का हिस्सा है।
    • पेंटोइया बैक्टीरिया को जल, मिट्टी, मनुष्य, पशु और पौधों सहित विभिन्न वातावरणों से पृथक किया जा सकता है।
  • इसे पौधे के विकास को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया के रूप में भी वर्णित किया गया है, पेंटोइया टैगोरी ने धान, मटर और मिर्च जैसी फसलों की खेती को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
  • बैक्टीरिया मिट्टी से पोटैशियम को कुशलतापूर्वक निकालता है, जिससे पौधों में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, यह पोटेशियम और फास्फोरस दोनों के घुलनशीलता, नाइट्रोजन निर्धारण की सुविधा प्रदान करता है तथा पौधों के लिये समग्र पोषक तत्त्व की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • पौधों की वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव से फसल की पैदावार में संभावित वृद्धि का संकेत मिलता है। यह खाद्य सुरक्षा से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों के समाधान में सहायता कर सकता है।
  • पेंटोइया टैगोरी मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है, जिससे वाणिज्यिक उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है।
    • उर्वरकों पर निर्भरता को कम करते हुए, बैक्टीरिया सतत् कृषि के लिये एक लागत प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करता है और यह एक संभावित जैव-उर्वरक हो सकता है।

जैव-उर्वरक:

  • जैव-उर्वरक को जीवित सूक्ष्मजीवों वाले जैविक उत्पादों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका बीज, पौधे की सतह अथवा मृदा पर अनुप्रयोग करने पर, कई कारकों द्वारा विकास को बढ़ावा देते हैं जिनमें पोषक तत्वों की आपूर्ति में वृद्धि, जड़ बायोमास अथवा जड़ क्षेत्र में वृद्धि एवं पौधे की पोषक तत्त्व ग्रहण क्षमता में वृद्धि आदि शामिल हैं।
    • वे जीवाणु, नीले-हरे शैवाल तथा माइकोराइज़ल कवक जैसे जीवित जीवों से बने होते हैं।
  • उदाहरण:
    • जीवाणु जैव-उर्वरक: राइज़ोबियम, एज़ोस्पिरिलियम, एज़ोटोबैक्टर, फॉस्फोबैक्टीरिया।
    • कवकीय जैव-उर्वरक: माइकोराइज़ा।
    • शैवालीय जैव उर्वरक: नील हरित शैवाल (Blue Green Algae- BGA) तथा एज़ोला।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2021)

(a) पिंगली वेंकैया ने यहाँ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिज़ाइन किया।
(b) पट्टाभि सीतारमैया ने यहाँ से आंध्र क्षेत्र में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्त्व किया।
(c) रबींद्रनाथ टैगोर ने यहाँ राष्ट्रगान का बांग्ला से अंग्रेज़ी में अनुवाद किया।
(d) मैडम ब्लावात्स्की तथा कर्नल ऑलकाट ने सबसे पहले यहाँ थियोसोफिकल सोसाइटी का मुख्यालय स्थापित किया।

उत्तर: (c)

  • मूल गीत 'जन गण मन' (राष्ट्रगान) बांग्ला में लिखा गया था किंतु एक संस्कृत बोली में इसे साधु भाषा के नाम से जाना जाता है।
  • गीत का बांग्ला से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने का विचार रबींद्रनाथ टैगोर को तब आया जब वह आयरिश कवि जेम्स एच. कज़िन्स के निमंत्रण पर बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज का दौरा कर रहे थे। उन्होंने आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के एक छोटे से शहर मदनपल्ली में अपने दौरे के दौरान इसका अंग्रेज़ी अनुवाद लिखा।
  • 24 जनवरी, 1950 को भारत की संविधान सभा द्वारा जन गण मन को आधिकारिक तौर पर भारत के राष्ट्रगान के रूप में घोषित किया गया था।
  • अतः विकल्प (C)सही उत्तर है।

Q. नीले-हरित शैवाल की कुछ प्रजातियों की कौन-सी विशेषता उन्हें जैव-उर्वरकों के रूप में बढ़ावा देने में मदद करती है? (2010)

(a) वे वायुमंडलीय मीथेन को अमोनिया में परिवर्तित करते हैं जिसे पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं।
(b) वे पौधों को एंज़ाइमों का उत्पादन करने के लिये प्रेरित करते हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट में परिवर्तित करने में मदद करते हैं।
(c) उनके पास वायुमंडलीय नाइट्रोजन को एक ऐसे रूप में परिवर्तित करने का तंत्र है जिसे पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं।
(d) वे पौधों की जड़ों को बड़ी मात्रा में मिट्टी से नाइट्रेट को अवशोषित करने के लिये प्रेरित करते हैं।

उत्तर: (c)

  • साइनोबैक्टीरिया या नील-हरित शैवाल जैव-उर्वरक का एक उदाहरण है, एक प्रकार का जैविक उर्वरक जिसमें जीवित जीव होते हैं तथा मिट्टी की उर्वरता और पौधों की वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये सौर ऊर्जा, नाइट्रोजन एवं पानी जैसे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले इनपुट का दोहन करते हैं।
  • नील हरित शैवाल फोटोऑटोट्रॉफिक सूक्ष्म जीव हैं। उनके पास विशेष कोशिकाएँ हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करने के लिये सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। अमोनिया का उपयोग पौधों द्वारा वृद्धि और उत्पादन बढ़ाने के लिये किया जाता है।
  • अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
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