पैंगोलिन | 21 Dec 2024

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

नाइजीरियाई अधिकारियों ने लगभग  2.18 टन पैंगोलिन स्केल (1,100 पैंगोलिन की जान के बराबर चमड़े) जब्त किये, जो पैंगोलिन की तस्करी से निपटने के लिये चल रहे प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है।

  • पैंगोलिन सबसे अधिक तस्करी किये जाने वाला स्तनधारी जीव हैं, एशिया और अफ्रीका में इनके मांस और शल्कों की बहुत अधिक मांग है, मुख्य रूप से गठिया, अर्थराइटिस और त्वचा संबंधी रोगों के उपचार के लिये पारंपरिक चिकित्सा में इनका उपयोग किया जाता है।
  • पैंगोलिन प्रजातियाँ: पैंगोलिन की आठ प्रजातियाँ हैं, जो दो महाद्वीपों में पाई जाती हैं:
    • अफ्रीका: ब्लैक-बेल्ड पैंगोलिन, व्हाइट-बेल्ड पैंगोलिन, जाइंट ग्राउंड पैंगोलिन और टेम्मिंक्स ग्राउंड पैंगोलिन।
    • एशिया: भारतीय पैंगोलिन (मैनिस क्रैसिकाउडेटा), चीनी पैंगोलिन (मैनिस पेंटाडैक्टाइला), फिलीपीन पैंगोलिन और सुंडा पैंगोलिन।
  • विशेषताएँ:  पैंगोलिन एकांतप्रिय, रात्रिचर प्राणी है जिसके शरीर पर शल्कों का एक विशिष्ट कवच होता है। इन्हें स्केली एंटीइटर्स के नाम से भी जाना जाता है, ये मुख्य रूप से चींटियों और दीमकों का सेवन करते हैं।
  • संरक्षण स्थिति:  इन प्रजातियों की संरक्षण स्थिति संवेदनशील से लेकर गंभीर रूप से संकटग्रस्त तक है।
  • वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species- CITES) के के तहत पैंगोलिन के व्यापार पर प्रतिबंध है तथा उन्हें IUCN रेड लिस्ट के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध किया गया हैं। 
  • भारत में भारतीय और चीनी दोनों पैंगोलिन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित हैं, जो इसके शिकार, व्यापार या किसी अन्य प्रकार के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।

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