पामकिंग | 15 Apr 2022
हाल ही में तमिलनाडु में पहली बार दुर्लभ तितली पामकिंग (Amathusia phidippus) देखी गई।
- यह भारत में 1,500 प्रजातियों में से तमिलनाडु में पाई जाने वाली तितली की 321वीं प्रजाति है।
पामकिंग (Palmking):
- परिचय:
- पामकिंग की उपस्थिति को पहली बार दक्षिण भारत में वर्ष 1891 में ब्रिटिश वैज्ञानिक एच.एस.फर्ग्यूसन द्वारा दर्ज किया गया था। एक सदी से भी अधिक समय बाद इसे वर्ष 2007 में फिर से देखा गया था।
- पामकिंग निम्फैलिडे (Nymphalidae) की प्रजाति से संबंधित है तथा ताड़, नारियल और कैलमस किस्मों के पौधों से भोजन प्राप्त करती है।
- भूरे रंग और गहरे रंग की पट्टियाँ इस तितली की विशेषता है तथा इसे एकांतप्रिय के रूप में वर्णित किया गया है, जो ज़्यादातर छाया में आराम करती है।
- पामकिंग को पहचानना आसान नहीं है क्योंकि लकड़ी की तरह इसका भूरा रंग आसान छलावरण (Camouflage) बनाता है तथा यह शायद ही कभी अपने पंख फैलाती है।
- वितरण:
- यह तितली व्यापक रूप से भारत, म्याँमार, चीन, प्रायद्वीपीय मलेशिया और थाईलैंड के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
- यह इंडोनेशियाई द्वीप समूह और फिलीपींस में भी पाई जाती है।
- भारत में पश्चिमी घाट के दक्षिण में अरिप्पा, शेंदुर्नी, पेरियार टाइगर रिज़र्व के जंगलों में पामकिंग की मौजूदगी दर्ज की गई है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने केले के पौधे की एक नई और विशिष्ट प्रजाति की खोज की है जो लगभग 11 मीटर ऊंँची है और इसमें नारंगी रंग के फलों का गूदा होता है। भारत के किस भाग में इसकी खोज की गई है? (2016) (a) अंडमान द्वीप समूह उत्तर: (a)
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