सीप (ऑयस्टर) के रोगाणुरोधी गुण | 23 Jan 2025
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
नए शोध के अनुसार, ऑयस्टर हेमोलिम्फ (रक्त के समतुल्य) से पृथक किये गए रोगाणुरोधी (Antimicrobial) प्रोटीन द्वारा कुछ दवा प्रतिरोधी जीवाणु (ड्रग रज़िस्टेंस बैक्टीरिया) को नष्ट किया जा सकता है।
- ये प्रोटीन प्रतिरोधी बैक्टीरिया प्रजातियों के विरुद्ध पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावकारिता में भी सुधार कर सकते हैं।
सीप (ऑयस्टर) के रोगाणुरोधी (Antimicrobial) गुणों के संबंध में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- सीप (ऑयस्टर) की भूमिका: सीप के हेमोलिम्फ से रोगाणुरोधी प्रोटीन और पेप्टाइड्स:
- निमोनिया, टॉन्सिलिटिस और आमवात या रूमेटीज्म (Rheumatism) बुखार के लिये ज़िम्मेदार स्ट्रेप्टोकोकस एसपीपी जैसे बैक्टीरिया को नष्ट करना।
- एंटीबायोटिक्स और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से बैक्टीरिया की रक्षा करने वाली बायोफिल्म्स को बाधित और भेदन करना।
- पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावकारिता को 2 से 32 गुना तक बढ़ाना।
- सीपों की प्रतिरक्षा सुरक्षा: सीपों को अपने समुद्री वातावरण में कई सूक्ष्मजीवों का सामना करना पड़ता है, इसलिये उनकी प्रतिरक्षा सुरक्षा मज़बूत होती है।
- ऑयस्टर हेमोलिम्फ में एंटीवायरल और जीवाणुरोधी प्रोटीन और पेप्टाइड्स होते हैं जो विभिन्न मानव और समुद्री रोगजनकों के विरूद्ध प्रभावी होते हैं।
- नए रोगाणुरोधी एजेंट: आजकल लोग जिन 90% से ज़्यादा एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, वे प्राकृतिक स्रोतों से आती हैं। यह बात 65% से ज़्यादा नए विकसित एंटीबायोटिक दवाओं पर भी लागू होती है।
- पारंपरिक प्रासंगिकता: इसका उपयोग पारंपरिक चीनी चिकित्सा में श्वसन और सूजन संबंधी स्थितियों के इलाज के लिये किया जाता है।
- यह स्वदेशी आस्ट्रेलियाई लोगों की स्वास्थ्य प्रथाओं के लिये आवश्यक है।
नोट: विश्वभर में प्रतिवर्ष लगभग 5 मिलियन व्यक्तियों की रोगाणुरोधी प्रतिरोधी संक्रमणों से मृत्यु होती है।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोधी संक्रमणों की वार्षिक संख्या में 70% की बढ़ोतरी होने की संभावना है तथा अनुमान है कि वर्ष 2025 से 2050 के बीच 40 मिलियन लोगों की इससे मृत्यु हो जाएगी।
- बायोफिल्म्स जीवाण्विक समुदाय हैं जो स्वयं-उत्पादित पदार्थ में अंतःस्थापित होते हैं, जो सतहों पर चिपक जाते हैं तथा जीवाणुओं को प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबायोटिक औषधियों से बचाते हैं।
- वे लगभग सभी जीवाणु संक्रमणों में पाए जाते हैं।
सीप क्या हैं?
- परिचय: कस्तूरा Ostreidae कुल से संबंधित हैं और अकशेरुकी के रूप में वर्गीकृत हैं।
- ये सर्वाहारी होते हैं और समूहों में पाए जाते हैं जिन्हें निवह, बेड या रीफ कहते हैं।
- वे खुरदुरे, शैल जैसे कठोर तथा प्रायः अंडाकार या नाशपाती के आकार के खोल से आवृत होते हैं।
- पर्यावास: सीप विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में उथले जल के महासागरों में पाए जाते हैं और समुद्र तल अथवा भित्तियों में निवह निर्मित करते हैं।
- खाद्य सीप से यदा कदा मोती प्राप्त हो सकता है, हालाँकि वे मोती सीपों के समान नहीं होते हैं, जो एक अलग द्विकपाटी कुल से संबंधित होते हैं।
- पारिस्थितिक भूमिका:
- कीस्टोन प्रजातियाँ वे जीव हैं जिनका अपने पारिस्थितिकी तंत्र पर उनकी संख्या के सापेक्ष व्यापक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिये, बाघ, समुद्री ऊदबिलाव आदि।
- सीप नाइट्रेट, अमोनिया, फॉस्फेट, बैक्टीरिया और कार्बनिक पदार्थ जैसे प्रदूषकों को हटाते हैं, जिससे जल की गुणवत्ता और स्पष्टता में काफी सुधार होता है।
- प्रमुख प्रजातियाँ: सीपों को कीस्टोन प्रजाति माना जाता है, क्योंकि सीपों की तलहटी और चट्टानें समुद्री एनीमोन, बार्नाकल और मसल्स सहित विभिन्न समुद्री जीवों के लिये महत्त्वपूर्ण आवास और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- जल निस्यंदन: एक सीप प्रति घंटे दो गैलन से अधिक जल को निस्यंदित कर सकता है, जो कि प्रतिदिन 50 गैलन तक हो सकता है।
- आहार और व्यवहार: सीप अपने गलफड़ों से भरे जल से शैवाल और खाद्य कणों को निस्यंदित कर भोजन प्राप्त करते हैं।
- सभी सीपें जीवन की शुरुआत नर के रूप में करती हैं, लेकिन आमतौर पर लगभग एक वर्ष के बाद स्थायी रूप से मादा में बदल जाती हैं। इसके अलावा, सीप अपने जीवनकाल में कई बार लिंग बदल सकते हैं।
- भोजन के रूप में भूमिका: इनमें कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है और हज़ारों वर्षों से मनुष्य इन्हें उपभोग करते आ रहे हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा जीव निस्यंंदक भोजी (फिल्टर फीडर) है? (a) अशल्क मीन (कैटफिश) उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)
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