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वन रैंक वन पेंशन

  • 02 Mar 2022
  • 2 min read

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह विश्लेषण करने को कहा है कि सशस्त्र बलों में कितने लोगों को 'वन रैंक वन पेंशन' (OROP) नीति से लाभ हुआ है।

  • न्यायालय ने यह भी कहा कि 'वन रैंक वन पेंशन' पर केंद्र के रुख ने सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों को वास्तव में दी गई सुविधाओं की तुलना में बहुत अधिक अतिशयोक्तिपूर्ण तस्वीर प्रस्तुत की है।

'वन रैंक वन पेंशन' (OROP) नीति

  • ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) का अर्थ है कि सेवानिवृत्त होने की तारीख से इतर समान सेवा अवधि और समान रैंक पर सेवानिवृत्त हो रहे सशस्त्र सैन्यकर्मियों को एक समान पेंशन दी जाएगी। 
  • वन रैंक, वन पेंशन’ से पहले, पूर्व सैनिकों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार पेंशन मिलती थी।
  • उत्तर प्रदेश और पंजाब में OROP लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक है।
  • सशस्त्र बल कार्मिक, जो 30 जून, 2014 तक सेवानिवृत्त हुए थे, वे इसके अंतर्गत आते हैं।
  • इस योजना का कार्यान्वयन भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में गठित 10 सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय पैनल कोश्यारी समिति की सिफारिश पर आधारित था।

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स्रोत: द हिंदू

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