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एक राष्ट्र-एक ग्रिड-एक आवृत्ति: राष्ट्रीय ग्रिड

  • 01 Jan 2022
  • 3 min read

हाल ही में पावर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (PGCIL) ने ‘वन नेशन-वन ग्रिड-वन फ्रीक्वेंसी’ यानी नेशनल ग्रिड के संचालन की वर्षगाँठ मनाई।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय ग्रिड का विकास:
    • क्षेत्रीय आधार पर राष्ट्रीय ग्रिड प्रबंधन 60 के दशक में शुरू हुआ।
    • योजना और परिचालन उद्देश्यों के लिये भारतीय विद्युत प्रणाली को पाँच क्षेत्रीय ग्रिडों में विभाजित किया गया है।
    • नब्बे के दशक की शुरुआत में क्षेत्रीय ग्रिड के एकीकरण और इस तरह राष्ट्रीय ग्रिड की स्थापना की अवधारणा की गई थी।
      • प्रारंभ में राज्य ग्रिड को एक क्षेत्रीय ग्रिड बनाने के लिये आपस में जोड़ा गया था और भारत को 5 क्षेत्रों अर्थात् उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी, उत्तर पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र में सीमांकित किया गया था।
    • वर्ष 1991 में उत्तर-पूर्वी और पूर्वी ग्रिड को जोड़ा गया था। इसके अलावा वर्ष 2003 में पश्चिमी क्षेत्र ग्रिड को इससे जोड़ा गया था।
    • अगस्त 2006 में उत्तर और पूर्व ग्रिड आपस में जुड़े हुए थे, जिससे 4 क्षेत्रीय ग्रिड समकालिक रूप से जुड़े हुए थे और एक आवृत्ति पर एक केंद्रीय ग्रिड का संचालन कर रहे थे।
    • 31 दिसंबर 2013 को दक्षिणी क्षेत्र को सेंट्रल ग्रिड से जोड़ा गया। जिससे 'वन नेशन, वन ग्रिड, वन फ्रीक्वेंसी' हासिल की जा सके।
      • यह सुनिश्चित करने के लिये सभी संभव उपाय किये जाते हैं कि ग्रिड आवृत्ति हमेशा 49.90-50.05 हर्ट्ज बैंड के भीतर बनी रहे।

एक आवृत्ति का महत्व:

  • एक सुसंगत विद्युत आवृत्ति बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कई आवृत्तियाँ एक दूसरे के साथ-साथ उपकरणों को नुकसान पहुँचाए बिना काम नहीं कर सकती हैं।
  • राष्ट्रीय स्तर पर बिजली उपलब्ध कराते समय इसके गंभीर निहितार्थ हैं।
  • राष्ट्रीय ग्रिड की क्षमता:
    • वर्तमान में देश में लगभग 1,12,250 मेगावाट की कुल अंतर-क्षेत्रीय पारेषण क्षमता है, जिसे वर्ष 2022 तक बढ़ाकर लगभग 1,18,740 मेगावाट करने की उम्मीद है।
  • एक राष्ट्र-एक ग्रिड-एक आवृत्ति के लाभ:
    • मांग-आपूर्ति का मिलान: सभी क्षेत्रीय ग्रिडों के समन्वय से संसाधन केंद्रित क्षेत्रों से लोड केंद्रित क्षेत्रों में बिजली के हस्तांतरण द्वारा दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के इष्टतम उपयोग में मदद मिलेगी।
    • बिजली बाज़ार का विकास: इसके अलावा यह एक जीवंत बिजली बाज़ार की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा जिससे सभी क्षेत्रों में बिजली के व्यापार मेंकी सुविधा होगी।

स्रोत: पी.आई.बी

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