नॉनिलफेनॉल इथोक्सिलेट्स और नॉनिलफेनॉल | 19 Oct 2024
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक और अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी पर्यावरण रक्षा कोष द्वारा "नॉनिलफेनॉल- एक अंतःस्रावी विघटनकारी रसायन" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई ।
- रिपोर्ट में भारत में नॉनिलफेनॉल इथोक्सिलेट्स (NPE) और नॉनिलफेनॉल (NP) के व्यापक उपयोग तथा इससे जुड़े पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है।
नॉनिलफेनॉल इथोक्सिलेट्स (NPE) और नॉनिलफेनॉल (NP) क्या हैं?
- रासायनिक विशेषताएँ: ये वे सर्फेक्टेंट हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करते हैं, विशेष रूप से यमुना नदी में झाग उत्पन्न करते हैं, जो प्रदूषकों के उच्च स्तर को दर्शाते हैं।
- इन्हें अंतःस्रावी तंत्र को नुकसान पहुँचाने वाला रसायन माना जाता है, जो जलीय जीवन के लिये विषाक्त है तथा मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है एवं प्रजनन व विकासात्मक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है।
- विनियामक स्थिति: डिटर्जेंट में उपयोग के लिये एन.पी.ई. को कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है। हालाँकि भारत में वर्तमान में इन रसायनों को नियंत्रित करने वाले विशिष्ट विनियमन का अभाव है।
- भारत में सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्र में वर्ष 2009 में एन.पी. पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- उद्योगों में उपयोग: एन.पी. और एन.पी.ई. विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित हैं, जिनमें कपड़ा और चमड़ा, डिटर्जेंट और सफाई उत्पाद, कागज और लुगदी, खाद्य पैकेजिंग, सौंदर्य प्रसाधन, निर्माण, ऑटोमोटिव, कृषि रसायन, पेंट तथा धात्विक तरल पदार्थ शामिल हैं।
- स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिकी चिंताएँ:
- जलीय जीवन के लिये विषाक्तता: एन.पी. मछली, जलीय पौधों और अकशेरुकी के लिये विषाक्त है, जिससे जीवित रहने की दर कम हो जाती है, विकास बाधित होता है तथा प्रजनन विफलता होती है।
- मानव स्वास्थ्य जोखिम: एन.पी. एक अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायन के रूप में कार्य करता है, एस्ट्रोजेन की नकल करता है और हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे प्रजनन संबंधी विकार और कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- पर्यावरणीय स्थायित्व: एन.पी. गैर अपघटनीय है और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में लंबे समय तक बना रह सकता है, जिससे वन्यजीवों पर दुष्प्रभाव पड़ता है और संभवतः मानव खाद्य शृंखला में प्रवेश कर सकता है।
- सुरक्षित विकल्पों के लिये सिफारिशें:
- रिपोर्ट में एन.पी. और एन.पी.ई. की अपेक्षा सुरक्षित, लागत प्रभावी और तकनीकी रूप से व्यवहार्य विकल्प अपनाने का सुझाव दिया गया है। हालाँकि भारत में ऐसे विकल्पों की ओर गति धीमी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |