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निपाह वायरस

  • 24 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में केरल के एक 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस (Nipah Virus) से संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो गई।

  • निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला) है और यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है।
  • प्रकृति: निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा यह हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
  • संचरण: NiV प्रारंभ में घरेलू सुअरों, कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों और भेड़ों में देखा गया।
    • यह रोग पटरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ अथवा 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं। यह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय निकलने वाले तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
  • मृत्यु दर: इसमें मृत्यु दर 40% से 75% तक होती है।
  • लक्षण: मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि शामिल है।
  • निदान: शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से रियल टाइम पॉलीमिरेज़ चेन रिएक्शन ( Real-Time Polymerase Chain Reaction- RT-PCR) और एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे (Enzyme-Linked Immunosorbent assay- ELISA) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाने से निदान किया जा सकता है।
  • रोकथाम: वर्तमान में मनुष्यों और जानवरों, दोनों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया: इसने निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है।

अधिक पढ़ें: निपाह वायरस संक्रमण (NiV)

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