प्रारंभिक परीक्षा
निंगालू ग्रहण
- 21 Apr 2023
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20 अप्रैल, 2023 को निंगालू ग्रहण देखा गया था। यह एक दुर्लभ 'संकर सूर्य ग्रहण' है, जो पृथ्वी सतह की वक्रता एवं वलयाकार सूर्य ग्रहण से पूर्ण सूर्य ग्रहण में परिवर्तन के कारण होता है।
- यह इससे पूर्व वर्ष 2013 में देखा गया था तथा अगली बार वर्ष 2031 में दिखाई देगा।
संकर सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- ऑस्ट्रेलिया, तिमोर-लेस्ते और इंडोनेशिया (पश्चिम पापुआ एवं पापुआ) में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दिया था।
- वहीं दक्षिण-पूर्व एशिया, ईस्ट इंडीज़, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और न्यूज़ीलैंड में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। यह भारत में नहीं देखा गया था।
- इसकी विशिष्टता ऐसी है कि इसे पहले से ही पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक हिस्से निंगालू के रूप में नामित किया गया है, जहाँ से ग्रहण सबसे अधिक देखा गया था।
- निंगालू क्षेत्र को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी नामित किया गया है।
सूर्य ग्रहण:
- विषय:
- सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुज़रता है, जिससे पृथ्वी की सतह पर एक छाया पड़ती है जिसके परिणामस्वरूप सूर्य अस्थायी रूप से ढक जाता है।
- सूर्य ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी पर चंद्रमा की दो परछाइयाँ बनती हैं जिसे छाया (Umbra) तथा उपच्छाया (Penumbra) कहते हैं।
- सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुज़रता है, जिससे पृथ्वी की सतह पर एक छाया पड़ती है जिसके परिणामस्वरूप सूर्य अस्थायी रूप से ढक जाता है।
- सूर्य ग्रहण के प्रकार:
- पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse): पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।
- बेलीज़ बीड्स (Baily's Beads) इफेक्ट, जिसे डायमंड रिंग इफेक्ट के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी घटना है जो पूर्ण सूर्य ग्रहण या कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान होती है।
- वलयाकार सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा दिखाई देता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है और उसका केवल कुछ हिस्सा दिखाई देता है।
- सूर्य इस तरह से ढका हुआ होता है कि सूर्य की वलय से केवल छोटा-सा वृत्ताकार प्रकाश का भाग दिखाई देता है। इस वलय को अग्नि वलय के नाम से जाना जाता है।
- आंशिक ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुज़रता है लेकिन पूरी तरह से संरेखित नहीं होता है।
- अत: सूर्य का केवल एक भाग ही ढका हुआ दिखाई देता है।
- हाइब्रिड ग्रहण: हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुज़रते हुए सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है, जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है तथा पृथ्वी के कई हिस्से पूरी तरह अंधकारमय हो जाते हैं।
- इसका अर्थ है कि कुछ पर्यवेक्षकों को प्रतीत होता है कि चंद्रमा ने सूर्य को पूरी तरह से ढका हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है, जबकि अन्य के अनुसार, चंद्रमा केवल आंशिक रूप से सूर्य को ढकता है और इसके परिणामतः एक वलयाकार सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse): पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।