मधुमक्खी की खोजी गई नई प्रजाति | 07 Nov 2022

हाल ही में पश्चिमी घाटों में 200 से अधिक वर्षों के अंतराल के बाद एपिस कारिंजोडियन नामक स्थानिक मधुमक्खी की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।

  • भारत में अंतिम मधुमक्खी (एपिस इंडिका) की खोज फेब्रिसियस द्वारा वर्ष 1798 में की गई थी।
  • इस नई खोज के साथ विश्व में मधुमक्खियों की प्रजातियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है।

Species

इस प्रजाति की प्रमुख विशेषता:

  • परिचय:
    • सामान्य नाम: भारतीय काली मधुमक्खियाँ।
    • एपिस करिंजोडियन का विकास एपिस सेराना मॉर्फोटाइप्ससे हुआ है जो पश्चिमी घाट के गर्म और आर्द्र वातावरण के लिये अनुकूल हो गई है।
      • भारतीय काली मधुमक्खियों का शहद अधिक गाढ़ा होता है, यह शहद के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक हैं।
    • आज तक केवल एक ही प्रजाति (एपिस सेराना) को भारतीय उपमहाद्वीप में मध्य और दक्षिणी भारत तथा श्रीलंका के मैदानी इलाकों में 'समान रुप से वितरित' के रूप में देखा गया था।
    • इस शोध ने देश में मधुमक्खी पालन को एक नई दिशा दी है, जिसमें तीन प्रकार की कैविटी घोंसले वाली मधुमक्खियों, एपिस इंडिका, एपिस सेराना और एपिस करिंजोडियन की उपस्थिति को दिखाया गया है।
  • वितरण:
    • एपिस करिनजोडियन का वितरण मध्य पश्चिमी घाट और नीलगिरी से लेकर दक्षिणी पश्चिमी घाट तक है जिसमें गोवा, कर्नाटक, केरल के साथ तमिलनाडु के कुछ हिस्से शामिल हैं।
  • संरक्षण:

भारत में मधुमक्खी पालन की स्थिति :

  • विश्व स्तर पर मधुमक्खी पालन बाज़ार में अनुमान है कि 2020-25 की अवधि के दौरान एशिया-प्रशांत द्वारा प्रमुख उत्पादक के रूप में 3% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की जाएगी।
  • भारतीय मधुमक्खी पालन बाज़ार वर्ष 2024 तक 33,128 मिलियन रुपए तक पहुंँचने की उम्मीद है, जो लगभग 12 प्रतिशत की CAGR से बढ़ रहा है।
  • भारत छठा प्रमुख प्राकृतिक शहद निर्यातक देश है।
    • वर्ष 2019-20 के दौरान 633.82 करोड़ रुपए के प्राकृतिक शहद का रिकॉर्ड निर्यात किया गया जो कि 59,536.75 मीट्रिक टन था। प्रमुख निर्यात गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, कनाडा और कतर थे।

संबंधित पहल:

  • 'मीठी क्रांति':
    • यह मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसे 'मधुमक्खी पालन' '(Beekeeping) के नाम से जाना जाता है।
    • मीठी क्रांति को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा वर्ष 2020 में (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत) राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन शुरू किया गया।
      • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन का लक्ष्य 5 बड़े क्षेत्रीय एवं 100 छोटे शहद व अन्य मधुमक्खी उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित करना है।
      • इनमें में से 3 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशालाएंँ स्थापित की गई हैं, जबकि 25 छोटी प्रयोगशालाएंँ स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं।
  • प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना:
    • भारत प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये मधुमक्खी पालकों को भी सहायता प्रदान कर रहा है।
    • देश में 1.25 लाख मीट्रिक टन से अधिक शहद का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें से 60 हज़ार मीट्रिक टन से अधिक प्राकृतिक शहद का निर्यात किया जाता है।
  • वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाना:
    • घरेलू शहद की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं वैश्विक बाज़ार को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के क्षमता निर्माण पर सहयोग एवं ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

्रश्न. जीवों के निम्नलिखित प्रकारों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. चमगादड़
  2. मधुमक्खी
  3. पक्षी

उपर्युक्त में से कौन-सा/से परागणकारी है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • परागण एक पौधे के नर भाग से पौधे के मादा भाग में पराग का स्थानांतरण है, इस प्रकार यह निषेचन और बीज के उत्पादन को सक्षम बनाता है, यह प्रक्रिया सजीव कारकों या हवा द्वारा संपन्न होती है।
  • परागणकारी प्रजातियों में कीड़े, पक्षी, मधुमक्खियाँ और चमगादड़ शामिल हैं, जबकि अन्य कारकों में पानी, हवा तथा यहाँ तक कि खुद पौधे (एक ही फूल के भीतर स्व-परागण) भी शामिल होते हैं। अत: कथन 1, 2 और 3 सही हैं।
  • परागण अक्सर समान प्रकार की प्रजाति के मध्य ही होता है परंतु जब यह विभिन्न प्रजातियों के बीच होता है तो यह प्रकृति में और पौधों के प्रजनन द्वारा संकर संतानों की उत्पत्ति कर सकता है।

स्रोत: द हिंदू