एस्चुअरीन केकड़े की नई प्रजाति | 09 Nov 2022
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने तमिलनाडु के कुड्डालोर ज़िले में वेल्लार नदी के मुहाने (एक ऐसा क्षेत्र जहाँ नदी समुद्र से मिलती है) के पास परंगीपेट्टई के मैंग्रोव में एस्चुअरीन केकड़े की एक नई प्रजाति की खोज की है।
- शिक्षा और अनुसंधान में अन्नामलाई विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरा करने के सम्मान में इस प्रजाति का नाम 'स्यूडोहेलिस अन्नामलाई' रखा गया है।
स्यूडोहेलिस अन्नामलाई:
- परिचय:
- सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी (CAS) द्वारा उच्च अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों से प्राप्त किये गए स्यूडोहेलिस प्रजाति का यह पहला रिकॉर्ड है।
- अब तक इस प्रजाति में केवल दो प्रजातियों अर्थात् "स्यूडोहेलिस सबक्वाड्राटा" और "स्यूडोहेलिस लैट्रेली" की पुष्टि की गई है।
- सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी (CAS) द्वारा उच्च अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों से प्राप्त किये गए स्यूडोहेलिस प्रजाति का यह पहला रिकॉर्ड है।
- भौगोलिक वितरण:
- यह प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप और पूर्वी हिंद महासागर के आसपास पाई जाती है।
- विशेषता:
- स्यूडोहेलिस अन्नामलाई को उसके गहरे बैंगनी और गहरे भूरे रंग से पहचाना जा सकता है, जिसमें अनियमित हल्के भूरे या सफेद धब्बे होते हैं, जो हल्के भूरे रंग के चेलिपेड के साथ पीछे के कैरापेस पर होते हैं।
- यह प्रजाति आकार में छोटी है और इसकी अधिकतम चौड़ाई 20 मिमी. होती है।
- अन्य अंतर्ज्वारीय केकड़ों की तरह यह प्रजाति तेज़ी से आगे बढ़ सकती है लेकिन आक्रामक नहीं होती है।
- आवास:
- यह प्रजाति मैंग्रोव के कीचड़ भरे किनारों पर रहती है। एविसेनिया मैंग्रोव के न्यूमेटोफोरस के निकट इनके द्वारा आवास के लिये बनाए बिल पाए गए थे।
- प्रवेश के पास बड़े-बड़े छड़ के आकार वाले इन बिलों की गहराई 25-30 से.मी. होती है और उनमे कई शाखाएँ होती है।
- महत्त्व:
- भारत में स्यूडोहेलिस की उपस्थिति पश्चिमी हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर के बीच इसके वितरण के अंतराल से संबंधित है।
- नई प्रजातियों की खोज इस बात को साबित करती हैं कि पूर्वी हिंद महासागर में कुछ समुद्री जीव भौगोलिक रूप से अलग-थलग हैं।