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अपशिष्ट टायर प्रबंधन हेतु दिशा-निर्देश

  • 07 Sep 2024
  • 3 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारत में अपशिष्ट टायर प्रबंधन को मज़बूत करने के उद्देश्य से नए पर्यावरण मुआवज़ा (Environmental Compensation-EC) दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी दी है।

  • नये दिशा-निर्देशों के प्रमुख पहलू: जो निर्माता अपने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility- EPR) लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएँगे, उन्हें प्रति किलोग्राम अपशिष्ट टायर पर 8.40 रुपए तक का ज़ुर्माना देना होगा।
  • EPR अनुपालन: टायर निर्माताओं और आयातकों को उत्तरोत्तर अपनी पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) ज़िम्मेदारियों में वृद्धि करनी चाहिये। उन्हें वर्ष 2022-23 में वर्ष 2020-21 में किये गए उत्पादन/आयात के 35% से शुरू करते हुए, वर्ष 2023-24 में 70% तथा वर्ष 2024-25 तक 100% तक पुनर्चक्रण का उत्तरदायित्व पूरा करना होगा। 
    • नई इकाइयों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के तीसरे वर्ष में 100% उत्तरदायित्व का अनुपालन करना होगा।
    • अपशिष्ट टायर आयातकों को पिछले वर्ष आयात किये गए टायरों का 100% प्रबंधन करना होगा। पायरोलिसिस तेल या चार (char) उत्पादन हेतु आयात स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है।
  • अपशिष्ट टायरों के पुनर्चक्रण का उद्देश्य लैंडफिल के उपयोग को कम करना तथा टायरों को बहुमूल्य संसाधनों जैसे- पुनः प्राप्त रबर (reclaimed rubber), क्रम्ब रबर (crumb rubber) और पुनः प्राप्त कार्बन ब्लैक (recovered carbon black) में परिवर्तित करना है।
  • EPR, उत्पादक की अपने उत्पाद के प्रभावों के प्रति पर्यावरणीय उत्तरदायित्व पर ध्यान केंद्रित करता है।

और पढ़ें:  अपशिष्ट प्रबंधन पहल

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