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शुक्र के बादलों में फॉस्फीन के नए साक्ष्य

  • 15 Jul 2023
  • 4 min read

हवाई के मौना केआ वेधशाला में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप (JCMT) का उपयोग कर वैज्ञानिकों ने शुक्र के वायुमंडल में अधिक गहरे स्तर पर फॉस्फीन का पता लगाया। 

  • वर्ष 2020 में वैज्ञानिकों ने शुक्र के बादलों में फॉस्फीन गैस की मौजूदगी का पता लगाया था।
  • उस खोज से शुक्र ग्रह पर जीवन की उपस्थिति के बारे में बहुत कुछ समझने को मिला था, इसका आधार यह था कि फॉस्फीन (जिसके बारे में हालिया अध्ययन से पता चला) पृथ्वी पर जैविक गतिविधि से जुड़ा एक अणु है।

शुक्र पर जीवन की संभावना: 

  • यह ज्ञात है कि पृथ्वी पर जो बैक्टीरिया बहुत कम ऑक्सीजन वाली स्थितियों में जीवित रह सकते हैं, फॉस्फोरस का उत्पादन कर सकते हैं।
  • शुक्र के बादलों की गहरी परतों में फॉस्फीन का पता चला है।
  • वैज्ञानिकों ने माना है कि एक ओर जहाँ फॉस्फीन का पता लगाना संभावित रूप से बायोसिग्नेचर के रूप में काम कर सकता है, वहीं इसे अन्य तंत्रों के लिये भी ज़िम्मेदार माना जा सकता है।
  • एक प्रचलित परिप्रेक्ष्य से पता चलता है कि फॉस्फीन का उत्पादन संभावित रूप से ऊपरी वायुमंडल में फॉस्फोरस युक्त चट्टानों से किया जा सकता है, इस क्रम में जल, एसिड और अन्य कारकों से जुड़ी प्रक्रियाओं के माध्यम से इनका क्षरण होने के परिणामस्वरूप फॉस्फीन गैस का उत्पादन होता है। 

फॉस्फीन  (PH3):

  • यह एक फॉस्फोरस परमाणु है जिसमें तीन हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं और यह अत्यधिक विषैली होती है।
  • शुक्र और पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों पर फॉस्फीन का उत्पादन केवल जीवों द्वारा ही हो सकता है, चाहे वह मानव हो या सूक्ष्म जीव।
  • फॉस्फीन का उत्पादन प्राकृतिक रूप से अवायवीय बैक्टीरिया की कुछ प्रजातियों द्वारा होता है जो लैंडफिल, दलदली भूमि और यहाँ तक ​​कि जानवरों की आँतों में मिलते हैं।
  • फॉस्फीन का उत्पादन करने के लिये पृथ्वी के जीवाणु खनिजों या जैविक पदार्थों से फॉस्फेट प्राप्त करते हैं और इसमें हाइड्रोजन शामिल करते हैं।
  • फॉस्फीन औद्योगिक स्तर पर अजैविक रूप से भी उत्पन्न होती है।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रासायनिक हथियार के रूप में इसका उपयोग किया गया था।
  • फॉस्फीन का अभी भी एक कृषि धूम्रक के रूप में उत्पादन किया जाता है और अर्द्धचालक उद्योग में इसका उपयोग किया जाता है। 

शुक्र ग्रह के बारे में प्रमुख तथ्य: 

  • शुक्र पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है। इसे पृथ्वी का जुड़वाँ बहन भी कहा जाता है।
  • संरचना में समान लेकिन पृथ्वी से थोड़ा छोटा, यह सूर्य से दूसरा ग्रह है।
  • शुक्र घने और विषैले वातावरण में लिपटा हुआ है जो गर्मी को फँसाता है।
  • सतह का तापमान 880 डिग्री फाॅरेनहाइट तक पहुँच जाता है, जो सीसा पिघलाने के लिये पर्याप्त गर्म होता है। यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।
  • अत्यधिक घना, 65 मील तक फैला बादल और धुंध, वायुमंडलीय दबाव जो पृथ्वी की सतह पर महसूस होने वाले दबाव से 90 गुना अधिक दबाव डालता है।
  • इसके ग्रह का वायुमंडल मुख्य रूप से अत्यधिक दम घोंटने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों से बना है।

स्रोत: लाइवमिंट

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