राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की नई शाखाएँ | 08 Sep 2022
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की शाखाओं की आधारशिला रखी।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC):
- परिचय:
- राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Centre for Disease Control- NCDC) को पूर्व में राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान (National Institute of Communicable Diseases- NICD) के रूप में जाना जाता था। इसकी स्थापना वर्ष 1909 में हिमाचल प्रदेश के कसौली (Kasauli) में केंद्रीय मलेरिया ब्यूरो (Central Malaria Bureau) के रूप में की गई थी।
- NICD को वर्ष 2009 में पनप चुके एवं फिर से पनप रहे रोगों को नियंत्रित करने के लिये राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में तब्दील कर दिया गया था।
- NCDC भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (Director General of Health Services) के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- कार्य: यह देश में रोग निगरानी के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है जिससे संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण में सुविधा होती है।
- राज्य सरकारों के साथ समन्वय में NCDC के पास रोग निगरानी, प्रकोप जाँच और प्रकोपों को रोकने एवं मुकाबला करने के लिये त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता और योग्यता है।
- सेवाएँ: व्यक्तियों, समुदायों, मेडिकल कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों एवं राज्य स्वास्थ्य निदेशालयों को परामर्श व नैदानिक सेवाएँ प्रदान करता है।
- मुख्यालय: इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
- शाखाएँ: इसकी आठ शाखाएँ अलवर (राजस्थान), बेंगलुरु (कर्नाटक), कोज़ीकोड (केरल), कुन्नूर (तमिलनाडु), जगदलपुर (छत्तीसगढ़), पटना (बिहार), राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश) और वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में स्थित हैं।
NCDC की कई शाखाएँ होने के लाभ:
- NCDC की क्षेत्रीय शाखाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और शीघ्र निगरानी, शीघ्रता से पता लगाने एवं बीमारियों की निगरानी के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देगी जिससे शुरुआती हस्तक्षेप को सक्षम किया जा सकेगा।
- राज्य की शाखाएँ NCDC (दिल्ली) के साथ समन्वय करेंगी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी द्वारा सहायता प्राप्त डेटा एवं सूचना के रीयल-टाइम शेयरिंग के साथ समन्वय करेंगी।
- इसके अलावा अद्यतन दिशानिर्देशों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने में NCDC शाखाएँ भी महत्त्वपूर्ण होंगी।
- एकीकृत रोग निगरानी गतिविधियों, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Anti-Microbial Resistance-AMR), बहु-क्षेत्रीय और कीटविज्ञानी जाँच आदि से निपटने के लिये नई शाखाओं को अनिवार्य रूप से जोड़ा जा रहा है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ) :प्रिलिम्स: Q. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B व्याख्या:
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