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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

  • 12 May 2022
  • 3 min read

प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (11 मई) पर वैज्ञानिकों और उनके "प्रयासों" के प्रति "आभार" व्यक्त किया गया जिनके प्रयासों के परिणामस्वरूप ‘वर्ष 1998 में सफल पोखरण परीक्षण’ संभव हुआ। 

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस:

  • राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के बारे में
    • यह दिवस पहली बार 11 मई, 1999 को मनाया गया था, इसका उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों का स्मरण करना है। इस दिन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रखा गया था।
    • प्रत्येक वर्ष भारतीय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय) भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिये व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करके इस दिन को मनाता है।
    • इस वर्ष का फोकस 'सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' (Integrated Approach in Science & Technology for Sustainable Future) है।
  • महत्त्व:
    • इस दिन भारत ने 11 मई, 1998 को पोखरण में परमाणु बमों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
    • परमाणु मिसाइल का राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में परीक्षण किये गए। मई 1974 में पोखरण- I के ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा के बाद आयोजित यह दूसरा परीक्षण था।
    • भारत ने पोखरण- II नामक एक ऑपरेशन में अपनी शक्ति-1 परमाणु मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसे ऑपरेशन शक्ति के रूप में जाना गया, जिसका नेतृत्व तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था।
    • उसी दिन भारत ने त्रिशूल मिसाइल (सतह से हवा में कम दूरी की मिसाइल) की सफल परीक्षण फायरिंग की और पहले स्वदेशी विमान ‘हंसा- 3 ’का परीक्षण किया।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

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